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सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कैबिनेट के आदेश से कैसे बदला जा सकता है, ये मामला दिलचस्प है : यूपी कैबिनेट का बड़ा फ़ैसला

भारत समाचार | Bharat Samachar
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यूपी कैबिनेट में एक गुपचुप फैसला हुआ जो देर रात सार्वजनिक हुआ।

मामला चौंकाने वाला है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश को कैबिनेट के आदेश से कैसे बदला जा सकता है। ये मामला दिलचस्प है।

यूपी कैबिनेट का बड़ा फैसला।

अब यूपी में ही तय होगा डीजीपी, यूपीएससी को नहीं भेजा जाएगा पैनल।

अब यूपी के डीजीपी का कार्यकाल दो साल का होगा।

कैबिनेट ने यूपी के डीजीपी के चयन के लिए नियमावली पर लगाई मुहर।

प्रशांत कुमार को पूर्णकालिक डीजीपी बनाने की तैयारी। उन्हें दो साल का फिक्स कार्यकाल भी मिल सकता है, ऐसी चर्चा देर रात शुरू हुई है।

कैबिनेट का प्रस्ताव शायद प्रशांत को स्थाई डीजीपी बनाने के लिए लाया गया है।

पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश(यूपी के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं निर्देशावली 2024 को कैबिनेट ने दी मंजूरी।

हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी डीजीपी का चयन ।
कमेटी में मुख्य सचिव, यूपीएससी की ओर से नामित एक व्यक्ति ,उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनकी ओर से नामित व्यक्ति, अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव गृह और एक रिटायर डीजीपी कमेटी में होंगे ।

डीजीपी वही बनेगा जिसकी कम से कम 6 महीने की नौकरी बची हो ।

एक बार चुने जाने के बाद दो साल तक डीजीपी को कार्यकाल मिलेगा।

अलीगढ़

➡रुपये लेनदेन के विवाद में महिलाओं के बीच चाकूबाजी

➡एक महिला को चाकू मारकर किया गया घायल

➡पुलिस ने घायल को जिला अस्पताल पहुंचाया

➡ऊपरकोट नगर कोतवाली के ठाकुर वाली गली की घटना

अलीगढ़

➡मछली पकड़ने से मना करने पर दबंगों ने पीटा

➡बचाव में आई पत्नी का डंडा मारकर तोड़ा हाथ

➡पुलिस दम्पति को लेकर पहुंची जिला अस्पताल

➡डॉक्टरों ने जेएन मेडिकल कॉलेज किया रेफर

➡पुलिस मामले की जांच पड़ताल में जुटी

➡खैर थाना इलाके के पूर्वी फतेहगढ़ी की घटना

HC ने यूपी सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा दायर हलफनामे पर जताई आपत्ति, चेतावनी देते हुए लगाई फटकार

हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) द्वारा दायर हलफनामे पर आपत्ति जताई है। जिसमें उन्होंने इस आधार पर अदालत की उपस्थिति से छूट की गुहार लगाई थी कि उन्हें मुख्यमंत्री की उपस्थिति वाले एक कार्यक्रम में शामिल होना था! इस हलफनामे पर हाई कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त को चेतावनी दी। कोर्ट ने कहा यदि निर्धारित अगली तिथि तक न्यायालय के आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की पीठ ने अपने आदेश में कहा, “किसी अन्य संवैधानिक प्राधिकारी द्वारा तय किए गए कार्यक्रम के कारण अदालत की कार्यवाही में देरी नहीं होनी चाहिए, जिसमें अवमाननाकर्ता अपनी उपस्थिति को आवश्यक समझता है।” एकल न्यायाधीश लक्ष्मण प्रसाद कुशवाहा द्वारा 2009 में दायर अवमानना ​​याचिका पर विचार कर रहे थे, जिसमें उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन न करने के लिए अधिकारियों को उनके वेतन और वेतन बकाया को मंजूरी देने का निर्देश दिया था।

यूपी सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) ने इस आधार पर छूट की गुहार लगाई कि उन्हें मिशन शक्ति, चरण -5 नामक योजना के उद्घाटन कार्यक्रम में उपस्थित होना आवश्यक था, जिसमें मुख्यमंत्री भाग ले रहे थे, अदालत ने अनुरोध की निंदा की क्योंकि यह देखा गया कि दलील ऐसी नहीं थी कि उनकी अनुपस्थिति को माफ किया जा सके‼️

हालांकि, अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) के उच्च पद को देखते हुए, न्यायालय ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) की अनुपस्थिति को माफ करते हुए उन्हें चेतावनी दी कि यदि निर्धारित अगली तिथि तक न्यायालय के आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद, अंतिम अवसर के रूप में, न्यायालय ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे या तो रिट कोर्ट द्वारा पारित आदेश का अनुपालन करें और निर्धारित अगली तिथि (11 नवंबर) तक अनुपालन हलफनामा दाखिल करें या आरोप तय करने के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों।