सेहत

तीखा चटपटा नमक, ये नमक बहुत काम की चीज़ है!

अरूणिमा सिंह
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तीखा चटपटा नमक!
आपकी रसोई में किसी मसाले की कमी चल जाएगी लेकिन इस की कमी नहीं रहनी चाहिए।
ये नमक बहुत काम की चीज है।

आपको या बच्चों को शाम में भूख लगी है तो रसोई घर में सुबह का बना भोजन टटोल कर देखिए रोटी या चावल जो भी मिल जाए निकाल लाइए।
अगर चावल है तो उसमें ये नमक डालिए, सरसों तेल डालिए, आम का मसाले सहित अचार डालिए खट्टा खाना नहीं पसंद है तो भरवां मिर्च का मसाला डाल लीजिए और सबको अच्छी तरह से मिला कर खाइए।

पेट भी खुश, जीभ तृप्त, स्वास्थ्य के हिसाब से भी नुकसान देह नहीं है और इसका अदभुद स्वाद मोमो बर्गर से कहीं ज्यादा बढ़िया होता है।
अगर रोटी मिली है तो भी चटपटा नमक डाल कर सरसों तेल, घी, मक्खन जो भी पसंद हो अच्छी तरह से चुपड़ कर रोल बना कर काट काट खा जाईए!
कुछ लोगों का सवाल होता है कि सरसों का कच्चा तेल खाने में कैसा लगता है?

दरअसल बाजार का सरसों तेल आवश्यकता से अधिक झांस देता है लेकिन हमारे यहां घर की सरसों से तेल पेराया जाता है उसमें इतनी तीखी महक नहीं होती है इसलिए उसे हम सब बड़ी आसानी से कच्चा खा सकते हैं।

गृह वाटिका से निकली ताजी भिंडी, तरोई, नेनुआ, कद्दू, लौकी की सब्जी हमारे यहां लोहे की कड़ाही में सरसों तेल डालकर लहसुन हरी मिर्च का डाढ़ा लगाकर सिर्फ यही तीखा चटपटा नमक डालते हैं और धीमी धीमी आंच में पका कर बनाते हैं। इन हरी सब्जियों में हल्दी या अन्य कोई मसाला नहीं डाला जाता है। सिर्फ चटपटा नमक डाल कर बनी ये सब्जी बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है।

बाकी सबकी अपनी अपनी पसंद होती है आप मसालेदार, प्याज टमाटर इत्यादि डाल सकते हैं। परंतु मेरे ख्याल से जिस सब्जी को सादा बनाने का विकल्प हो उसे सादा ही बनाने का प्रयास करना चाहिए ताकि अत्यधिक मसाले के सेवन से बचा जा सके।

हरी सब्जी की तरह ही हमारे यहां सर्दियों के आलू पालक या सरसों बथुआ वाले साग भी सिर्फ तड़का लगाकर यही नमक डाल कर बनाए जाते हैं।
बचपन में इस नमक का महत्त्व तो सबको ही पता होगा।

काजल में नमक रखकर पुड़िया बनाकर, आधी तोड़कर चाकू के रूप में प्रयोग करने के लिए ब्लेड हम सबके पास लगभग हरदम कपड़ों में छिपा रहता था।
जिधर भी कच्चे आम, इमली, नींबू, आंवला मिल गया उधर ही तोड़कर काटकर नमक लगाया और खा लिया।

इस मौसम में चने और मटर के कोमल कोमल कोपल का साग इस नमक संग खाइए आनन्द आ जाएगा।

यूं तो सर्दियों में आपको मूंगफली बेचने वाले हर शहर में मिल जायेंगे लेकिन जो गर्म गर्म मूंगफली संग चटपटा नमक दे वो दुकानदार कम ही मिलते हैं।
हां हमारे यहां के सारे दुकानदार आपको काले नमक की पुड़िया के साथ इस चटपटे नमक की चटनी रूपी पुड़िया भी देंगे। आप को मूंगफली पसंद आए न आए लेकिन ये नमक खाते ही आप कह उठेंगे..

अहा! नमक बड़ा अच्छा है!
आलू के मेढ़ पर तैयार मूली धूप में बैठकर इस नमक संग खाना भी बहुत लोग पसंद करते हैं। मूली खाइए या शलगम खाइए बस इस नमक संग खाइए फिर स्वाद देखिए।
भुने या उबले आलू संग इसे खाइए, भुने चने, लाइया, मक्की के दाने खाइए।

भिगोए कच्चे चने में डालकर खा जाईए, सलाद में मिलाकर खा लें।

यूं तो इसे बनाना बहुत आसान है परन्तु सीजन के अनुसार इसकी सामाग्री में अंतर आ जाता है।
सर्दी में हरी मिर्च, लहसुन, लहसुन की पत्तियां, हरि धनिया के बीज, हरी धनिया पत्ती, नमक डाल कर सिल लोढ़ा से पीस लीजिए।(ये नमक गीला होने की वजह से जल्दी खराब होता है) यूं तो आपको चटनी लगेगी लेकिन चटनी के अपने कुछ नियम होते हैं।
मां कहती है कि चटनी मतलब नमक कम और तीखा अधिक हो और खटास तो बेहद जरूरी है।
जबकि चटपटे नमक में नमक की मात्रा अधिक होती है।

गर्मियों में जब आप को ये नमक बनाना हो तो लहसुन, सूखी लाल मिर्च, साबुत धनिया, जीरा, नमक, काला नमक डाल कर पीस लीजिए और किसी डिब्बे में डालकर स्टोर कर लिजिए। ये नमक एक हफ्ते तक बिन खराब हुए आराम से चल जाएगा।

हमारे बचपन में तो सारे काम सिल बट्टे पर होते थे इसलिए जब भी इस नमक की जिसको जरूरत पड़ी उसी समय पिस लिया और प्रयोग कर लिया। ज्यादा पीसा गया तो भले ही कटोरी में डालकर रख दिया इसलिए हमारे सिल लोढ़े को नमक पीसने से फुर्सत नहीं मिलती थी सब लोग बारी बारी से अपने अपने टेस्ट के हिसाब से पीसा और खाया करते थे।

यूं ये नमक एक, उपयोग अनेक हैं।
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अरूणिमा सिंह