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धन्य हैं हम कि इस समय के साक्षी रहे!
Kavita Krishnapallavi ============== धन्य हैं हम कि इस समय के साक्षी रहे! ये इक्कीसवीं सदी के शुरुआती सौभाग्यशाली दशक थे जब विकटतम तिमिराच्छन्न दिनों के बावजूद हिन्दी भाषा के सभी अच्छे कवि इतने अच्छे थे, इतने अच्छे थे कि फ़ासिस्ट और हत्यारे तक उनकी कविताई के क़ायल थे I उनके दिल इतने अच्छे थे, इतने […]
बेचारे पापा क्या करते….#लक्ष्मी कान्त पाण्डेय की कलम से
पापा आफिस में पहुंचे ही थे कि स्कूल से फोन आया! सुरीली आवाज में एक मैम बोलीं – “सर! आप की बेटी जो सेकंड क्लास में है, मैं उसकी क्लास टीचर बोल रहीं हूँ। आज पैरंट्स टीचर मीटिंग है। रिपोर्ट कार्ड दिखाया जाएगा। आप अपनी बेटी के साथ टाईम से पहुंचें।”.. बेचारे पापा क्या करते। […]
….आख़िर तुम्हारा भाई मरा कैसे”
जल्दी करो, जल्दी करो, देर हो रही है… कितनी देर लगाती हो एक टिफ़िन देने में”…..प्रफुल्ल बाबू ने झल्लाते हुए अपनी पत्नी मीतू से कहा । “आ गई, आ गई….अब आसमान सिर पर मत उठाईये… लीजिए अपना टिफ़िन , ख़ुद सुबह उठने में देर करते हैं औऱ सारा दोष मेरे मत्थे मड़ देते हैं…. इसे […]