विशेष

एक अधूरी सी मोहब्बत….

Shyam Kumar Singh
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एक अधूरी सी मोहब्बत
शहर के सबसे खूबसूरत कोने में स्थित लाइब्रेरी में रोहित अक्सर अपनी शामें बिताता था। किताबों से उसे अजीब सा लगाव था। लेकिन आज की शाम कुछ अलग थी। वह अपनी पसंदीदा किताब “गुनाहों का देवता” पढ़ने में खोया था, तभी उसकी नजर एक लड़की पर पड़ी। गुलाबी दुपट्टा, आंखों में गहराई, और हाथ में किताब। वह बार-बार उसकी ओर देख रहा था।
सिया, जो उस लड़की का नाम था, रोहित की नजरें महसूस कर चुकी थी। लेकिन उसने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया और अपनी किताब में खोई रही। रोहित की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। आखिरकार, उसने हिम्मत जुटाई और सिया के पास जाकर बोला,

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“आपकी किताब का चयन कमाल का है। क्या हम इसे साझा कर सकते हैं?”
सिया ने मुस्कुराते हुए कहा,
“शायद, लेकिन पहले आपको बताना होगा कि आप इसे क्यों पसंद करते हैं।”
यहीं से उनकी बातों का सिलसिला शुरू हुआ। हर शाम वे लाइब्रेरी में मिलते, किताबों और जीवन पर बातें करते। धीरे-धीरे, उनकी दोस्ती गहरी होती गई और रोहित को एहसास हुआ कि वह सिया से प्यार करने लगा है।

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एक दिन, उसने सिया को लाइब्रेरी के पास वाले पार्क में बुलाया। नर्वस होते हुए उसने कहा,
“सिया, मैं तुम्हें कुछ कहना चाहता हूं। तुम मेरी हर सोच, हर किताब, हर ख्याल का हिस्सा बन चुकी हो। क्या तुम मेरे साथ हमेशा रहोगी?”
सिया थोड़ी देर तक चुप रही। फिर उसकी आंखों में आंसू आ गए।
“रोहित, मैं भी तुमसे प्यार करती हूं, लेकिन मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं है। मुझे कैंसर है, और डॉक्टरों ने कहा है कि मेरे पास केवल कुछ महीने बचे हैं।”
रोहित के दिल को गहरा धक्का लगा, लेकिन उसने सिया का हाथ थाम लिया।

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“अगर हमारे पास सिर्फ कुछ महीने हैं, तो चलो उन्हें सबसे खूबसूरत बना देते हैं। तुम्हारे साथ बिताया हर पल मेरे लिए अनमोल है।”
उस दिन से, रोहित और सिया ने हर पल को जी भरकर जिया। वे छोटी-छोटी चीजों में खुशियां ढूंढते, किताबों पर चर्चा करते, और प्यार का हर रंग महसूस करते।
सिया की बीमारी ने उसे छीन लिया, लेकिन रोहित के दिल में उसकी यादें हमेशा जिंदा रहीं। सिया ने उसे सिखाया था कि प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं, बल्कि देने और हर पल को खूबसूरत बनाने का नाम है।
यह कहानी एक अधूरी मोहब्बत की है, लेकिन शायद सबसे गहरी।

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वीना रस्तोगी
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सारे पुरुषों को स्त्री के नजदीक आने का मतलब ये नही होता कि वो उनसे देह सुख पाना चाहते है…
हां ये सच जरूर होता है कि उनको अच्छी स्त्री का साथ पसन्द होता है, परन्तु जरूरी नही की ये साथ देह की तरफ लेकर जाए…
बहुत से पुरुष अपने एकाकीपन की वजह से, या फिर मन की भावनाओं को सांझा करने के उद्देश्य से, या फिर एक ऐसी मित्रता के लिये स्त्री से सम्बंध रखना चाहते हैं जिस रिश्ते में स्त्री पुरुष का मतभेद ही न हो। बस वो अपने ह्रदय को किसी के आगे खोलकर रख देना चाहते हैं।और एक खास बात ये भी है कि ऐसे साफ दिल के ज़्यादातर पुरुषों का मित्रता निवेदन स्त्रियों द्वारा स्वीकार भी नही होता .…….

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क्योंकि इन पुरुषों के निवेदन में चतुराई नही होती, फरेब नही होता और आजकल बिना इन संसाधनों के स्त्री के मन पर कब्जा नही किया जा सकता,
चतुर व फ़रेबी पुरुष किसी न किसी तरीके से स्त्रियों को अपने मकड़जाल में अवश्य फंसा लेते हैं
वो किसी एक स्त्री का इतना इंतज़ार भी नही करते क्योंकि उनको उनसे कोई ह्रदय सम्बंधित जुड़ाव नही होता
जिस पुरूष का किसी स्त्री से जुड़ाव यदि ह्रदय तल से हुआ है तो वो उसके लिये इंतज़ार करता है कितना इंतज़ार ये तो किसी को मालूम नही…!…

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Shila Shimpy
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चार लाइनों का रहस्य
*चार मिले चौसठ खिले,,,*
*बीस रहे कर जोड़,,,*
*प्रेमी प्रेमी दो मिले,,,,*
*खिल गए सात करोड़,,,*

एक बुजुर्ग ने यह कहावत पूछी मुझसे,,, काफी सोच विचार के बाद भी मैं तो बता नहीं पाया,,, मैंने कहा बाबा आप ही बताइए न,,,
तब एक रहस्यमय मुस्कान के साथ समझाने लगे–देखो भगवन,, यह बड़े रहस्य की बात है,, चार मिले–मतलब जब भी कोई मिलता है तो सबसे पहले दोनों के नयन मिलते हैं आपस में,, इसलिए कहा चार मिले,, फिर कहा चौसठ खिले–यानी बत्तीस बत्तीस दांत,, दोनों के मिलाकर चौसठ हो गए,, चार मिले चौसठ खिले,,

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बीस रहे कर जोड़–दोनों हाथों की दस उंगलियां,, दोनों व्यक्तियों की 20 हुई,, बीसों मिलकर ही एक दूसरे को प्रणाम की मुद्रा में हाथ बरबस उठ ही जाते हैं,,,
प्रेमी प्रेमी दो मिले–जब दो प्रेम करने वाले मिले,, यह बड़े रहस्य की बात है,, क्योंकि मिलने वाले प्रेमी न हुए तो न बीस रहे कर जोड़ होगा और न चौसठ खिलेंगे,,,
शरीर में रोम की गिनती करनी असम्भव है वैसे तो लेकिन मोटा मोटा साढ़े तीन करोड़ कहते हैं कहने वाले,,,तो कवि ने अंतिम रहस्य भी प्रकट कर दिया–प्रेमी प्रेमी दो मिले–खिल गए सात करोड़,,

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जब कोई मिलता है ऐसा अन्तर्हृदय में बसा हुआ तो रोम रोम खिलना स्वाभाविक ही है भाई,,, जैसे ही कोई ऐसा मिलता है तो अंतिम पंक्ति में पूरा रस निचोड़ दिया है,,खिल गए सात करोड़,, यानी रोम रोम खिल जाना स्वाभाविक ही है,,,
भई वाह आनंद आ गया,,, कहावतों में कितना सार छुपा है,,,एक एक शब्द चासनी में डूबा हुआ,,,हृदय को भावविभोर करता हुआ,,,

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દોસ્તો ની દુનિયા મોજ મસ્તી
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जब किसी विवाहित स्त्री से प्रेम हो जाता है, तो बहुत सी बातें ध्यान में रखनी पड़ती हैं। उसके पति के घर आने का समय गिनना पड़ता है, कुकर की सीटीयों का ध्यान रखना पड़ता है, और बीच-बीच में यह देखना होता है कि कहीं गली में कोई नहीं आ रहा। यह भी सुनिश्चित करना होता है कि उसने चूल्हा बंद किया या नहीं, और उसके परिवार की भी परवाह करनी होती है। हर दिन उसके बेटे के हालचाल पूछने होते हैं।

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रातों को जगकर कई संदेश लिखने पड़ते हैं, प्रेम को शब्दों में बताना पड़ता है। उसकी बुझी हुई आँखों में झाँकते हुए कई शामें और रातें गुजारनी पड़ती हैं। उसका प्रेम निश्छल होता है, इसलिए उसकी पसंद-नापसंद को देर तक सुनना होता है। कभी-कभी उसके लिए खुद को गुलाब बनाना पड़ता है, उसके झुमकों पर ज़ुल्फ़ की तरह ढलना पड़ता है। उसके पति पर झुंझलाहट होने के बावजूद उसके दर्द को सुनना पड़ता है।

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उसके ज़ख़्म और घावों को देखकर रो-रोकर उन पर मरहम लगाना होता है। उसे चूमकर अपनी बाहों में भरकर यह यकीन दिलाना होता है कि आप हमेशा उसके साथ हैं। उसके दुःख को चुपचाप समझाना होता है और यह बताना होता है कि आप उसके साथ हर परिस्थिति में खड़े हैं। उसकी सास की बेवजह की बातें, ननद-भौजाई की साजिशें—इन सब से उसका ध्यान हटाना होता है। उसे समझाना होता है कि आपका प्रेम उससे सच्चा है, और उसकी नाराज़गी में भी उसे हँसाना होता है। जब वह चुप होती है, तब उससे सवाल करने पड़ते हैं और उसे बड़े प्यार से अपने पास बुलाना होता है। उसे यह यकीन दिलाना पड़ता है कि प्रेम एक खूबसूरत एहसास है, और आप उसके हमेशा साथ है,,,,,,,🫂😃😀😃😀