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टीएमसी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने ”वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों” की लागत में घोटाले का आरोप लगाया!

टीएमसी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने बुधवार को वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों की लागत में घोटाले का आरोप लगाया है। हालांकि रेलवे ने उनके इस दावे को गलत सूचना बताकर खारिज कर दिया कि एक ट्रेन की लागत में 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। बता दें कि दो दिन पहले सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में साकेत गोखले ने आरोप लगाया था कि एक वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की लागत 290 करोड़ रुपये से बढ़कर 436 करोड़ रुपये हो गई है।

Saket Gokhale MP
@SaketGokhale
Very important:

Nailing the LIES & SCAM of Modi Govt on Vande Bharat train cost

Two days ago, I pointed out how cost of 1 Vande Bharat sleeper train has gone up from ₹290 crores to ₹435 crores

Railways claimed it was “misinformation”

Here’s how they’re SCAMMING 👇

Ergo:

👉 Cost of a train is NOT JUST cost of all coaches

👉 Contract of ₹58,000 crores revised from 200 to just 133 trains

👉 Cost per train gone up SHOCKINGLY from ₹290 crores to ₹435 crores

Reel Minister
@AshwiniVaishnaw
should explain who this SCAM is benefiting

 

आरोपों को रेल मंत्रालय ने बताया फर्जी खबर
रेल मंत्रालय ने इस आरोप को गलत सूचना और फर्जी खबर बताकर खारिज कर दिया और कहा कि उसने स्लीपर ट्रेनों में कोचों की संख्या 16 से बढ़ाकर 24 कर दी है, जबकि अनुबंध में कुल कोचों की संख्या स्थिर रखी है। जबकि रेल मंत्रालय ने इस निर्णय को ट्रेन यात्रा की उच्च मांग के लिए जिम्मेदार ठहराया।

रेल मंत्री बताएं किसे हो रहा फायदा?- गोखले
साकेत गोखले ने एक्स पर कई पोस्ट में रेलवे के रुख को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि अनुबंध प्रति ट्रेन के हिसाब से दिए गए थे, न कि प्रति कोच के हिसाब से। उन्होंने आगे कहा, ट्रेन की लागत में सिर्फ ‘कोच बनाने’ से कहीं अधिक शामिल है, एक ट्रेन की लागत सिर्फ सभी कोचों की लागत नहीं है। 58,000 करोड़ रुपये के अनुबंध को 200 से संशोधित कर सिर्फ 133 ट्रेनों का कर दिया गया। प्रति ट्रेन लागत 290 करोड़ रुपये से बढ़कर 435 करोड़ रुपये हो गई। इस मामले में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बताना चाहिए कि इस घोटाले से किसे फायदा हो रहा है।

उन्होंने कहा कि रेलवे ने 120 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड और रूसी फर्म मेट्रोवैगनमैश को अनुबंध दिया और 80 ट्रेनों के लिए टीटागढ़ वैगन और बीएचईएल को अनुबंध दिया। गोखले ने कहा कि अनुबंध के अनुसार, ट्रेनों की डिलीवरी पर 26,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना था, उन्होंने कहा कि रखरखाव लागत के रूप में 32,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिससे विनिर्माण लागत प्रति ट्रेन 130 करोड़ रुपये और रखरखाव की लागत प्रति ट्रेन 160 करोड़ रुपये हो गई।

अनुबंध में बदलाव किया गया- गोखले
सांसद ने आरोप लगाया कि पिछले सप्ताह अनुबंध में बदलाव किया गया, कोचों की संख्या 16 से बढ़ाकर 24 कर दी गई और ट्रेनों की संख्या 200 से घटाकर 133 कर दी गई। उन्होंने कहा कि अब प्रति ट्रेन विनिर्माण लागत 195 करोड़ रुपये है और नई रखरखाव लागत प्रति ट्रेन 240 करोड़ रुपये होगी। वहीं रेल मंत्रालय ने 16 सितंबर को गोखले के आरोप का जवाब देते हुए इसे झूठी खबर करार दिया। मंत्रालय ने कहा, हमने लंबी ट्रेनें बनाने के लिए कोचों की संख्या 16 से बढ़ाकर 24 कर दी है, जिससे अनुबंध में कोचों की कुल संख्या स्थिर रहेगी।

आरोपों पर रेल मंत्रालय का बयान
रेल मंत्रालय के अनुसार पहले अनुबंध 16 कोच वाली 200 ट्रेनों के लिए था, जिससे कुल 3,200 कोच हो गए। मंत्रालय ने कहा कि संशोधित संख्या 24 कोच वाली 133 ट्रेनों की है, जिससे कुल 3,192 कोच हो गए हैं। मंत्रालय ने बताया कि कुल अनुबंध मूल्य वास्तव में कम हो गया है, क्योंकि ट्रेन की लंबाई बढ़ाने से बचत होती है। हम रेलवे यात्रा की उच्च मांग को देखते हुए रिकॉर्ड संख्या में गैर-एसी कोच (12,000) बना रहे हैं।