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”मैक्रोन भ्रमित नहीं हैं वो जानते हैं कि ऐसा करके वह बाक़ी दुनिया को स्पष्ट संदेश देते हैं कि फ्रांस, अमेरिका से अलग है”

अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक विश्लेषण में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के इज़राइली शासन को हथियारों की सप्लाई बंद करने के संबंध में बार-बार दिए गए बयानों का ज़िक्र करते हुए इन बयानों को फ़्रांस के एक स्वतंत्र विश्व शक्ति बनने के इरादे की बुनियाद क़रार दिया है।

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने हाल ही में तेल अवीव के लिए हथियारों की सप्लाई बंद करने की मांग की थी और यह तर्क दिया था कि इज़राइल को हथियार भेजना, ग़ज़ा और लेबनान में युद्धविराम घोषित करने के देशों की अपील के ख़िलाफ़ है। यह एक ऐसा मुद्दा बन गया जिसने इज़राइली अधिकारियों को नाराज़ कर दिया है।

इस संबंध में पार्सटुडे के अनुसार, “न्यूयॉर्क टाइम्स” ने लिखा: यह पहली बार नहीं है कि मैक्रॉन ने इस तरह का प्रस्ताव रखा है। पिछले महीने मैक्रॉन ने संयुक्त राष्ट्र संघ में इज़राइल को हथियार प्रदान करने पर रोक लगाने का भी आह्वान किया था। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में कहा था कि युद्धविराम स्थापित करने का दबाव हथियारों को सौंपने के विपरीत है।

Sulaiman Ahmed

@ShaykhSulaiman

BREAKING: Macron says stopping all weapons exports to Israel is the ONLY solution to ending the wars in Gaza and Lebanon.

 

न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख में आया है: पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि मैक्रॉन के बयान उनकी व्यक्तिगत शैली के अनुरूप हैं, एक शैली जिसके आधार पर वह एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय शक्ति बनने के लिए फ्रांस के पारंपरिक आदर्श को बचाने का इरादा रखते हैं।

विश्लेषकों के अनुसार, मैक्रोन की शोहरत, मूल रूप से इस साहसिक और कभी-कभी विघटनकारी विदेश नीति की वजह से है। पश्चिम एशिया के विशेषज्ञ और फ्रांसीसी थिंक टैंक “जीन जौर फाउंडेशन” के सदस्य डेविड खलफ़ा का भी मानना ​​है: ये शब्द, इजराइल के संबंध में फ्रांसीसी कूटनीति की स्पष्टता में एक प्रश्नचिह्न लगाते हैं।

दूसरी ओर, बैरूत में फ्रेंच यूनिवर्सिटी ऑफ़ सेंट जोसेफ़ में पश्चिम एशियाई अध्ययन के प्रोफेसर करीम एमील बिटर ने कहा: जब आप विदेश नीति में दोनों पक्षों को संतुष्ट रखने की कोशिश करते हैं, तो आप दोनों पक्षों को अलग-थलग कर देते हैं।

फ्रांसीसी विदेश नीति विशेषज्ञ और कार्नेगी पीस फाउंडेशन की सदस्य रीम मुमताज कहती हैं: लेबनान एक ऐसी जगह है जहां फ्रांस अभी भी एक महाशक्ति की तरह काम कर सकता है, भले ही वह अब एक महाशक्ति न हो तब भी।

इस राजनीतिक विशेषज्ञ ने कहा: मैक्रोन भ्रमित नहीं हैं और जानते हैं कि उनके शब्दों से इज़राइल को अमेरिकी सरकार के सैन्य समर्थन पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन ऐसा करके वह बाक़ी दुनिया को स्पष्ट संदेश देते हैं कि फ्रांस और शायद यूरोपीय जनता की स्थिति, अमेरिका से अलग है।”

इस बीच, फ्रांसीसी विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरो ने हाल ही में एलान किया था कि इज़राइल की सुरक्षा की गारंटी केवल सैन्य बल द्वारा नहीं दी जा सकती है और इसके लिए राजनयिक समाधान की आवश्यकता होगी।