मेरठ।केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान नई नस्ल की गाय और भैंस तैयार कर रहा है, जो आज की नस्ल के पशुओं से दोगुना दूध देंगी। बुधवार को केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान में एनिमल फिजियोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया सोसायटी के तत्वावधान में शुरू हुए तीन दिवसीय 32वें वार्षिक सम्मेलन और संगोष्ठी में डॉ. एके मोहंती ने यह बात कही। उन्होंने चूहे, छिपकली, मछली, बकरी, भैंस, ऊंट, गोवंश आदि जीव जंतुओं पर किए गए शोध पर मिली उपलब्धियां और भविष्य की उम्मीदें बताईं।
केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके मोहंती ने कहा कि पशुधन उत्पादकता बढ़ाने और किसानों के कल्याण के लिए ओमिक्स प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी भूमिका है। देश के संस्थानों में गाय और भैंस पर शोध किए जा रहे हैं।
एक गाय, भैंस के अंडों से 10-10 बच्चे हो रहे पैदा
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व उपमहानिदेशक एवं पं. दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विवि मथुरा के पूर्व कुलपति पद्मश्री डॉ. मोतीलाल मदान ने कहा कि पहले गाय 14 माह में केवल एक बच्चा देती थी, लेकिन अब नई तकनीक से एक गाय और भैंस के अंडों से 10-10 बच्चे पैदा हो रहे हैं। वह भी अच्छी नस्ल के अधिक दूध देने वाले बच्चे। हालांकि गाय से पैदा हो रहे बैल यानी सांड की उपयोगिता को लेकर सरकारी स्तर पर काम किए जाने की जरूरत है।
छावनी क्षेत्र स्थित केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान में डॉ. मोतीलाल मदान ने बातचीत में कहा कि देश के अनुसंधान संस्थानों में नई तकनीक से बड़ा कार्य चल रहा है। इसका लाभ किसानों की आय और उत्पादन पर भी दिखेगा। देश के संस्थानों में गाय और सांड को उन्नत बनाने का काम चल रहा है, ताकि देश में दूध की भी कमी न रहे। उन्होंने कहा कि हमारे देश के नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट में विश्व का पहला ऐसा शोध हुआ, जिसमें परखनली के माध्यम से भैंस के गर्भ में अंडा प्रत्यारोपित करके बच्चा पैदा किया गया। भैंस का दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में बड़ा योगदान है। इस दृष्टि से हमने भैंस की उन्नत किस्म में शोध किया।