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Maharashtra : कौन होंगे नए पार्टी प्रमुख? तीन बिंदुओं में समझें गणित

एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद से शिवसेना के अंदर उद्धव ठाकरे गुट और भी कमजोर होता जा रहा है। सियासी गलियारे में चर्चा उठने लगी है कि जल्द ही उद्धव ठाकरे को शिवसेना से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। एकनाथ शिंदे शिवसेना के नए प्रमुख बन जाएंगे। ये चर्चा यूं ही नहीं हो रही है, बल्कि मजबूत आंकड़े इसी ओर इशारा कर रहे।

आइए समझते हैं कि शिवसेना के संविधान के अनुसार उद्धव और शिंदे में से किसका दावा ज्यादा मजबूत है? क्या उद्धव ठाकरे को शिंदे बाहर का रास्ता दिखा देंगे? अगर हां तो कैसे?

महाराष्ट्र में सियासी घमासान – फोटो : तीसरी जंग

पहले जानिए शिवसेना में अब तक क्या-क्या हुआ?
2019 में महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव हुआ था। 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। देवेंद्र फडणवीस की अगुआई में पार्टी ने 105 सीटों पर जीत हासिल की। उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 42 सीटें मिलीं थीं। बाकी अन्य पर छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की।

मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर शिवसेना और भाजपा में मुख्यमंत्री पद को लेकर ठन गई। बात इतनी बढ़ी की शिवसेना ने कांग्रेस, एनसीपी के साथ मिलकर सरकार का गठन कर लिया। उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन गए। ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद भाजपा को विपक्ष में रहना पड़ा। ढाई साल बाद जून 2022 में एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर 40 शिवसैनिक विधायकों ने बगावत कर दिया। शिंदे भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहते थे, लेकिन उद्धव नहीं माने। अंत में शिंदे ने बागी 40 विधायकों और भाजपा के समर्थन से खुद सरकार बना ली। शिंदे अब मुख्यमंत्री हैं। उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा।

एकनाथ शिंदे – फोटो : तीसरी जंग

अब तक शिंदे को पार्टी में कितना समर्थन मिला?
एकनाथ शिंदे के पास अभी 41 शिवसेना विधायकों का समर्थन है। इनमें एक उद्धव गुट के विधायक भी शामिल हैं। इसके अलावा 9-12 सांसद भी शिंदे के पक्ष में बताए जा रहे हैं। सांसदों के बगावत की बात अभी खुलकर सामने नहीं आई है। हालांकि, सोमवार को उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सांसदों की बैठक बुलाई थी। इसमें 18 में से केवल 10 सांसद ही पहुंचे। आठ सांसद गैरहाजिर रहे। बताया जाता है कि ये आठ सांसद शिंदे गुट का समर्थन करते हैं। उद्धव की बैठक में पहुंचने वाले कुछ सांसद भी शिंदे के संपर्क में बताए जा रहे हैं।

शिंदे गुट में आने वाले शिवसेना सांसदों में सबसे पहला नाम उनके पुत्र कल्याण से सांसद श्रीकांत शिंदे का है। इसके अलावा रामटेक से सांसद रामकृपाल तुमाने, हिंगोली से हेमंत पाटिल, शिर्डी से सदाशिव लोखंडे, यवतमाल से भावना गवली, दक्षिण-मध्य मुंबई से राहुल शेवाले, बुलढाणा से प्रतापराव जाधव, पालघर से राजेंद्र गावित, नासिक से हेमंत गोडसे, मावल से श्रीरंग बारणे और ठाणे से राजन विचारे के नाम की चर्चा है।

ये तो सांसद और विधायकों की बात हुई। अब नगर निकाय के सदस्यों की बात कर लेते हैं। हाल ही में ठाणे नगर निगम के 67 शिवसैनिक पार्षदों में से 66 ने शिंदे गुट का दामन थाम लिया है। इसी तरह कल्याण-डोंबिवली के 55 से ज्यादा शिवसैनिक पार्षद ने शिंदे गुट को समर्थन दिया है। कल्याण डोंबिवली महानगर पालिका के अध्यक्ष राजेश मोरे भी शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं। नवी मुंबई के 32 पूर्व कॉरपोरेटर भी अब शिंदे के साथ आ चुके हैं।

उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और एकनाथ शिंदे – फोटो : तीसरी जंग

तो धीरे-धीरे पूरी पार्टी पर कब्जा कर रहे हैं शिंदे?
पहले विधायक, फिर पार्षद और अब सांसद… एक-एक करके शिवसेना के चुने हुए ज्यादातर जन प्रतिनिधियों को एकनाथ शिंदे अपने खेमे में कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या शिवसेना पर पूरी तरह से कब्जा का प्लान शिंदे कर रहे हैं?

ये समझने के लिए हमने महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप रायमुलकर से बात की। उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र की सत्ता में आने के बाद से शिंदे गुट और भी मजबूत हो गया है। ये तीन बिंदुओं में समझा जा सकता है।’

एकनाथ शिंदे – फोटो : सोशल मीडिया

1. चीफ व्हिप और विधायक दल का नेता शिंदे के साथ : मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद एकनाथ शिंदे ने ठाकरे गुट में शामिल रहे पार्टी के चीफ व्हिप सुनील प्रभु और विधायक दल के नेता अजय चौधरी को हटा दिया। खुद विधायक दल के नेता बन गए, जबकि भरत गोगावले को पार्टी का नया व्हिप नियुक्त कर दिया। किसी भी पार्टी में ये दोनों पद बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष बने राहुल नार्वेकर – फोटो : ANI

2. विधानसभा अध्यक्ष का साथ : नए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर भाजपा के विधायक हैं। ऐसे में अध्यक्ष की कुर्सी से भी शिंदे को साथ मिलेगा। शिंदे पहले ही आदित्य ठाकरे समेत ठाकरे गुट के अन्य 15 विधायकों को अयोग्यता की कार्रवाई का नोटिस भिजवा चुके हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा की कार्यवाही शुरू – फोटो : ANI

3. सांसद, पार्षद और अन्य नेताओं का भी मिला साथ : शिंदे गुट को अब तक 200 से ज्यादा पार्षदों, करीब 12 सांसदों और पार्टी के कई नेताओं का साथ मिल चुका है। ये सब अब वही करेंगे जो इनके नए नेता यानी एकनाथ शिंदे का हुक्म होगा।

बाल ठाकरे, उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे – फोटो : तीसरी जंग

पार्टी का संविधान क्या कहता है?
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप रायमुलकर कहते हैं, शिवसेना के संविधान के मुताबिक, पार्टी का मुखिया शिवसेना प्रमुख कहलाएगा। इसका चुनाव प्रतिनिधि सभा के सदस्य मिलकर करते हैं। शिवसेना प्रमुख वही बनता है जो राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य रहता है। 2018 में आखिरी बार चुनाव हुआ था, जिसमें उद्धव ठाकरे को शिवसेना प्रमुख चुनाव गया था।

प्रतिनिधि सभा में वह लोग शामिल होते हैं जो विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा, राज्यसभा या नगर निगम और नगर महापालिका के सदस्य होते हैं। यही लोग मिलकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों का भी चुनाव करते हैं।

उद्धव ठाकरे – फोटो : तीसरी जंग

तो उद्धव को पार्टी से बाहर किया जा सकता है?
हमने ये सवाल सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय से किया। उन्होंने कहा, ‘हां, अगर पार्टी के प्रतिनिधि सभा और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य चाहें तो उद्धव ठाकरे को भी पार्टी से बाहर किया जा सकता है। इसके लिए पार्टी की आम सभा बुलानी होगी। इसमें ही वह तय कर सकेंगे कि उनका नया नेता कौन होगा?’