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——– अबकी बार, ले चल पार ——-By-रवीन्द्र कान्त त्यागी
Ravindra Kant Tyagi =================== ——– अबकी बार, ले चल पार ——- छुट्टी के अब मात्र पांच दिन बचे हैं. जब से ऑस्ट्रेलिया से लौटा हूँ, कॉलेज के ज़माने के एक भी मित्र से मुलाकात नहीं हुई. पांच साल लंगे समय के थपेड़ों ने सब को जहां तहां बखेर दिया है. हर शाम उदास सा इस […]
एक और प्रोफ़ेसर साहब का क़िस्सा, विख्यात धार्मिक फ़ासिस्ट संगठन के नेता भी थे जो अपने को राष्ट्रवादी सांस्कृतिक संगठन कहता था!
Kavita Krishnapallavi =============== एक और प्रोफेसर साहब का किस्सा आपको एक और प्रोफेसर साहब का बेहद दिलचस्प किस्सा सुनाती हूँ जो प्रोफेसर होने के साथ ही एक ऐसे विख्यात धार्मिक फासिस्ट संगठन के नेता भी थे जो अपने को राष्ट्रवादी सांस्कृतिक संगठन कहता था I शहर का नाम नहीं बताऊँगी! ज़रूरत भी क्या है ! […]
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो….By-सुदर्शन फ़ाक़िर
“ये दौलत भी ले लो” : सुदर्शन फ़ाकिर ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन वो काग़ज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी मुहल्ले की सबसे निशानी पुरानी वो बुढ़िया जिसे बच्चे कहते थे नानी वो नानी की बातों […]