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आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ईदे मीलादुन्नबी के मौक़े पर सुन्नी धर्मगुरुओं, सुन्नी मदरसों के प्रिंसपलों और जुमे के इमामों से मुलाक़ात की : रिपोर्ट

ग़ज़ा के मज़लूमों का सपोर्ट करना, निश्चित तौर पर अनिवार्य कामों में से एक है और इस फ़रीज़े से पीछे हटने पर अल्लाह के सामने जवाब देना होगा

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने सोमवार 16 सितम्बर को एकता हफ़्ते के आग़ाज़ और ईदे मीलादुन्नबी के मौक़े पर, सुन्नी धर्मगुरुओं, सुन्नी मदरसों के प्रिंसपलों और जुमे के इमामों से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में उन्होंने इस्लामी उम्मत जैसी क़ीमती पहचान की रक्षा को ज़रूरी बताया और इस्लामी एकता की अहमियत पर बल दिया और इसे नुक़सान पहुंचाने की दुश्मनों की कोशिशों की ओर इशारा करते हुए कहाः “इस्लामी उम्मत” का विषय किसी भी स्थिति में भुलाया न जाए।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने इस मुलाक़ात में कहा कि इस्लामी उम्मत की पहचान का विषय बुनियादी व राष्ट्रीयता से ऊपर का विषय है और भौगोलिक सीमाएं इस्लामी जगत की हक़ीक़त व पहचान को नहीं बदल सकतीं।

उन्होंने दुश्मन की मुसलमानों को उनकी इस्लामी पहचान की ओर से उदासीन करने की कोशिशों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह इस्लामी शिक्षाओं के ख़िलाफ़ है कि एक मुसलमान को ग़ज़ा सहित दूसरी जगहों के दूसरे मुसलमानों के दुख दर्द की कोई फ़िक्र न हो।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने सुन्नी धर्मगुरुओं से इस्लामी पहचान और इस्लामी उम्मत को आधार बनाने की अपील की और इस्लामी जगत ख़ास तौर पर ईरान में धार्मिक मतभेदों को हवा देने की दुश्मनों की पुरानी गतिविधियों व चालों की ओर इशारा किया और कहा कि

वे हमारे मुल्क सहित दूसरे इस्लामी क्षेत्रों में वैचारिक, प्रचारिक व आर्थिक हथकंडों से शिया और सुन्नी समुदाय में फूट डालना चाहते हैं और दोनों ओर के कुछ लोगों को एक दूसरे की बुराई के लिए उकसा कर मतभेद व दुश्मनी को हवा देते हैं।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने एकता को इन साज़िशों से निपटने का रास्ता बताया और बल दिया कि एकता का विषय टैक्टिक नहीं बल्कि क़ुरआनी उसूल व सिद्धांत है।

उन्होंने शिया-सुन्नी एकता को प्रभावित करने के लिए जान बूझकर या अनजाने में होने वाली कुछ हरकतों पर खेद जताते हुए कहाः

इतनी सारी साज़िशों के बावजूद, हमारे सुन्नी समाज ने इन दुश्मनी भरी हरकतों का गंभीरता से मुक़ाबला किया है जिसका सुबूत पवित्र रक्षा और दूसरे मौक़ों पर सुन्नी संप्रदाय के 15 हज़ार शहीद और हक़ और इंक़ेलाब की राह में बड़ी संख्या में सुन्नी धर्मगुरुओं की शहादत है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने एकता को इस्लामी जगत के सम्मान जैसे अहम लक्ष्य को हासिल करने का एकमात्र मार्ग बताया और कहा कि

आज ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के मज़लूमों का सपोर्ट निश्चित तौर पर अनिवार्य कामों में से एक है और अगर कोई इस फ़रीज़े से पीछे हटता है तो उसे अल्लाह के सामने जवाब देना होगा।

इस मुलाक़ात में मौलवी अब्दुर्रहमान चाबहारी ने जो सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत के धर्मगुरू और चाबहार के इमामे जुमा हैं, हुर्मुज़गान प्रांत के सुन्नी धर्मगुरू व क़िश्म के इमामे जुमा मौलवी अब्दुर्रहीम ख़तीबी और महाबाद के इमामे जुमा व पश्चिमी आज़रबाइजान के सुन्नी धर्मगुरू मामोस्ता अब्दुस्सलाम इमामी ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता और इस्लामी गणराज्य के एकता को मज़बूत करने और सुन्नी समुदाय के प्रति सपोर्ट करने पर आधारित रवैये की सराहना की और एकता को बढ़ावा देने वाली पृष्ठिभूमि को मज़बूत करने और मुल्क की तरक़्क़ी के लिए सुन्नी बाहुल इलाक़े की क्षमताओं को ख़ास तौर पर उपयोग करने पर बल दिया और साथ ही तकफ़ीरी और चरमपंथी प्रक्रियाओं से निपटने को ज़रूरी बताया।