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1992 की बात है, जब तक हालात समान्य नही हुए लालू जी वही डटे रहे…

Awesh Tiwari
@awesh29
1992 की बात है, बिहार के सीतामढ़ी जिले में दशहरे के बाद अचानक से दंगे भड़क उठे थे. विधायक शाहिद अहमद खान ने लालू प्रसाद यादव जी को फोन कर स्थिति की जानकारी दी! लालू ने कहा अच्छा ठहरो , मैं आता हूँ . फिर क्या था बस थोड़ी देर बाद मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर सीतामढ़ी लैंड कर गया.

लालू यादव के पहुँचने के पहले जबरदस्त आगजनी , मार लूट काट पाट पत्थरबाजी मची थी. हिन्दू मुसलमान भिड़े हुए थे. लालू जी ने एक जीप मंगाई और फिर उस खुली जीप में बैठे एवं शहर की ओर निकल पड़े. वो लाउडस्पीकर लेकर चिल्ला के बोलने लगे– “सब घर के अंदर चले जाओ, नही तो पुलिस देखते ही गोली मार देगी”

उस रोज पूरे दिन वो सीतामढ़ी का चक्कर लगाते रहे, ग़जब यह था कि उन्हें देखते ही देखते भीड़ घर के अंदर चली जाती. लालू जी ने पुलिस को हवाई फायरिंग करने से ज्यादा और कुछ इस्तेमाल न करने की ताकीद दी. थोड़ी ही देर में माहौल शांत हो गया. हांलाकि इसे दंगे में कुछ लोगों की जान भी चली गई थी! जब तक हालात समान्य नही हुए लालू जी वही डटे रहे.

लालू जी ने उस दौरान सीतामढ़ी के कई गांव का दौरा किया और लोगों से मिल जुल कर रहने की अपील भी की! और इस तरह एक बड़ा दँगा होने से टल गया. सीतामढ़ी के लोग आज भी उस वाकये को याद करते हैं.