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हम सत्य हैं, हम नित्य हैं और आनंद स्बरूप हैं इस बात का बोध होना ही ‘ध्यान’ है : लक्ष्मी सिन्हा का लेख पढ़िये
Laxmi Sinha ============== हम सत्य हैं, हम नित्य हैं और आनंद स्बरूप हैं इस बात का बोध होना ही ‘ध्यान’ है ______________________ जब चेतना का प्रकाश किसी भी परिस्थिति से प्रभावित नहीं होता तथा चेतना सदा आनंद में रहने लगती है,तब मनुष्य उस द्वार में प्रवेश कर जाता है,जहां ‘मैं’से परिचय होती है, यही ‘ध्यान’ […]
माँ एक बार फिर से गले लगाने के लिए आ….
Dr.vijayasingh ================ मुझे अच्छा लगता है माँ तुझे देखते रहना…तुम्हारी बिखरी चीज़ों का पड़ा रहना…तुम्हारी दवाइयों का बिखरा रहना…कार में खुद बैठने से पहले आपको को बैठाना आपकी छड़ी को पकड़ना जिस वक्त तुम्हारा हाथ पकड़कर सड़क पर चलती हूँ उस वक्त बहुत गर्व महसूस होता है कि मैं अपनी माँ का हाथ पकड़ रही […]
तो आपका घर उसी दिन तितर-बितर हो जाएगा…
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ========== रजनी जब हड़बड़ाकर जागी, तो निग़ाहें सीधे घड़ी पर पड़ी. सात बज गए थे. दिव्या दरवाज़े के बाहर से ही रुआंसी होकर चिल्ला रही थी, “मम्मी, आप अभी तक सो रही हैं? मेरी स्कूल बस आने वाली है. अभी तक न तो मुझे नाश्ता मिला है और ना ही मेरे टिफिन […]