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17 सितम्बर को लेबनान में हुए पेजर अटैक के बाद एक बार से 18 सितम्बर को लेबनान के कई शहरों में धमाके, हमले के बाद हिजबुल्लाह ने इसराइल की सीमा के अंदर भारी तबाही मचायी!

17 सितम्बर को लेबनान में हुए पेजर अटैक के बाद एक बार से 18 सितम्बर को लेबनान के कई शहरों में धमाके हुए हैं, ये धमाके हेड फ़ोन, I-फ़ोन, सोलर पैनल, लैपटॉप आदि में हुए बताये जाते हैं, हमले के बाद हिजबुल्लाह ने इसराइल की सीमा के अंदर भारी तबाही मचायी है, जानकारी के मुताबिक हिजबुल्लाह ने इस्राइली सीमा के अंदर मिसाईल और रॉकिटों से हमले किये, साथ ही भारी तोपखाने का भी इस्तेमाल किया है

हिज्बुल्लाह के सदस्य हैकिंग के डर से मोबाइल फोन की जगह पेजर इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन यह भी सुरक्षित नहीं रहा. विस्फोटों के बाद संगठन के नेतृत्व ने अपने सभी सदस्यों से कहा है कि वे तत्काल अपने-अपने पेजर फेंक दें.

लेबनान की राजधानी बेरूत में 17 सितंबर को फटे पेजर, एआर-924 मॉडल के थे. समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, इस मॉडल में एक रिचार्जेबल लीथियम आयन बैटरी है. ताइवान की कंपनी गोल्ड ओपोलो की वेबसाइट पर इसकी बैटरी लाइफ 85 दिन बताई गई थी. हालांकि, विस्फोटों के बाद कंपनी ने अपनी वेबसाइट से यह जानकारी हटा ली है.

विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी उपकरण का एक बार चार्ज करने पर इतने दिनों तक चलना लेबनान के संदर्भ में काफी अहम है. खराब आर्थिक स्थिति के कारण यहां बिजली कटना बहुत आम है. पेजर, वायरलेस नेटवर्क मोबाइल से अलग होते हैं. ऐसे में वे आपातकालीन स्थितियों के लिए भी मुफीद माने जाते रहे हैं. एपी के मुताबिक, लेबनान ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई अस्पताल अब भी पेजरों का इस्तेमाल करते हैं. समाचार एजेंसी एएफपी ने घायलों की शुरुआती संख्या 100 से ज्यादा बताई है

हिज्बुल्लाह को पेजरों पर क्यों भरोसा था?
इन फायदों के अलावा हिज्बुल्लाह के लिए पेजरों का मतलब दूरसंचार का सुरक्षित जरिया भी रहा है. माना जाता है कि लेबनान के समूचे मोबाइल फोन नेटवर्क में इस्राएल की बहुत गहरी पैठ है. सर्विलांस और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सेंधमारी के लिए इस्राएली सुरक्षा एजेंसियों और कंपनियों की तकनीकी क्षमता काफी उन्नत मानी जाती है.

भारत समेत कई देशों में सरकारों पर विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, मानवाधिकार समर्थकों और कार्यकर्ताओं की जासूसी के लिए जिस पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के आरोप लगे, उसे इस्राएल के ही एनएसओ ग्रुप ने बनाया था.

हैकिंग, टैपिंग, ट्रैकिंग और जासूसी जैसी आशंकाओं के कारण हिज्बुल्लाह नेतृत्व ने अपने सदस्यों को मोबाइल और स्मार्टफोन का इस्तेमाल ना करने का निर्देश दिया था. इसी साल फरवरी में हिज्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्ला ने संगठन के सदस्यों को स्मोर्टफोन के इस्तेमाल के प्रति आगाह करते हुए कहा था. “हमारे हाथों में जो फोन हैं, हालांकि मेरे हाथ में कोई फोन नहीं है, वे एक लिसनिंग डिवाइस (जासूसी का उपकरण) हैं.”

नसरल्ला ने आशंका जताई थी कि इनके जरिए इस्राएल हिज्बुल्लाह सदस्यों की गतिविधियां और लोकेशन जैसी जानकारियां ट्रैक कर सकता है. समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, इसके बाद हिज्बुल्लाह सदस्यों के बीच संवाद के लिए पेजरों का इस्तेमाल बढ़ गया. पेजर एक वायरलेस उपकरण है, जो मैसेज भेजने के लिए इस्तेमाल होता है. यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मुख्यतौर पर 90 के दशक में प्रचलति था. मोबाइल फोन के आने के बाद इनका इस्तेमाल घटता गया.

कहां से आए थे ये पेजर?
एपी ने हिज्बुल्लाह के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि जिन पेजरों में धमाके हुए वे नए ब्रैंड के थे. संगठन ने पहले इस ब्रैंड का पेजर इस्तेमाल नहीं किए थे. रॉयटर्स ने भी लेबनान के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के हवाले से बताया है कि हिज्बुल्लाह ने इन पेजरों को कुछ ही महीने पहले आयात किया था.

खबरों के मुताबिक, संबंधित पेजरों पर ताइवानी कंपनी ‘गोल्ड ओपोलो’ की मार्किंग थी. ये पेजर एआर-924 मॉडल के थे. कंपनी ने बताया है कि बुडापेस्ट (हंगरी की राजधानी) स्थित बीएसी कंसल्टिंग नाम की कंपनी ने इन पेजरों को बनाया था. इसी कंपनी ने पेजर बेचे भी. गोल्ड ओपोलो ने अपने बयान में कहा है कि भले ही उसने खुद ये पेजर नहीं बनाए, लेकिन बीएसी कंसल्टिंग के पास उसके ब्रैंड के इस्तेमाल का अधिकार था.

बयान के मुताबिक, “सहयोग से जुड़े करार के मुताबिक, हम बीएसी को तय क्षेत्रों में उत्पादों की बिक्री के लिए अपने ब्रैंड ट्रेडमार्क के इस्तेमाल की इजाजत देते हैं. हालांकि, उत्पाद का डिजाइन और निर्माण पूरी तरह से बीएसी की जिम्मेदारी है.” कंपनी ने बताया कि उसका बीएसी के साथ पिछले तीन साल से यह समझौता है.

बीएसी का पूरा नाम “बीएसी कंसल्टिंग केएफटी” है. कंपनी रिकॉर्डों के मुताबिक, यह मई 2022 में पंजीकृत हुई थी. एपी के अनुसार, कंपनी की निवेश की गई पूंजी 7,840 यूरो है, जबकि पिछले साल इसका राजस्व 5,93,972 डॉलर था.

ताइवान के आर्थिक मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि जनवरी 2022 से अगस्त 2024 के बीच गोल्ड अपोलो ने 2,60,000 पेजरों का निर्यात किया है. इनमें इस साल एक्सपोर्ट की गई संख्या करीब 40,000 है. हालांकि, गोल्ड अपोलो ने लेबनान को सीधे निर्यात किया या नहीं, इसपर मंत्रालय के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है.

हिज्बुल्लाह को खोजना होगा नया तरीका?
विस्फोटों के बाद हिज्बुल्लाह ने अपने सभी सदस्यों से कहा है कि वे तत्काल अपने-अपने पेजर फेंक दें. विशेषज्ञों की राय में अब हिज्बुल्लाह के आगे सुरक्षित संवाद के लिए नया साधन तलाशने की चुनौती होगी.

निकोलस रीस, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ प्रोफेशनल्स स्टडीज में इंस्ट्रक्टर हैं. उन्होंने एपी से बातचीत में कहा कि इंटरसेप्ट किए जाने की आशंका के मद्देनजर पेजर की सरल तकनीक स्मार्टफोन के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित मानी जाती रही है. उन्होंने अनुमान जताया कि हालिया घटना के बाद हिज्बुल्लाह अपनी संवाद रणनीति में बदलाव करने पर मजबूर होगा.

रीस पहले खुफिया विभाग में अधिकारी भी रह चुके हैं. वह कहते हैं कि 17 सितंबर को हुए विस्फोटों के संपर्क में आए लोग अब ना केवल “अपने पेजर, बल्कि फोन भी फेंक देंगे. (मुमकिन है) वे अपने टैबलेट्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी छोड़ दें.”

एसएम/ओएसजे (एपी, एएफपी, रॉयटर्स, डीपीए)

लेबनान: पेजर विस्फोटों में कब, क्या, कैसे, कहां

लेबनान में इलेक्ट्रॉनिक पेजरों में हुए विस्फोटों से दो बच्चों समेत 12 लोगों की जान गई है और करीब 3,000 लोग घायल हुए हैं. लगभग 200 घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है.

लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने ताजा बयान में मृतकों की संख्या 12 बताई है. समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्री फिरास अबाइद ने बताया कि मृतकों में दो बच्चों समेत चार स्वास्थ्य कर्मी भी शामिल हैं.

मीडिया को ताजा स्थिति बताते हुए उन्होंने कहा, “गंभीर हालत वाले मरीजों की संख्या 300 से कुछ ही कम है. अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे घायलों में सभी युवा नहीं थे. हमने बच्चों और बुजुर्गों को भी देखा.” स्वास्थ्य मंत्री ने विस्फोटों को बहुत व्यापक बताते हुए कहा कि आधे घंटे के भीतर ही करीब 2,800 घायल लोग अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने बताया कि गंभीर रूप से जख्मी हुए कई लोगों के चेहरे चोटिल हैं और कुछ को ब्रेन हैमरेज भी हुआ है.

ईरान और हिज्बुल्लाह, दोनों ने पेजर विस्फोटों में इस्राएल का हाथ बताया है. हिज्बुल्लाह ने इस्राएल पर जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है. अपने बयान में संगठन ने कहा, “इस आपराधिक हमले के लिए हम इस्राएली दुश्मन को पूरी तरह जिम्मेदार मानते हैं.” वहीं, ईरान के विदेश मंत्रालय ने विस्फोटों को “आतंकवादी हमला” बताते हुए कहा कि यह “मास मर्डर” का एक उदाहरण है. घायलों के इलाज के लिए ईरान ने कई मेडिकल टीमें लेबनान भेजी हैं

कब और कहां हुए विस्फोट
ये घटनाएं 17 सितंबर को हुईं. हिज्बुल्लाह द्वारा जारी बयान के मुताबिक, स्थानीय समय के अनुसार दोपहर बाद करीब 3.30 पर विस्फोट शुरू हुए. कई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 3.30 से 4.30 के बीच करीब एक घंटे के दौरान सैकड़ों पेजर फट पड़े. रॉयटर्स समेत कई समाचार एजेंसियों के मुताबिक, कई मामलों में विस्फोट से पहले पेजर पर घंटी बजी. संबंधित लोगों ने अपने पेजर जेब से निकाले. इस दौरान पेजर जब उनके हाथ में था, या मैसेज पढ़ने के लिए वे स्क्रीन को अपनी आंखों के ज्यादा पास चेहरे तक ले आए थे, तब वह फट पड़ा.

सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे कई वीडियो, जिन्हें इन विस्फोटों से संबंधित बताया जा रहा है, काफी चिंताजनक स्थिति दिखाते हैं. रेहड़ी पर फल खरीदते हुए, सड़क पर चलते हुए, बाजार से सामान लेते हुए जो जहां था, वहीं पेजर फट पड़े.

लेबनान की राजधानी बेरूत के दक्षिणी इलाके इन घटनाओं का केंद्र बताए जा रहे हैं. समाचार एजेंसियों के मुताबिक, दाहियेह और पूर्वी बेक्का घाटी समेत प्रभावित इलाके हिज्बुल्लाह का गढ़ हैं. खबरों के मुताबिक, जिन पेजरों में धमाके हुए वे ज्यादा हिज्बुल्लाह सदस्यों के थे. लेबनान के अलावा सीरिया में भी ऐसे धमाके हुए हैं.

विस्फोट कैसे हुआ?
बड़े स्तर पर तकरीबन एकसाथ हुए विस्फोटों के कारण आशंकाएं जताई जा रही हैं कि ये सुनियोजित हो सकता है. हालांकि, शुरुआत में हैकिंग या साइबर अटैक की मदद से विस्फोट कराए जाने का अनुमान जताया जा रहा था. पेजर की बैटरी फटने से भी विस्फोट का संबंध जोड़ा जा रहा था.

अब कई विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि संबंधित पेजरों की सप्लाई चेन में सेंधमारी कर उसके भीतर किसी तरह का दमदार विस्फोटक लगाया गया. यह संभावना भी जताई जा रही है कि पेजर में मैसेज भेजकर विस्फोट ट्रिगर किया गया. एक अंदाजा यह भी है कि पेजरों में रखा गया विस्फोटक रिमोट कंट्रोल से संचालित किया गया.

घटना पर क्या प्रतिक्रियाएं आईं?
लेबनान के विदेश मंत्रालय ने इन विस्फोटों को “इस्राएली साइबर हमला” बताया है. लेबनान ने इसे अपनी संप्रभुता पर भी हमला करार दिया. हिज्बुल्लाह ने कहा है कि वह इस मामले की विस्तृत जांच कर रहा है. उसने चेतावनी दी है कि इस्राएल को “सजा मिलेगी.”

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन बीती शाम ही मध्यपूर्व की यात्रा पर मिस्र पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि ना तो अमेरिका को इन हमलों की पहले से कोई जानकारी थी, ना इसमें उसकी कोई भूमिका है. ब्लिंकेन ने उन मीडिया रिपोर्टों को भी खारिज किया, जिनमें दावा किया जा रहा था कि अमेरिका को पहले से ही इस “ऑपरेशन” की जानकारी थी.

यह पूछे जाने पर कि विस्फोटों में किसका हाथ हो सकता है, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि अमेरिका को अभी इसकी जानकारी नहीं है. क्या इस घटना के कारण हमास और इस्राएल के बीच संभावित संघर्षविराम पर असर पड़ेगा, मिलर ने कहा कि अभी यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता. हालांकि, समाचार एजेंसी एपी ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया है कि 17 सितंबर को विस्फोटों के बाद इस्राएल ने इस कथित ऑपरेशन के बारे में अमेरिका को ब्रीफिंग दी है.

रूस ने भी इस घटना पर टिप्पणी की है. उसने आशंका जताई कि यह मध्यपूर्व में विस्तृत संघर्ष भड़का सकती है. रूस ने जांच कर दोषियों की पहचान करने की भी मांग की. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मीडिया से कहा, “जो हुआ, यह जो भी था, निश्चित तौर पर तनाव बढ़ाएगा. मध्यपूर्व क्षेत्र पहले ही विस्फोटक स्थिति में है और इस तरह की घटनाओं में निश्चित तौर पर, ऐसी हर घटना में, संभावना है कि वह हालात को भड़काकर बेकाबू कर दे.”

यूरोपीय संघ (ईयू) के विदेशी मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने विस्फोटों की निंदा की है. उन्होंने इस प्रकरण पर चिंता जताते हुए कहा, “मेरे विचार से यह स्थिति बेहद चिंताजनक है. मैं इन हमलों की केवल निंदा कर सकता हूं, जो लेबनान में सुरक्षा और स्थिरता को जोखिम में डालते हैं और क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाने का जोखिम रखते हैं.” बोरेल ने यह भी कहा कि भले ही ये हमले खास लक्ष्य को निशाना बनाते हुए दिख रहे हों, लेकिन इनमें बच्चों समेत आम नागरिकों को भी नुकसान पहुंचा है.

इस्राएली सेना ने अब तक इस प्रकरण पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

संघर्षविराम पर बची है कोई उम्मीद?
अमेरिका, मिस्र और कतर, हमास और इस्राएल के बीच संघर्षविराम कराने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, कई आलोचक आरोप लगाते हैं कि इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू का रुख सीजफायर के लिए बहुत उत्साहजनक नहीं है. बीते दिनों जब अमेरिका ने कहा कि संघर्षविराम पर 90 फीसदी सहमति बन चुकी है, तो नेतन्याहू ने सार्वजनिक तौर पर इस आकलन को खारिज कर दिया.

अब पेजर विस्फोटों के बाद संघर्षविराम की संभावनाएं और कमजोर होती दिख रही हैं. मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी ने 18 सितंबर को ब्लिंकेन के साथ अपनी मुलाकात में कहा कि वह उनका देश “संघर्ष को बढ़ाने और इसके क्षेत्रीय प्रसार” की कोशिशों का विरोध करता है. उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से जिम्मेदारी दिखाने की अपील की है.

एसएम/ओएसजे (एपी, एएफपी, रॉयटर्स, डीपीए)