सेहत

क्‍या है सेक्‍स का मैकेनिज्म ?

तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
जहां तक सम्भोग का सवाल है, सम्भोग आपके नग्न शरीर पर कपड़े का एक टुकड़ा होने के नाते प्यार में उतना ही महत्वपूर्ण है।

वह कपड़ा आपके शरीर को पूर्णता देता है।

प्यार का पहला बिंदु आकर्षण है, जो किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, उनके अच्छे आचरण इत्यादि से शुरू होता है और जैसे ही समय बीतता है, प्यार की गहराई बढ़ जाती है। विज्ञान का कहना है कि जब तक हम शारीरिक संबंध में नहीं हैं, हम अपने प्रेमी या प्रेमिका के प्रति लापरवाही कर रहे हैं, क्योंकि हम केवल मानसिक रूप से उससे जुड़े हुए हैं … लेकिन जैसे ही हम शारीरिक रूप से जुड़े हुए हैं, हम अपने प्रेमी / प्रेमिका की छोटी चीजों के बारे में सोचना शुरू करते हैं। उसके प्रति वफादारी का प्रतिशत / उसकी बढ़ोतरी।

चाहे प्यार सेक्स में शामिल हो या नहीं, लेकिन सेक्स को मजबूत करने में सेक्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एक सगाई की अंगूठी जिस तरह से दिल को छूती है, सेक्स भी उसी तरह प्यार की भावनाओं को छूता है।

यदि हम एक धार्मिक दृष्टिकोण से देखते हैं, तो सेक्स के बिना प्यार का कोई महत्व नहीं है। अगर सेक्स के बिना प्यार था, तो कोई कामदेव नहीं होगा।

देवदेव के देवताओं के बीच अपना महत्व है और नकदेव के बिना प्यार का अनुभव करना असंभव है।
खजुराहो मंदिर प्रेम और लिंग के सद्भाव और महत्व को बताता है, इसलिए प्यार में सेक्स गलत नहीं है अगर इसका दुरुपयोग नहीं किया जाता है।

Image
तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
तुम्‍हारी अस्‍सी प्रतिशत ऊर्जा तुम्‍हारी आंखों से बाहर जाती है। तुम संसार में आंखों के द्वारा गति करते हो। इसलिए जब तुम थकते हो तो सबसे पहले आंखें थकती है। और फिर शरीर के दूसरे अंग थकते है। सबसे पहले तुम्‍हारी आंखें ही ऊर्जा से रिक्त होती है। अगर तुम्हारी आंखें तुम्‍हारी अस्‍सी प्रतिशत ऊर्जा है। अगर तुम अपनी आंखों को पुनर्जीवित कर लो तो तुमने अपने को पुनर्जीवन दे दिया।

तुम किसी प्राकृतिक परिवेश में कभी उतना नहीं थकते हो जितना किसी अप्राकृतिक शहर में थकते हो। कारण यह है कि प्राकृतिक परिवेश में तुम्‍हारी आंखों को निरंतर पोषण मिलता है। वहां की हरियाली, वहां की ताजी हवा,वहां की हर चीज तुम्‍हारी आंखों को आराम देती है। पोषण देती है। एक आधुनिक शहर में बात उलटी है; वहां सब कुछ तुम्‍हारी आंखों को शोषण करता है; वहां उन्‍हें पोषण नहीं मिलता।

Diary of a Sex Therapist (2018) | Adult DVD Empire

तुम किसी दूर देहात में चले जाओ। या किसी पहाड़ पर चले जाओ जहां के माहौल में कुछ भी कृत्रिम नहीं है। जहां सब कुछ प्राकृतिक है, और वहां तुम्‍हें भिन्‍न ही ढंग की आंखें देखने को मिलेंगी। उनकी झलक उनकी गुणवता और होगी। वह ताजी होंगी। पशुओं जैसी निर्मल होंगी। गहरी होंगी। जीवंत और नाचती हुई होंगी। आधुनिक शहर में आंखें मृत होती है। बुझी-बुझी होती है। उन्‍हें उत्‍सव का पता नहीं है। उन्‍हें मालूम नहीं है कि ताजगी क्‍या है। वहां आंखों में जीवन का प्रवाह नहीं है। बस उनका शोषण होता है।

Sex Therapist, The (2018) | Adult DVD Empire

तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
तुम किसी व्‍यक्‍ति को प्रेम कर सकते हो। इसलिए क्‍योंकि वह तुम्‍हारी कामवासना की तृप्‍ति करता है। यह प्रेम नहीं, मात्र एक सौदा है। तुम किसी व्‍यक्‍ति के साथ कामवासना की पूर्ति कर सकते हो इसलिए क्‍योंकि तुम प्रेम करते हो। तब काम भाव अनुसरण करता है छाया की भांति, प्रेम के अंश की भांति। तब वह सुंदर होता है; तब वह पशु-संसार का नहीं रहता। तब पार की कोई चीज पहले से ही प्रविष्‍ट हो चुकी होती है। और यदि तुम किसी व्‍यक्‍ति से बहुत गहराई से प्रेम किए चले जाते हो, तो धीरे-धीरे कामवासना तिरोहित हो जाती है। आत्‍मीयता इतनी संपूर्ण हो जाती है कि कामवासना की कोई आवश्‍यकता नहीं रहती। प्रेम स्‍वयं में पर्याप्‍त होता है। जब वह घड़ी आती है तब प्रार्थना की संभावना तुम पर उतरती है।

May be an image of 1 person

ऐसा नहीं है कि उसे गिरा दिया गया होता है। ऐसा नहीं है कि उसका दमन किया गया, नहीं। वह तो बस तिरोहित हो जाती है। जब दो प्रेमी इतने गहने प्रेम में होते है कि प्रेम पर्याप्‍त होता है। और कामवासना बिलकुल गिर जाती है। तब दो प्रेमी समग्र एकत्‍व में होते है। क्‍योंकि कामवासना, विभक्‍त करती है। अंग्रेजी का शब्‍द ‘सेक्‍स’ तो आता ही उस मूल से है जिसका अर्थ होता है, विभेद। प्रेम जोड़ता है; कामवासना भेद बनाती है। कामवासना विभेद का मूल कारण है।

May be an image of 1 person and sleepwear

जब तुम किसी व्‍यक्‍ति के साथ कामवासना की पूर्ति करते हो, स्‍त्री या पुरूष के साथ, तो तुम सोचते हो कि सेक्‍स तुम्‍हें जोड़ता है। क्षण भर को तुम्‍हें भ्रम होता है एकत्‍व का, और फिर एक विशाल विभेद अचानक बन आता है। इसीलिए प्रत्‍येक काम क्रिया के पश्‍चात एक हताशा, एक निराशा आ घेरती है। व्‍यक्‍ति अनुभव करता है कि वह प्रिय से बहुत दूर है। कामवासना भेद बना देती है। और जब प्रेम ज्‍यादा और ज्‍यादा गहरे में उतर जाता है तो और ज्‍यादा जोड़ देता है तो कामवासना की आवश्‍यकता नहीं रहती। तुम इतने एकत्‍व में रहते हो कि तुम्‍हारी आंतरिक ऊर्जाऐं बिना कामवासना के मिल सकती है।

May be an image of 1 person

तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
लंबे संभोग से दीर्घकालीन तृप्ति

उस वर्तुल के अनुभव बड़े अदभुत हैं; क्योंकि जब वह वर्तुल बनता है, तभी तुम्हें ठीक अर्थों में यह पता चलता है कि तुम एक हुए। स्त्री और पुरुष एक हुए, इसका अनुभव तुम्हें वर्तुल बनने के पहले पता नहीं चलता। उसके बनते ही मैथुन में रत दो व्यक्ति दो नहीं रह जाते, उस वर्तुल के बनते ही वे एक ही ऊर्जा के, एक ही शक्ति के प्रवाह बन जाते हैं; कोई चीज जाती और आती और घूमती हुई मालूम पड़ने लगती है और दो व्यक्ति मिट जाते हैं। यह वर्तुल जिस मात्रा में बनेगा, उसी मात्रा में संभोग की आकांक्षा कम और दूरी पर हो जाएगी। यह हो सकता है कि एक दफा वर्तुल बन जाए तो वर्ष भर के लिए भी फिर कोई इच्छा न रह जाए, कोई कामना न रह जाए; क्योंकि एक तृप्ति की घटना घट जाए।

Adult Empire | Award-Winning Retailer of Streaming Porn Videos on ...
इसे ऐसे ही समझ सकते हो कि एक आदमी खाना खाए और वॉमिट कर दे, खाना खाए और उलटी कर दे, तो कोई तृप्ति तो नहीं होगी! खाना खाने से तृप्ति नहीं होती, खाना पचने से तृप्ति होती है। आमतौर से हम सोचते हैं—खाना खाने से तृप्ति होती है। खाना खाने से कोई तृप्ति नहीं होती, तृप्ति तो पचने से होती है।

May be an image of 1 person

तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
हम शरीर को नंगा देखना और दिखाना चाहते है. इसलिए कपड़े चुस्‍त होते चले जाते है. सौंदर्य की बात नहीं है यह, क्‍योंकि कई बार चुस्‍त कपड़े शरीर को बहुत बेहूदा और भोंडा बना देते है. हां किसी शरीर पर चुस्‍त कपड़े सुंदर भी हो सकते है. किसी शरीर पर ढीले कपड़े सुंदर हो सकते है. और ढीले कपड़े की शान ही और है. ढीले कपड़ों की गरिमा और है. ढीले कपड़ों की पवित्रता और है लेकिन वह हमारे ख्‍याल में नहीं आयेगा. हम समझेंगे यह फैशन है, यह कला है, अभिरूचि है, टेस्‍ट है. नहीं ‘’टेस्‍ट’’ नहीं है. अभी रूचि नहीं है. वह जो जिसको हम छिपा रहे है भीतर दूसरे रास्‍तों से प्रकट होने की कोशिश कर रहा है. लड़के लड़कियों का चक्‍कर काट रहे है. लड़कियां लड़कों के चक्‍कर काट रही है. तो चाँद तारों का चक्‍कर कौन काटेगा. कौन जायेगा वहां? और प्रोफेसर? वे बेचारे तो बीच में पहरेदार बने हुए खड़े है. ताकि लड़के लड़कियां एक दूसरे के चक्‍कर न काट सकें. कुछ और उनके पास काम है भी नहीं. जीवन के और सत्‍य की खोज में उन्‍हें इन बच्‍चों को नहीं लगाना है. बस, ये सेक्‍स से बच जायें, इतना ही काम कर दें तो उन्‍हें लगता है कि उनका काम पूरा हो गया।

No photo description available.

तृप्त …🖤
@yaduvanshi32
जिस दिन दुनिया में सेक्‍स स्‍वीकृत होगा, जैसा कि भोजन, स्‍नान स्‍वीकृत है उस दिन दुनिया में अश्‍लील पोस्‍टर नहीं लगेंगे, अश्‍लील किताबें नहीं छपेगी, अश्‍लील मंदिर नहीं बनेंगे क्‍योंकि जैसे-जैसे वह स्‍वीकृति होता जाएगा, अश्‍लील पोस्‍टरों को बनाने की कोई जरूरत ही नहीं रहेगी।

अगर किसी समाज में भोजन वर्जित कर दिया जाये और कह दिया जाये कि भोजन छिपकर खाना। कोई देख न ले। अगर किसी समाज में यह हो कि भोजन करना पाप है, तो भोजन के पोस्‍टर सड़कों पर लगने लगेंगे फौरन क्‍योंकि आदमी तब पोस्‍टरों से भी तृप्‍ति पाने की कोशिश करेगा। पोस्‍टर से तृप्‍ति तभी पायी जाती है जब जिंदगी तृप्‍ति देना बंद कर देती है और जिंदगी में तृप्‍ति पाने का द्वार बंद हो जाता है।

Dicke Big Step Sisters Lehren Wertvolle Lektionen Fürs Leben - Bubble ...

 

मैं युवकों से कहना चाहूंगा कि तुम जिस दुनिया को बनाने में संलग्न हो, उसमें सेक्‍स को वर्जित मत करना अन्‍यथा आदमी और भी कामुक से कामुक होता चला जाएगा। मेरी यह बात देखने में बड़ी उलटी लगेगी। अख़बार वाले और नेतागण चिल्‍ला-चिल्‍ला कर घोषणा करते है कि मैं लोगों में काम का प्रचार कर रहा हूं। सच्‍चाई उलटी है कि मैं लोगों को काम से मुक्‍त करना चाहता हूं और प्रचार वे कर रहे है। लेकिन उनका प्रचार दिखाई नहीं पड़ता। क्‍योंकि हजारों साल की परंपरा से उनकी बातें सुन-सुन कर हम अंधे और बहरे हो गये है। हमें ख्‍याल ही रहा कि वे क्‍या कह रहे है। मन के सूत्रों का, मन के विज्ञान का कोई बोध ही नहीं रहा। कि वे क्‍या कर रहे है। वे क्‍या करवा रहे है। इसलिए आज जितना कामुक आदमी भारत में है। उतना कामुक आदमी पृथ्‍वी के किसी कोने में नहीं है।

Cock Shock Therapy Porn Pictures, XXX Photos, Sex Images #1525870 - PICTOA

मेरे एक डाक्‍टर मित्र इंग्‍लैण्‍ड के एक मेडिकल कांफ्रेंस में भाग लेने गये थे। व्‍हाइट पार्क में उनकी सभा होती थी। कोई पाँच सौ डाक्‍टर इकट्ठे थे। बातचीत चलती थी। खाना पीना चलता था। लेकिन पास की बेंच पर एक युवक और युवती गले में हाथ डाले अत्‍यंत प्रेम में लीन आंखे बंद किये बैठे थे। उन मित्र के प्राणों में बेचैनी होने लगी। भारतीय प्राण में चारों तरफ झांकने का मन होता है। अब खाने में उनका मन न रहा। अब चर्चा में उनका रस न रहा। वे बार-बार लौटकर उस बेंच की ओर देखने लगे। पुलिस क्‍या कर रही है। वह बंद क्‍यों नहीं करती ये सब। ये कैसा अश्‍लील देश है। यह लड़के और लड़की आँख बंद किये हुए चुपचाप पाँच सौ लोगों की भीड़ के पास ही बेंच पर बैठे हुए प्रेम प्रकट कर रहे है। कैसे लोग है यह क्‍या हो रहा है। यह बर्दाश्‍त के बाहर है। पुलिस क्‍या कर रही है। बार-बार वहां देखते।

Słodki Gruby 19-letni Seks Wywiad - Alana Rose - Terapia Podłączeniowa ...

पड़ोस के एक आस्‍ट्रेलियन डाक्‍टर ने उनको हाथ के इशारा किया ओर कहा, बार-बार मत देखिए, नहीं तो पुलिसवाला आपको यहां से उठा कर ले जायेगा। वह अनैतिकता का सबूत है। यह दो व्‍यक्‍तियों की निजी जिंदगी की बात है। और वे दोनों व्‍यक्‍ति इसलिए पाँच सौ लोगों की भीड़ के पास भी शांति से बैठे है, क्‍योंकि वे जानते है कि यहां सज्‍जन लोग इकट्ठे है, कोई देखेगा नहीं। किसी को प्रयोजन भी क्‍या है। आपका यह देखना बहुत गर्हित है, बहुत अशोभन है, बहुत अशिष्‍ट है। यह अच्‍छे आदमी का सबूत नहीं है। आप पाँच सौ लोगों को देख रहे है कोई भी फिक्र नहीं कर रहा। क्‍या प्रयोजन है किसी से। यह उनकी अपनी बात है। और दो व्‍यक्‍ति इस उम्र में प्रेम करें तो पाप क्‍या है ? और प्रेम में वह आँख बंद करके पास-पास बैठे हों तो हर्ज क्‍या है ? आप परेशान हो रहे है। न तो कोई आपके गले में हाथ डाले हुए है, न कोई आपसे प्रेम कर रहा है।

May be an image of 1 person, smiling, slip and sleepwear

वह मित्र मुझसे लौटकर कहने लगे कि मैं इतना घबरा गया किये कैसे लोग है। लेकिन धीरे-धीरे उनकी समझ में यह बात पड़ी की गलत वे ही थे। हमारा पूरा मुल्‍क ही एक दूसरे घर में दरवाजे के होल बना कर झाँकता रहता है। कहां क्‍या हो रहा है ?
कौन क्‍या कर रहा है ?
कौन जा रहा है ?
कौन किसके साथ है ?
कौन किसके गले में हाथ डाले है ?
कौन किसका हाथ-हाथ में लिए है ?
क्‍या बदतमीजी है, कैसी संस्‍कारहीनता है ?
यह सब क्‍या है ?
यह क्‍यों हो रहा है ? यह हो रह है इसलिए कि भीतर वह जिसको दबाता है, वह सब तरफ से दिखाई पड़ रहा है। वही दिखाई पड़ रहा है।

May be an image of 1 person

युवकों से मैं कहना चाहता हूं कि तुम्‍हारे मां बाप, तुम्‍हारे पुरखे, तुम्‍हारी हजारों साल की पीढ़ियाँ सेक्‍स से भयभीत रही है। तुम भयभीत मत रहना। तुम समझने की कोशिश करना उसे। तुम पहचानने की कोशिश करना। तुम बात करना। तुम सेक्‍स के संबंध में आधुनिक जो नई खोज हुई है उनको पढ़ना, चर्चा करना और समझने की कोशिश करना कि सेक्‍स क्‍या है।
क्‍या है सेक्‍स का मैकेनिज्म ?
उसका यंत्र क्‍या है ?
क्‍या है उसकी आकांक्षा ?
क्‍या है उसकी प्‍यास ?
क्‍या है प्राणों के भीतर छिपा हुआ राज ?
इसको समझना। इसकी सारी की सारी वैज्ञानिकता को पहचाना। उससे भागना,