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मैं तुझे ढ़ूंडता फिरता हूँ ज़माने भर में…. शक़ील सिकंद्राबादी की दो ग़ज़लें
Shakeel Sikandrabadi =============== ग़ज़ल मेरी गुफ्तार सदाक़त का बयाँ ठहरी है मेरी हर बात यूँ ज़ालिम को गिराँ ठहरी है हाए ये कैसा रहे इश्क़ में आया है मक़ाम बात करने लगीं आँखें तो ज़बाँ ठहरी है मैं तुझे ढ़ूंडता फिरता हूँ ज़माने भर में ऐ ख़ुशी ये तो बता दे तू कहाँ ठहरी है […]
‘मैं इतनी तरह के अपमान सहता रहा, जिनकी गिनती करना कठिन है, सिर्फ़ इसलिए कि….हत्यारों और सौदागरों का लोकतंत्र…
Kavita Krishnapallavi =================== ‘मैं इतनी तरह के अपमान सहता रहा, जिनकी गिनती करना कठिन है : सिर्फ़ इसलिए कि मेरी कविता सस्ती होकर एक रिरियाहट बनने से बची रहे।’ ~ पाब्लो नेरुदा __________________ हिन्दी कविता के परिदृश्य के सन्दर्भ में, ‘यश की कामना और अमरत्व के लिए मैंने इतनी तिकड़में कीं, इतनी जुगत भिड़ाई, इतनी […]
#दिल_पे_मरने_वाले_मरेंगे_भिखारी….By-मनस्वी अपर्णा
मनस्वी अपर्णा ======= #दिल_पे_मरने_वाले_मरेंगे_भिखारी कल “बारहवीं फेल” फिल्म देखी वाकई अच्छी फिल्म है, लेकिन कुछ दृश्यों और उनके अभिनेताओं ने कई मायनों में इस फ़िल्म को एक ख़ास ऊंचाई दी है…. फिल्म के तीन दृश्यों में मेरे लाख रोके से भी आंसू रुक नहीं पाए, ऐसा अक्सर होता है ऐसे कई गीत हैं जिनके बोल […]