ब्लॉग

सीरिया में आतंकवादियों के हमले, ज़ायोनी शासन के ताज़ा दम होने के लिए और साथ ही हिज़्बुल्लाह को सांस न लेने देने के लिए है : रिपोर्ट

पार्सटुडे – एक विश्लेषक के अनुसार, सीरिया और इराक़ में युद्ध से बचे हुए आतंकवादी आईएसआईएस से ज्यादा मजबूत नहीं हैं और यह चीज़ प्रतिरोध को आतंकियों के सफाई अभियान में मददगार साबित होगी।

लेख- लेबनान और ज़ायोनी शासन के बीच युद्धविराम की शुरुआत के साथ ही, इज़राइल और उसके पश्चिमी सहयोगियों से जुड़े कई मीडिया ने तेल अवीव की छवि को विजेता के रूप में दिखाने की कोशिश की जिसकी कई पक्षों ने आलोचना की ख़ासकर सीरिया की घटनाओं के बाद।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार, रिसालत अखबार ने “मोहम्मद काज़िम अंबारलूई” के एक लेख को प्रकाशित किया जिसमें वह इस विषय पर अपना पक्ष रखते हुए लिखते हैं:

1- खूनी वियतनाम युद्ध के दौरान तत्कालीन अमेरिकी विदेशमंत्री हेनरी किसिंजर ने एक रणनीतिकार के रूप में कहा था: अगर गुरिल्ला ग्रुप नाकाम नहीं होता है तो वह विजयी होता है, लेकिन क्लासिक और आधिकारिक सेना अगर जीत नहीं पाती है तो वह हार जाती है।

इस क़ानून और नियम के आधार पर अमेरिकी सरकार ने वियतनाम युद्ध में पहले युद्धविराम और फिर शांति को स्वीकार किया और वियतनाम में युद्ध अपराध, नरसंहार, सामूहिक हत्या, बच्चों और महिलाओं के नरसंहार सहित ख़ूनी नरसंहार को समाप्त कर दिया।

इसी सिद्धांत व नियम के आधार पर नेतन्याहू ने हिज़्बुल्लाह के साथ युद्ध विराम स्वीकार कर लिया। इस नियम के अनुसार हिज़्बुल्लाह की जीत हुई और ज़ायोनी शासन को करारी हार का सामना करना पड़ा। ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन भी इसी रास्ते पर आगे बढ़ेगा।

हैफ़ा, तेल अवीव और मक़बूज़ा क्षेत्रों के उत्तरी हिस्सों में हिजबुल्लाह द्वारा प्रतिदिन 200 से अधिक रॉकेट और ड्रोन फ़ायर किए जाने से पता चला कि हिज़्बुल्लाह ज़िंदा है और सांस ले रहा है और इस क्षमता के साथ महीनों तक ज़ायोनी शासन को परेशान कर सकता है।

सीज़ फ़ायर के मुद्दे पर पहली प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिबरमैन, लैपिड और गैंट्ज़ ने इज़राइल की हार स्वीकार कर ली जबकि इज़राइल के समाचारपत्रों ने भी यही बात क़बूल की।

लेबनानी जनता और हिज़्बुल्लाह के कमांडरों में जीत की भावना एक हक़ीक़ी सपना था जो साकार हुआ और जिससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता

2- नेतन्याहू द्वारा हार स्वीकार करने की सात स्पष्ट वजहें हैं।

(A) – दक्षिणी लेबनान से मिसाइलों की बारिश और ड्रोन की उड़ान एक पल के लिए भी नहीं रुकी।

(B) – लेबनान की दक्षिण की सीमा से लगे मक़बूज़ा क्षेत्रों के उत्तर के निवासी अपने घरों को नहीं लौट सके।

(C) – सीज़फ़ायर वार्ता में इज़राइल 1701 समझौते में फेर बदल नहीं कर सका।

(D) – इज़राइल दक्षिणी लेबनान में ज़मीनी हमलों में बुरी तरह नाकाम था और उसके सैनिक लगातार बड़ी संख्या में मारे जा रहे थे।

(E) – इज़राइल के अंदर नेतन्याहू विपक्ष और विरोधियों के भारी दबाव में थे।

(F) – पेजर और वायरलेस युद्ध के हताहतों की संख्या और ग़लत कमांडरों की टारगेट किलिंग का असर ग़लत साबित हुआ। हिज़्बुल्लाह ने “स्वयंनिर्माण” सिस्टम का इस्तेमाल करके नुक़सान की जल्द से जल्द भरपाई कर ली।

(G) – नेतन्याहू घोषित लक्ष्यों में से कोई भी हासिल करने में कामयाब नहीं हुए।

3- युद्धविराम के डेढ़ घंटे बाद उत्तरी सीरिया के अलेप्पो में ही अचानक युद्ध छिड़ गया। यह कोई आकस्मिक घटना नहीं थी।

इससे पता चला कि अमेरिका और ज़ायोनी शासन ने पहले ही हार की भरपाई के बारे में सोच रखा था।

तुर्किये और इज़राइल तथा कुछ अरब देशों द्वारा समर्थित तकफ़ीरी ग्रुप, पीठ पर खंजर के रूप में सामने आए हैं।

यह काम ज़ायोनी शासन के ताज़ा दम होने के लिए और साथ ही हिज़्बुल्लाह को सांस न लेने देने के लिए है।

वे सीरिया पर हमला करके फ़िलिस्तीन और लेबनान के कनेक्शन में आना चाहते हैं। सीरिया और इराक़ में युद्ध से बचे हुए आतंकवादी आईएसआईएस के रक्त पिपासिओं और अपराधियों से ज्यादा मज़बूत नहीं हैं।

उनका सिर पत्थर से कुचल दिया जाएगा, इसमें देर सवेर होगी, लेकिन यह होना अटल है। प्रतिरोध ने साबित कर दिया है कि वह “युद्धप्रेमी” नहीं बल्कि “योद्धा” और “युद्ध जानने” वाला है।

उत्तरी सीरिया में तकफ़ीरी आतंक का उभरना, एक प्रकार का खेल कूद नहीं है, उन्हें जल्द ही कठोर सज़ा दी जाएगी।

4- पश्चिम एशिया में हालिया राजनीतिक और सैन्य घटनाक्रम के बीच युद्धविराम की खबरें और सीरिया में आतंकवादियों की उदंडता, एक महत्वपूर्ण मोड़ है।

सीआईए, मोसाद और पेंटागन की रसोई में, अमेरिकी और ज़ायोनी खलनायक खाना पका रहे हैं ताकि नई अमेरिकी सरकार, मानवाधिकारों के उल्लंघन, सामूहिक हत्या और नरसंहार के लिए अपनी भूख भड़का सके।

परमाणु क्षेत्र में खेल के परिणाम सभी को पता है। गवर्नर्स काउंसिल की दुष्टता के नतीजे में ईरान की नई परमाणु रणनीति, निर्णायक जवाब के रूप में सामने आई है।

लेबनान में भी खेल का नतीजा सामने आ गया था। सीरिया में खेल जारी है जबकि ग़ज़ा में प्रतिरोध के लड़ाके अब भी मैदान में ज़बरदस्त टक्कर दे रहे हैं।

इराक़ में प्रतिरोधकर्ताओं ने अपनी मिसाइल और ड्रोन की दुकान के शटर बंद नहीं किए और यमन के खेल का नतीजा, अभी भी प्रतिरोध के पक्ष में 3-0 से है। (AK)

* लेख में प्रकाशित विचार लेखक के निजी विचार हैं और तीसरी जंग का इससे सहमत होना ज़रूरी नहीं है।