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यूं ही खुले अंबर के नीचे कभी……पूजा भूषण झा कवयित्री की रचना पढ़िये!
पूजा भूषण झा, वैशाली, बिहार =========== हां तुम और मैं….✍️✍️(नई रचना) यूं ही खुले अंबर के नीचे कभी दूर तक खुली मैदान के बीच बैठकर हम दोनों घंटों तक साथ हो कभी चांदनी रात में और बात करते रहें निरंतर तुम और मैं, हां तुम और मैं। कुछ दुख अपना बांटे तुमसे कुछ सुख की […]
“मैडम!…आपको जो असुविधा हुई, उसके लिए बहुत खेद है!
Deepak Modi ========== एक सुन्दर महिला ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं। उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है। जिसके दोनों ही हाथ नहीं है। महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई। वह ‘सुंदर’ महिला, एयरहोस्टेस से बोली ” […]
बुआ जी….मुंडन संस्कार की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई थी, बस एक बुआ ही थीं, जो नहीं आईं थीं!
चित्र गुप्त =============== बुआ जी ****** घर में मध्यम दर्जे की गहमागहमी का माहौल था। उल्लास में फूला ने सुबह से ही पूरा घर सिर पर उठा रखा था। गिनती के कुछ रिश्तेदार दुआर पर खटिया डाले बैठे हुए थे। अखंड रामायण का पाठ थोड़ी देर पहले ही समाप्त हुआ था। हवन कराने के लिए […]