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इस दिन पूरा ख़ानदान आँवले के पेड़ के नीचे इकट्ठा होता था!

Shwetabh Pathak
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गाँवों में आंवला नवमी के एक दिन पहले आँवला के पेड़ के नीचे साफ सफाई की जाती थी । मिट्टी के चूल्हे बनाये जाते थे उस पेड़ के नीचे ।
फिर आँवला नवमी के दिन सुबह आंवला के पेड़ की पूजा होती थी ।

इस दिन पूरा खानदान आँवले के पेड़ के नीचे इकट्ठा होता था ।

चाहे आपस में कितना भी मनमुटाव चल रहा हो या लड़ाई चल रही हो , सब इकट्ठे होते थे ।

स्त्री पुरुष से लेकर बूढ़े बच्चे सभी । इसे आप वर्ष का GET TOGETHER भी बोल सकते हैं ।

इस दिन पूरे खानदान में खाना नहीं बनता था ।

आज का खाना सभी स्त्रियाँ आँवले के पेड़ के नीचे बनायेंगी ।

सभी पुरुष स्त्री बूढ़े बच्चे आपस में बातचीत, खेल इत्यादि करते हुए पूरा समय एक साथ बिताते थे ।
स्त्रियाँ गाते हुए खाना बनाती थी ।

फिर सभी खानदान के सभी परिवार जिसने जो बनाया है आपस में बाँट कर खाते थे ।

भोजन में आंवले की पत्तियाँ डाली जाती थी और आँवला खाने को दिया जाता था ।

इस प्रक्रिया से आपसी मनमुटाव दूर हो जाता था और खानदान की एकजुटता दिखती थी । आपसी सहयोग, भाईचारा, आपसी सुख दुख का आदान प्रदान होता था ।


कितना सुंदर प्रारूप बनाया था हमारे ऋषि मुनियों ने एक सूत्र में पिरोने के लिए ।
आँवले से तन तो स्वस्थ्य बनता ही था, साथ ही साथ इस एक दिन के GET Together से सबकी दूरियाँ भी मिट जाती थी ।
भगवान विष्णु और भगवान शंकर की पूजा का भी प्रावधान रखा गया ताकि सब इस हेतु अपनी आत्मिक उन्नति भी कर सकें ।
मतलब शारीरिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक एवं सामाजिक विकास का मुख्य उद्देश्य हमारे सभी त्योहारों में निहित है ।
आप हमारे कोई भी त्योहार उठा लीजिये, वह हर विधा से प्रकृति संरक्षण से अवश्य जुड़ा हुआ होता है ।

आँवले की पूजा का अर्थ है कि इस पेड़ को संरक्षित रखो, क्योंकि इस पेड़ का हर पदार्थ हमारे अन्नमय एवं मनोमय कोष को बलिष्ठ बनाकर सात्विक विचार को बलिष्ठ बनाएगा जिससे हम तेजी से आध्यात्मिक उन्नति कर मानव शरीर के मुख्य प्रयोजन भगवदप्राप्ति कर सकें, आनंद प्राप्ति कर सकें, सत्य की प्राप्ति कर सकें या ज्ञान की प्राप्ति कर सकें ।

शहर वालों को तो पता ही नहीं होगा कि आंवला नवमी भी कोई चीज़ है । आजकल के बच्चों ने तो आँवला का पेड़ भी नहीं देखा होगा या उसे पहचानते भी नहीं होंगे ।

जानते हैं क्यों ??? क्योंकि वह advance हो चुके हैं और विकास कर रहे हैं ।

इसलिए अपने बच्चों को हर त्योहार का महत्व और उद्देश्य बताकर उनको जमीन से जुड़े रहने की शिक्षा दें, तभी उनका भौतिक, आध्यात्मिक, नैतिक, शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक विकास हो सकेगा ।

अन्यथा वह विनाश वाले विकास के रास्ते पर चल पड़ेंगे और यही आप किसी वृद्धाश्रम में पड़े या अपने एक छोटे से कमरे में पड़े मृत्यु की विनीत भरे स्वर में प्रार्थना और याचना कर रहे होंगे ।

इसी के साथ आंवला नवमी की हार्दिक शुभकामनायें ।। 💐

– श्वेताभ पाठक