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#लखराव_का_पेड़ा : बिहार के गोपालगंज, छपरा, सीवान सहित उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती ज़िले के लोग लखराब का पेड़ा पसंद करते हैं!

अनूप नारायण सिंह
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इस खास व्यंजन को बनाने के लिए दूध को जलाया नहीं जाता है बल्कि उसे सुखाया जाता है धीमी आंच पर इसलिए इसका टेस्ट अपने आप में अनूठा होता है।यह पेड़ा 5 किलो दूध से 1 किलो तैयार होता है इसमें चीनी नहीं डाला जाता दूध की नैसर्गिक मीठास ही इसको अलग बनाती है।गोपालगंज जिले के भोरे प्रखंड में अवस्थित लखराव हथुआ राज द्वारा स्थापित ऐतिहासिक शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, पर अब इसकी पहचान धार्मिक स्थलों के साथ ही साथ यहां मिलने वाले विशेष प्रकार के पेड़े के कारण भी हो गई है यहां मिलने वाले पेड़े का टेस्ट पूरे बिहार में आपको कहीं नहीं मिलेगा तस्वीरों में जो पेड़ा दिख रहा है और विशेष प्रकार का होता है मिठास एकदम बैलेंस में। इसमें में चीनी नहीं डाला जाता है सोंधी खुशबु के साथ। कीमत ₹500 प्रति किलो।

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लखराब का पेड़ा बिहार के गोपालगंज, छपरा, सीवान सहित उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिले के लोग पसंद करते हैं. यही वजह है कि लोग जब भी इस इलाके से गुजरते हैं पेड़ा खाना और साथ ले जाना नहीं भूलते हैं. गोपालगंज जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर भोरे रोड से सटा एक छोटा सा बाजार लखराब है. इस छोटे से बाजार में 17 से 18 पेड़ा की दुकाने हैं.

इस रास्ते से गुजरने वाले लोग लखराब में थोड़ी देर रुककर यहां के मशहूर पेड़े का स्वाद जरूर चखते हैं.यहां हर वक्त पेड़ा बनते रहता है. लेकिन ज्यादा मात्रा में पेड़ा नहीं बनाया जाता है. दुकानदार चुल्हे पर कड़ाही में 3 से 5 तीन किलो दूध हर वक्त खौलाते रखते हैं. ग्राहक का ऑर्डर आने पर सामने हीं पेड़ा बनाकर दे दिया जाता है.एक किलो शुद्ध पेड़ा तैयार करने में करीब 5 लीटर दूध और उसमें स्वादानुसार चीनी की मात्रा मिलाई जाती है. तब जाकर शुद्ध पेड़ा बनता है. लखराव में शुद्ध दूध से बनने वाले इस पेड़े की गुणवत्ता के कारण लोग दूरदराज से यहां पहुंचते हैं.

शादी-विवाह हो या फिर कोई त्योहार, यहां से लोग पेड़ा लेकर जाना नहीं भूलते हैं.पेड़ा दुकानदार योगिंदर कुमार ने बाताया कि लखराब में आपको पेड़ा 10 रुपये पीस में मिलेगा. वहीं 500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से ग्राहकों को बेचा जाता है. एक दुकान में रोजाना लगभग 50 किलो दूध की खपत है. प्रत्येक दुकानदार सुबह से शाम तक में 5 किलो तक पेड़ा बेच लेता है. वहीं 3 से 4 हजार तक का कारोबार आसानी से हो जाता है. पेड़ा खाने आए अनिल कुमार ने बताया कि यहां पेड़े की खास बात है कि चीनी काफी कम डाला जाता है. जिससे खाने में अलग ही टेस्ट आता है. यहां का पेड़ा शुद्ध के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होता है.