कैथल के एस.पी. मक़सूद अहमद, क़ानून के साथ-साथ वह कविताओं और ग़ज़लों से भी वफ़ा निभाते आ रहे हैं
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Ravi Press
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‘पुलिस’ यह एक शब्द सुनते ही सख्त लहजे, कड़े व्यवहार और कठोर व्यक्तित्व की छवि जहन में उभर आतीहै। इन सबके साथ एक पुलिस नौकरशाह के सीने में अगर कोमल शायर दिल पलता हो तो कहने ही क्या। हम बात कर रहे हैं कैथल के एस.पी. मकसूद अहमद की, जो दिखने में जितने सौम्य हैं, उनका व्यक्तित्व भी उतना ही सरल और शायराना है।
मकसूद अहमद कानून की धाराओं के साथ-साथ वह कविताओं और गजलों से भी बराबर वफा निभाते आ रहे हैं। हिन्दी और उर्दू पर बराबर पकड़ रखते हुए आई.पी.एस. मकसूद अहमद अपनी पुलिस ड्यूटी के साथ-साथ शायरी और कविताएं लिखने में भी समय बिताते हैं। बचपन से ही खेलों से दूरी बनाए रखी थी। उन्हें बस किताबें पढऩे और शायरी का शौक है। अभी भी जैसे ही समय मिलता है तो गजलें-कविताएं लिखते हैं और कहीं मंच मिल जाए तो शायरी सुनाते भी हैं। देश का हर युवा आई.ए.एस. और आई.पी.एस. बनने का सपना देखता है। ज्यादातर युवाओं के लिए यह सपना ही बनकर रह जाता है तो कुछ युवा अपने इस सपने को साकार कर पाते हैं। कैथल के एस.पी. मकसूद अहमद ने आई.पी.एस. बनने तक का सफर पंजाब केसरी से सांझा किया।
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कविताओं में झलकती है मासूमियत उनकी कविताओं की मासूमियत का अंदाजा उनकी इस कविता से लगाया जा सकता है। कविता का शीर्षक है तू औरत है। कुछ पंक्तियां यूं हैं :
-मां भी है तू बेटी भी तू, बहन भी है तू बीवी भी तू ममता की तू तो मूरत है, औरत है तू औरत है, लक्ष्मी भी तू काली भी तू है सरस्वती भवानी तू इस जमीं पे खुदा की तू सूरत है तू औरत है तू औरत है।
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पत्नी व पिता का रहा है आई.पी.एस. बनने में योगदान
एस.पी. ने कहा कि मेहनत ही सफलता का मूलमंत्र है। सफलता हासिल करने का कोई शार्टकट नहीं है। युवाओं को नशे से दूर रहना चाहिए और अपने तय किए गए लक्ष्य को पूरा करने के लिए हर संभवप्रयास करना चाहिए। बता दें कि एस.पी. मकसूद अहमद मूल रूप से नूंह मेवात के रहने वाले हैं।
पिता शिफात खान बैंक मैनेजर थे, जो रिटायर्ड हो चुके हैं। पत्नी वाजिदा अहमद और पिता का उनके आई.पी.एस. बनने में खास योगदान रहा है।
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इंजीनियरिंग के बाद की एम.बी.ए.
एस.पी. मकसूद अहमद ने बताया, मेरी पहली से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई अलवर केंद्रीय विद्यालय में हुई। उसके बाद 2005 में अलवर स्थित आई.ई.टी. कालेज से इलैक्ट्रिक में इंजीनियरिंग की। इंजीनियरिंग करने के बाद आई.एम.टी. गाजियाबाद से एम.बी.ए. की। एम.बी.ए. करने के बाद 5 सालों तक
प्राइवेट क्षेत्र में नौकरी की। इस दौरान मैंने रिलाइंस लाइफ इंश्योरेंस, इंडिया मार्ट डॉट काम और एजुकेशन सैक्टर में एच.आर. हैड के पद पर कार्यरत रहे।
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आई.पी.एस. और आई.ए.एस. बनने का था सपना
आई.पी.एस. मकसूद अहमद ने बताया कि साल 2010 में उनकी शादी हो गई थी। पत्नी को पता था कि उनका सपना आई.ए.एस. और आई.पी.एस. बनने का था। साल 2013 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी और यू.पी.एस.सी. की तैयारी शुरू कर दी थी। पहली बार में ही उनका प्री और मेन पास हो गया था, लेकिन साक्षात्कार में रह गए थे। कुछ दिन तक उदास रहे, लेकिन परिवार के लोगों ने दोबारा तैयारी करने के लिए कहा। साल 2014 में दोबारा से तैयारी की और आई.आर.टी.एस. रेलवे में नौकरी मिल गई, लेकिन उनका सपना अभी भी अधूरा था। साल 2015 में तीसरी बार फिर प्रयास किया और इस
बार उन्हें 611 रैंक मिला। ओ.बी.सी. कैटेगरी में उनका चयन आई.पी.एस. में हो गया।
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ट्रेनिंग के बाद रोहतक एस.एच.ओ. की पहली पोस्टिंग
एस.पी. ने बताया कि ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सबसे पहले उन्हें रोहतक सदर थाने में थाना प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई। कुछ महीने के बाद उन्हें ए.एस.पी. रोहतक लगा दिया गया। उसके बाद नारनौल का अतिरिक्त एस.पी. लगाया गया। साल 2020 में बल्लभगढ़ डी.सी.पी. लगाया गया और 2020 में ही गुरुग्राम ईस्ट का डी.सी.पी. लगा दिया गया। अब कैथल में एस.पी. के पद पर सेवाएं दे रहे हैं।
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