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वो महिला स्कूल आई तो देखा, ताला लगा हुआ था…
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ============= करीब 32 साल पुरानी बात है, मेरे घर के बाजू में एक बुजुर्ग आंटी अकेले रहती थीं, वो शासकीय सहायता से गरीब बच्चों के लिऐ स्कूल चलाती थीं, जो आर्थिक योगदान उन्हें मिलता था उससे वो अपना जीवन यापन करती थीं बच्चो को खाने के नाम पर सिर्फ़ लकड़ियों से मार […]
ग़ज़ल : सर्द रातों के ये दुशाले से…हैं भरे बर्फ़ के पियाले से…By-कुसुम शर्मा अंतरा
Kusum Sharma Antra ============= ग़ज़ल खोना हूं कुछ पाना हूं मैं भी इक मयख़ाना हूं मुझ में वक्त का दरिया है सिर्फ़ मैं आना जाना हूं दुनिया ने ठुकराया है मैं सदियों का ताना हूं हूं बेशक गुलकंद सी पर नफ़रत का पैमाना हूं मुझ को समझ न पाओगे मैं तो इक अफ़साना हूं तंज […]
अब मैं हर इतवार सुबह 9:30 से 12:30 बजे तक अपना समय महिला वृद्ध आश्रम में बिताती हूं
Madhu Singh ============= समय का दान “मीना इतवार को तो तेरी छुट्टी होती है फिर कहां से आ रही है। पिछले रविवार भी मैंने देखा था सुबह सुबह भाग रही थी ।”सरोज ने अपनी पड़ोसन मीना से पूछा । “बस कुछ खास नहीं । मैं हर इतवार को महिला वृद्धाश्रम जाती हूं ।”मीना ने कहा […]