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भारत में केंद्र सरकार ने कोचिंग सेंटरों के भ्रामक विज्ञापनों के ख़िलाफ़ सख़्त रुख़ अपनाया, दिशानिर्देश जारी किए!

भारत में केंद्र सरकार ने कोचिंग सेंटरों के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ सख्त रूख अपनाया है. झूठे दावे करने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं और लाखों रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

जब भी यूपीएससी, नीट या जेईई जैसी किसी प्रतियोगी परीक्षा का परिणाम सामने आता है तो उसके अगले दिन के अखबार कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों से भरे दिखते हैं. इन विज्ञापनों में बताया जाता है कि अमुक कोचिंग सेंटर के कितने बच्चों ने परीक्षा में सफलता हासिल की. साथ ही परीक्षा में टॉप करने वाले बच्चों के फोटो भी छापे जाते हैं. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि एक ही छात्र का फोटो दो अलग-अलग कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों में दिखाई देता है. इससे यह पता नहीं चल पाता कि टॉपर छात्र ने वास्तव में किस कोचिंग सेंटर से पढ़ाई की है.

इस स्थिति में सुधार लाने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इसमें बताया गया है कि किस स्थिति में कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों को भ्रामक माना जाएगा. साथ ही कोचिंग संचालकों को भविष्य में किन बातों का ध्यान रखना होगा. यह दिशानिर्देश पूरे कोचिंग क्षेत्र पर लागू होंगे. जहां 50 से ज्यादा बच्चों को कोचिंग दी जाएगी, उसे कोचिंग सेंटर माना जाएगा. लेकिन खेल, नृत्य, नाटक और अन्य रचनात्मक गतिविधियों को इससे अलग रखा गया है.

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क्यों पड़ी विज्ञापनों के लिए नियमों की जरूरत?
सीसीपीए ने अपने नोटिफिकेशन में कहा कि कोचिंग सेंटर कमाई बढ़ाने के लिए झूठे या भ्रामक विज्ञापन बनाते हैं. वहीं, कुछ कोचिंग सेंटर जानबूझकर जरूरी जानकारी छिपाते हैं और झूठी गारंटी देते हैं, जिससे लोग भ्रमित हो सकते हैं. ऐसे भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए ही दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं, जिससे छात्र और आम जनता सुरक्षित रहें. ये दिशानिर्देश 13 नवंबर 2024 से लागू हो चुके हैं.

ऑल इंडिया रेडियो की एक खबर के मुताबिक, सीसीपीए की मुख्य आयुक्त निधि खरे ने भ्रामक विज्ञापनों का एक उदाहरण भी दिया. उन्होंने बताया, “नौ कोचिंग संस्थानों के दावों के अनुसार, 2022 की सिविल सेवा परीक्षा में उनके कुल 2,600 स्टूडेंट चयनित हुए थे. जबकि उस साल कुल चयनित अभ्यर्थियों की संख्या एक हजार ही थी.” इसके बाद प्राधिकरण ने 45 यूपीएससी कोचिंग सेंटरों को नोटिस भेजा और 18 कोचिंग सेंटरों पर करीब 55 लाख रुपए का जुर्माना लगाया. उन्हें भ्रामक विज्ञापन बंद करने का निर्देश भी दिया गया.

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किस तरह भ्रमित करते हैं कोचिंग सेंटर
पिछले साल सीसीपीए ने कई यूपीएससी कोचिंग सेंटरों के भ्रामक विज्ञापनों का स्वत: संज्ञान लिया था. इनमें बायजू आईएएस, एनालॉग आईएएस अकेडमी, खान स्टडी ग्रुप और राव आईएएस जैसे बड़े नाम शामिल थे. इन मामलों की जांच में सामने आया कि कोचिंग संस्थान किस तरह झूठी या आधी-अधूरी जानकारी देकर अभ्यर्थियों को भ्रमित करते हैं.

इसे खान स्टडी ग्रुप के एक उदाहरण से समझते हैं. इस कोचिंग सेंटर ने दावा किया था कि यूपीएससी में चयनित हुए 933 अभ्यर्थियों में से 682 इनके यहां के हैं. लेकिन सीसीपीए की जांच में पता चला कि इनमें से 674 अभ्यर्थियों ने तो कभी इस कोचिंग में पढ़ाई की ही नहीं थी. वे सिर्फ कोचिंग सेंटर के मॉक इंटरव्यू प्रोग्राम का हिस्सा थे, जो मुफ्त में उपलब्ध करवाया जाता है. लेकिन सिर्फ इसी चीज के बलबूते पर कोचिंग सेंटर ने उन सभी उम्मीदवारों को अपना बताकर पेश कर दिया.

इसी तरह, बायजू आईएएस ने 2015 से 2020 तक उसके करीब 1,270 अभ्यर्थियों के यूपीएससी में सफल होने का दावा किया. लेकिन उनमें से 90 फीसदी ने सिर्फ बायजू के मॉक इंटरव्यू में हिस्सा लिया था. क्लासरूम कोर्स में पढ़कर सफल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 40 से भी कम थी. इन मामलों से पता चला कि कोचिंग सेंटर मॉक इंटरव्यू या टेस्ट सीरीज देने वाले अभ्यर्थियों को भी अपना बताकर प्रचारित कर देते हैं.

सीसीपीए ने इन कोचिंग संस्थानों को झूठे या भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने का दोषी माना और ऐसे विज्ञापनों पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने का निर्देश दिया. सीसीपीए ने बायजू आईएएस और एएलएस आईएएस पर 10-10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया. खान स्टडी ग्रुप पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगा. इसके अलावा, एनालॉग आईएएस एकेडमी, चहल एकेडमी, इकरा आईएएस इंस्टीट्यूट और राव आईएएस पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया.

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क्या कहते हैं नए नियम?
अगर कोई कोचिंग सेंटर चयनित अभ्यर्थियों की संख्या, उनकी रैंकिंग या सफलता की दर से जुड़ा झूठा दावा करता है, तो उसे भ्रामक विज्ञापन माना जाएगा. कोचिंग सेंटर चयन की गारंटी, नौकरी की सुरक्षा, नौकरी में प्रमोशन, वेतन में बढ़ोत्तरी या परीक्षा में सफलता दिलवाने के झूठे दावे नहीं कर सकेंगे. कोचिंग सेंटरों को फीस और कोचिंग छोड़ने से जुड़े नियमों के बारे में भी सही जानकारी देनी होगी.

कोचिंग सेंटरों को विज्ञापनों में सफल उम्मीदवारों के नाम, तस्वीर या वीडियो का इस्तेमाल करने से पहले उनकी लिखित अनुमति लेनी होगी. यह अनुमति चयन होने के बाद ही ली जा सकेगी. विज्ञापन में उम्मीदवार के नाम और तस्वीर के साथ उसके कोर्स के बारे में भी बताना होगा. यह भी जानकारी देनी होगी कि क्या उम्मीदवार ने उस कोर्स के लिए फीस का भुगतान किया था.

कोचिंग सेंटरों को अपने विज्ञापनों में डिस्क्लेमर और अन्य जरूरी जानकारी को प्रमुखता से दिखाना होगा. कोचिंग सेंटर के बुनियादी ढांचे और उसमें मिलने वाली सुविधाओं के बारे में सटीक जानकारी देनी होगी. इसके अलावा, हर कोचिंग सेंटर को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के साथ साझेदारी करनी होगी, जिससे छात्र भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार प्रथाओं से संबंधित शिकायतें आसानी से कर सकें.

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लगातार बड़ा हो रहा है कोचिंग जगत
भारत में विद्यार्थी आमतौर पर 10वीं या 12वीं कक्षा के बाद कोचिंग लेने की शुरुआत कर देते हैं. कोई नीट या जेईई परीक्षा पास करने के लिए कोचिंग करता है तो कोई सेना में जाने के लिए. बड़ी संख्या उन युवाओं की भी है, जो सरकारी नौकरी की चाह में कोचिंग का सहारा लेते हैं. कई शहर तो कुछ खास परीक्षाओं की कोचिंग के लिए मशहूर हैं. जैसे- दिल्ली के मुखर्जी नगर और राजेंद्र नगर यूपीएससी कोचिंग के लिए जाने जाते हैं और राजस्थान का कोटा शहर जेईई और नीट परीक्षा की तैयारी करने के लिए लोकप्रिय है.

कोरोना महामारी के बाद अभ्यर्थियों के लिए ऑनलाइन कोचिंग का विकल्प भी खुल गया है. इसमें वे घर बैठे-बैठे विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं. इसके अलावा, कोचिंग जगत में फिजिक्सवाला और अनअकेडमी जैसे कई स्टार्टअप्स भी अपनी मजबूत जगह बना चुके हैं. इन्होंने पहले से स्थापित कोचिंग संस्थानों को कड़ी टक्कर दी है. इससे कोचिंग सेंटरों के लिए विज्ञापनों का महत्व और बढ़ गया है.

इसके साथ ही, बीते पांच सालों में कोचिंग सेंटरों से होने वाला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह भी दोगुना हो गया है. केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने इसी साल जुलाई में राज्यसभा में इससे जुड़ी जानकारी दी थी. आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 में कोचिंग सेंटरों से 2240 करोड़ रुपए का जीएसटी इकट्ठा किया गया था. वित्त वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 5,500 करोड़ रुपए के पार चला गया. इससे कोचिंग जगत के लगातार बढ़ते आकार का अंदाजा लगाया जा सकता है.

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आदर्श शर्मा