लखनऊ । शायद यह पहला मौका था जब शिया सुन्नी दौनो समाज के लोगों के एक साथ बैठ कर रोज़ा इफ्तार किया और साथ साथ ह एक सफ में खड़े हो कर अल्लाह के बारगाह में अपना सर झुका कर दुआएं की ।
हजरत इमाम हसन की विलादत के मौके पर मंगलवार को सुन्नी व शिया रोजेदारों नेमस्जिदे हैदरी में रोज़ा इफ्तार में शामिल हो कर सुन्नी व शिया रोजेदारों ने एकता की मिसाल कायम की. हैदरी फाउंडेशन ओर से न्यू हैदराबाद गोमती नदी के किनारे स्थित हैदरी मस्जिद में आयोजित रोज़ा इफ्तार किया ।
सुन्नी समुदाय के लोग एक साथ इफ्तार में शामिल हुए । हालांकि दोनों ही समुदाय के इफ्तार का वक्त अलग अलग होने की वजह से शिया समुदाय ने सुन्नी रोजेदारों के बाद इफ्तार किया ।
इफ्तार के बाद मौलाना अबुल इरफ़ान मियां ने मगरिब की नमाज़ अदा कराई. मौलाना की इमामत में दोनों ही समुदाय के लोगों ने नमाज़ अदा की । फाउंडेशन के अध्यक्ष नवेद रिज़वी ने मीडया को बताया कि रोज़ा इफ्तार का मकसद लखनऊ की गंगा जमुनी तहज़ीब को बढ़ावा देने के साथ साथ मुसलमानों में एकता का पैग़ाम भी देना था ।
फाउंडेशन के सदस्य चाँद मिर्ज़ा ने इफ्तार में शामिल मेहमानों का शुक्रया अदा किया. वहीं आलमबाग एलडीए कालोनी स्थित समुदाइक केंद्र में सामूहिक रोज़ा इफ्तार का आयोजन किया गया, इफ्तार में मुख्य अतिथि इल्यास ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महतो शामिल हुए.। मौलाना ने इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज़ अदा कराई ।