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….मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा!
Sukhpal Gurjar ==================== सेठ ताराचंद किराना के व्यापारी थे। छोटा सा गाँव था, और छोटी सी दुकान थी उनकी। ईमानदारी से दुकान चलाते थे और इज्जत से रहते थे। तीन बेटे थे उनके, दुलीचंद, माखन और सेवा राम। गाँव में सिर्फ आठवीं तक का स्कूल था, आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना पड़ता था। […]
क्या महानंद चट्टोपाध्याय का सच किसी को पता चल गया था ?
पिशाचिनी ने एक दिन मुझे अपना अलग से कमरा लेने के लिए कहा । यह एक स्वाभाविक बात थी क्योंकि डोम के झोपड़े में वह स्वतंत्रता नहीं मिल सकती थी जो उस पिशाचिनी को अपनी क्रियाओं के लिए आवश्यक थी । उसके निर्देशानुसार मैं चल पड़ा …… पर यह जानने से पहले की पिशाचिनी ने […]
मैं मेहमान हूँ, कृपया पानी पिला दें…!
Shikha Singh ============== कालिदास बोले :- “माते पानी पिला दीजिये बड़ा पुण्य होगा” स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं, अपना परिचय दो…! मैं अवश्य पानी पिला दूंगी…! कालिदास ने कहा :- मैं “पथिक” हूँ, कृपया पानी पिला दें…! स्त्री बोली :- “तुम पथिक कैसे हो सकते हो” ? , पथिक तो केवल दो […]