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लौकी में जीरा, हुरहुर, हींग का तड़का

अरूणिमा सिंह
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अभी जल्दी ही भोजन बनाना सीखा था इसलिए पानी, नमक का अनुपात कम ज्यादा होता रहता था जिसे मां, बाबू जी बिन किसी शिकायत के चुपचाप खा लेते थे परंतु मुझे तो भोजन की कमी का अंदाजा हो जाता था इसलिए मैं अगले दिन उस कमी को ध्यान में रखकर भोजन बनाती थी।

धीरे धीरे भोजन बनाने में हाथ सधने लगा था कि एक दिन अरहर दाल को मेथी दाने से छौंक दिया।

उस दिन बाबू जी भोजन तो कर लिया लेकिन एक किस्सा सुनाया कि कि कैसे उनके कार्यकाल के दौरान उनके रूम पार्टनर ने यूं मेथी दाने से छौंक लगाया था और सभी मित्रों ने मिलकर सारी दाल भोजन बनाने वाले को ही खिलाकर खत्म करवाई थी। उसके बाद उसने अच्छी तरह से भोजन बनाना सीख ही लिया था और कभी गड़बड़ नहीं की।

खैर बाबू जी ने मुझे सजा तो नहीं परन्तु सीख जरूर दी।

आलू के साथ बनने वाली गोभी, मटर, बैगन इत्यादि में मेथी दाना और प्याज का तड़का।
लौकी में जीरा, हुरहुर, हींग का तड़का।

कद्दू में हींग, साबुत लाल मिर्च, सरसों दाने का तड़का।

भिंडी, तरोई, नेनुआ, चिचिंडा जैसी हरी सब्जी में हरी मिर्च और लहसुन का तड़का।

सरसों, बथुआ, पालक, सोया, मेथी जैसे साग में भी हरी मिर्च और लहसुन का तड़का।

गर्म मसाला वाली सब्जी में प्याज, जीरा, तेजपत्ता और थोड़े से साबुत गर्म मसाला का तड़का।

कच्चे यानी ठंडे मसाले वाली सेम, ग्वार फली, सनई फूल जैसी सब्जियों में भी सरसों हींग लाल मिर्च का तड़का।

अरहर दाल में लहसुन, मिर्च, जीरे का तड़का।

उड़द दाल में हींग जीरा का तड़का।

अरबी यानी घुइयां में हींग, अजवाइन, मेथी दाने का तड़का।

बाकी आप सब लोग अपने स्वाद अनुसार अदरक या अन्य चीजें डाल सकते हैं कोई दिक्कत नहीं है।

बाबू जी के सिखाए अनुसार आज भी मेरी रसोई में यही तड़के लगते हैं और बच्चों को भी यही पसंद है।

हुरहुर को ज़खिया या जख्या भी कहते हैं हुरहुर के दाने संरक्षित करके रखने का यही सबसे उत्तम समय है।

मुझे तो आलू की रसेदार सब्जी में भी इसका तड़का अच्छा लगता है। इसके दाने जब दांतों के नीचे आते हैं तो क्रंची और सोधेपन का बहुत बढ़िया स्वाद आता है।

तस्वीर में हुरहुर का पेड़ फूल, फली समेत है इसलिए आप सबको पहचान करने में आसानी होगी।

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मत निकाला करो भोजन में कमियां,
तुम्हे अच्छा खिलाने के लिए माता पिता ने खाई है बिटिया के हाथ की बनीं कच्ची पक्की जली रोटियां।।
अरूणिमा सिंह