“कुर्द दर आइनये शेरे फ़ारसी” नामक किताब प्रकाशित हो गयी!
Parvez KhanComments Off on “कुर्द दर आइनये शेरे फ़ारसी” नामक किताब प्रकाशित हो गयी!
पार्सटुडे- फ़रामर्ज़ आक़ाबैगी ने “कुर्द दर आइनये शेरे फ़ारसी, अज़ रूदकी ता शफ़ीई कदकनी” नामक किताब लिखी है वह ईरान में छपकर बाज़ार में आ गयी है।
“कुर्द दर आइनये शेरे फ़ारसी, अज़ रूदकी ता शफ़ीई कदकनी” अध्ययन और गहरे शोध की किताब है। इस किताब में रूदकी से लेकर वर्तमान समय के शायरों की समीक्षा की गयी है। इसी प्रकार इस किताब में ईरान में कुर्द क़ौम की भूमिका व उपस्थिति पर प्रकाश डाला गया है।
पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार इस किताब के लेखक फ़रामर्ज़ आक़ाबैगी ने फ़ार्सी साहित्य के बड़े- बड़े शायरों की रचनाओं में समीक्षा करके अपनी साहित्यिक किताब में कुर्दों की भूमिका, ज़िन्दगी और पहचान पर रोशनी डाली है।
लेखक अपनी किताब में इल्मी और प्रवाहपूर्ण शैली में क्लासिक और वर्तमान फ़ार्सी शेरों में कुर्दों की उपस्थिति की समीक्षा व विश्लेषण करता है और वह इस बात को दिखाता है कि कुर्द क़ौम किस प्रकार अपनी समृद्ध संस्कृति के साथ फ़ार्सी भाषा के बहुत से शायरों का प्रेरणास्रोत रही है।
रूदकी और फ़िरदौसी के समय से लेकर सादी, हाफ़िज़ और नीमा तक के शायरों में विभिन्न रूपों में कुर्दों की भूमिका दिखाई देती है और इस किताब में लेखक बहुत बारीकी व सूक्ष्मता से कुर्दों की उपस्थिति की समीक्ष व विश्लेषण करता है।
साथ ही इस किताब की एक विशेषता इसके विषयों की विविधता है। इस किताब का लेखक केवल शायरों का परिचय नहीं कराता है बल्कि इस किताब के जो विषय हैं और कुर्द क़ौम से संबंधित जो तस्वीरें हैं उन पर भी वह ध्यान देता है।
इस किताब में लेखक इसी प्रकार शेरों के रूप में एक जगह से दूसरी जगह पर कुर्दों के पलायन करने, उनकी बहादुरी की भावना और उनकी स्थानीय संस्कृति की समीक्षा करता है और उसका परिचय ईरान की साहित्यिक पहचान के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में करता है।
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय =========== “राम नाम सत्य है…” के शब्द कानों में पड़ रहे थे और मेरे कदम मां की अर्थी के साथ तेज-तेज चल रहे थे. मेरे जीवन का अंतिम साथी भी मुझसे विदा हो गया था. बूढ़े मां-बाप की संतान था मैं. सात भाई-बहनों में सबसे छोटा. फिर कितने कदम साथ चल पाते […]
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ================== जीजाजी यानी मेरी मौसेरी बहन कृष्णा के पति का फोन था, “क्या बात है सालीजी, आजकल याद ही नहीं करतीं? तुम्हारी दीदी कुछ बीमार चल रही है, बहुत याद कर रही है तुम्हें. थोड़ा समय निकालकर मिलने आ जाओगी तो उसे अच्छा लगेगा.” “क्या हो गया दीदी को? कोई सीरियस बात […]
Harish Yadav ============== मेरी शादी के तीसरे दिन मुझे पीरियड्स आने वाले थे, और उस पर से मेरी परीक्षा भी थी। पूरी रात मैं सोचती रही कि इन नई जिम्मेदारियों के बीच परीक्षा कैसे दूँगी। अगली सुबह मेरी ननद, आरती, ने मुझे जगाते हुए कहा, “भाभी, बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं, उठिए और तैयार […]