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हड़ताल नहीं है समाधान, महिलाओं के प्रति समाज के नज़रिये को बदलने की आवश्यकता है: लक्ष्मी सिन्हा

हड़ताल नहीं है समाधान, महिलाओं के प्रति समाज के नज़रिये को बदलने की आवश्यकता है : लक्ष्मी सिन्हा

GBS News24
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बिहार ‘पटना’:-समाजसेविका श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और फिर हत्या पर देशभर के डॉक्टर और उन मेडिकल स्टाफ का आक्रोशित होना स्वाभाविक है, लेकिन इस घटना को लेकर अपना क्षोभ व्यक्त करने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने जिस तरह 24 घंटे की हड़ताल की घोषणा की और उसमें निजी अस्पताल भी शामिल हो गए उससे लाखों मरीजों की परेशान होना पड़ा।

इस दौरान जिस प्रकार आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर उन सभी सेवाएं स्थगित रखने का फैसला किया गया, उससे मरीज की मुसीबत और बढ़ गई। इस हड़ताल के दौरान ऑपरेशन तक स्थगित कर दिए गए और मरीज को दवा तक नसीब नहीं हुई।

इस हड़ताल का औचित्य इसलिए समझ नहीं आया, क्योंकि कोलकाता की घटना पर देश के कई शहरों के अनेक अस्पतालों के डॉक्टर पहले ही हड़ताल कर चुके थे। इससे इन्कार नहीं की कोलकाता में बहुत ही जधन्य अपराध हुआ और ममता सरकार ने इस भयावह घटना पर हद दर्जे की संवेदनहीनता का परिचय दिया, लेकिन आखिर इसकी सजा मरीजों को क्यों दी जा रही है? उनका तो कोई दोष ही नहीं।

यह अच्छा नहीं हुआ कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसके बाद भी 24 घंटे के लिए हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक उपायों पर विचार करने के लिए एक समिति गठित करने का आश्वासन दिया और साथ ही सभी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों के प्रमुख को निर्देश दिया कि यदि किसी डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ पर किसी तरह का कोई हमला होता है तो छह घंटे के भीतर रिपोर्ट दर्ज करना आवश्यक होगा।

निःसंदेह कोलकाता की घटना और उस पर ममता सरकार की लीपापोती को लेकर समाज के अन्य वर्गों के साथ चिकित्सक बिरादरी को अपना क्षोभ प्रकट करना ही चाहिए, लेकिन मरीजों को उनके हाल पर छोड़कर नहीं। आगे श्रीमती सिन्हा ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना पर ममता सरकार को फटकार लगाई और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने अपना काम शुरू भी कर दिया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को इसे भी अनदेखी नहीं करना चाहिए कि महिलाओं के खिलाफ अपराध और विशेष कर दुष्कर्म सरीके घिनौने अपराध एक सामाजिक समस्या है। तथ्य यह है कि ऐसे घिनौने अपराध का सामना सभी क्षेत्र की महिलाएं कर रही हैं।

निर्भया कांड के बाद महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन अपराध संबंधी कानून को कठोर बनाए जाने के बाद भी ऐसे अपराधों पर लगाम नहीं लग पा रही है। कोलकाता की घटना के बाद दुष्कर्म की कई घटनाएं सामने आई है। स्पष्ट है कि महिलाओं के प्रति समाज के नजरिये को बदलने की आवश्यकता है और इसमें अन्य वर्गों के साथ डॉक्टर को भी अपनी सक्रियता दिखानी चाहिए। उनकी सक्रियता कहीं अधिक प्रभावी सिद्ध हो सकती है।