सेहत

मंकी पॉक्स कैसे फैलता है, इसका इलाज़ क्या है?

मध्य और पूर्वी अफ़्रीका में मंकी पॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसको देखते हुए अफ़्रीका सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिय़ा है.

अफ़्रीका सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कहा कि मंकी पॉक्स पिछली बार से ज़्यादा चिंताजनक है. ऐसा इसलिए क्योंकि नया वैरिएंट ज़्यादा घातक है.

इस बीमारी के होने का कारण मंकी पॉक्स वायरस है. ये चेचक जैसे ही वायरस के ग्रुप से है, लेकिन इसके मुकाबले काफ़ी कम हानिकारक है.

मंकी पॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलता था, लेकिन अब ये इंसानों से इंसानों में भी फैल रहा है.

मंकी पॉक्स के मामले डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में आम हैं.

इन क्षेत्रों में हर साल हजारों मामले सामने आते हैं और सैकड़ो लोगों की जान चली जाती है. इससे 15 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं. वायरस के दो स्ट्रेन मुख्त तौर पर फैल रहे हैं. ‘क्लेड-I’ मध्य अफ़्रीका में एंडेमिक (स्थानिक) है. वहीं, इस बार फैले मंकी पॉक्स का ‘क्लेड Ib’ नया और अधिक संक्रामक है.

अफ़्रीका सीडीसी ने कहा कि 2024 की शुरुआत और जुलाई के अंत तक 14,500 से अधिक मंकी पॉक्स संक्रमण के मामले आए हैं और 450 से अधिक मौतें हुईं.

ऐसे में मंकी पॉक्स वायरस के केस के मामले में 160 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, पिछली बार की तुलना में 19 फ़ीसद ज़्यादा लोगों की जान गई.

इनमें से 96 फीसदी मामले डीआर कांगो के हैं. साथ ही मंकी पॉक्स पड़ोसी देशों कीनिया, रवांडा, युगांडा और बुरुंडी जैसे देशों में फैल गया है जहां ये आम तौर पर स्थानिक नहीं है.

पश्चिम अफ़्रीका में पाए जाने वाले मंकी पॉक्स के कम घातक वाला स्ट्रेन ‘क्लेड-II’ 2022 में वैश्विक महामारी का कारण बना.

ये एशिया और यूरोप के कुछ देशों सहित उन 100 देशों में फैल गया था जहां कि आम तौर पर ये वायरस नहीं फैलता है. इसे कमजोर समूहों का टीकाकरण करके रोका गया.

कांगो में मंकी पॉक्स वैक्सीन और इसके इलाज़ को लेकर कम सुविधा है. इसीलिए स्वास्थ्य अधिकारी इसके फैलने को लेकर चिंतित हैं.

विशेषज्ञों ने कहा कि नया स्ट्रेन अधिक आसानी से फैल सकता है. ऐसे में बच्चों और वयस्कों में अधिक मौतें होने की संभावना है.

मंकी पॉक्स के लक्षण क्या हैं?
इस वायरस के शुरुआती लक्षण बुखार, सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द और मांसपेशियों में दर्द है. बुखार उतरने पर शरीर पर चकत्ते आ जाते हैं, जो कि अक्सर चेहरे से शुरू होते हैं और शरीर के अन्य हिस्सों तक फैल जाते हैं.

इन चकत्तों में अधिक खुजली या दर्द हो सकता है. संक्रमण आम तौर पर अपने आप ठीक हो जाता है और 14 से 21 दिनों के बीच रहता है. गंभीर मामलों में घाव पूरे शरीर और विशेष रूप से मुंह, आंखों और गुप्तांगों पर होते हैं.

मंकी पॉक्स कैसे फैलता है?
मंकी पॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से फैलता है. इसमें यौन संबंध और चमड़ी से त्वचा का संपर्क और संक्रमित शख्स से करीब से बात करना शामिल है.

शरीर में यह वायरस टूटी त्वचा के माध्यम से आंख, श्वसन तंत्र, नाक या मुंह में प्रवेश कर सकता है.

साथ ही मंकी पॉक्स उन वस्तुओं को छूने से भी फैल सकता है जिसका कि संक्रमित शख़्स ने इस्तेमाल किया हो, जैसे कि बिस्तर, कपड़े और तौलिया.

वायरस संक्रमित जानवर जैसे कि बंदर, चूहे और गिलहरी के संपर्क में आने से यह भी हो सकता है. साल 2022 में मंकी पॉक्स वायरस यौन संपर्क से अधिक फैला था.

डीआर कांगो में इस बार मंकी पॉक्स वायरस फैलने का कारण ज़्यादातर यौन संपर्क है, लेकिन यह अन्य समुदायों में भी पाया गया है.

किस पर संक्रमण का ख़तरा अधिक?
अधिकांश मामले उन लोगों में पाए जाते हैं जिनकी यौन सक्रियता है या गे हैं. जे लोग एक अधिक पार्टनर रखते हैं या नए पार्टनर रखते हैं, उनके लिए सबसे अधिक जोख़िम होता है.

लेकिन उसको भी हो संक्रमण हो सकता है जो किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क में हो, जिसमें लक्षण हों. इसलिए यह स्वास्थ्य कर्मियों और परिवार के सदस्यों में भी फैल सकता है.

सलाह ये है कि मंकी पॉक्स से संक्रमित किसी व्यक्ति के क़रीब न जाएं और अगर आस पडोस में वायरस फैला हो तो साबुन से हाथ धोते रहें. इस वायरस से संक्रमति व्यक्ति को अलग थलग कर देना चाहिए जबतक कि गांठें ठीक न हो जाएं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि, ठीक होने के 12 हफ़्तों तक भी सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए.

इसका इलाज़ क्या है?

मंकी पॉक्स के फैलने को संक्रमण पर रोक लगाकर ही काबू किया जा सकता है. और सबसे अच्छा तो ये है कि वैक्सीन लगवाई जाए. इस बीमारी की वैक्सीन होती हैं लेकिन ये इसकी पहुंच उन्हीं लोगों तक होती है जो या तो ख़तरे में हैं या किसी संक्रमित व्यक्ति के क़रीबी होते हैं.

डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में दवा निर्माताओं से कहा है कि वे वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए आगे आएं, और जिन देशों में ज़रूरत है लेकिन औपचारिक रूप से मंज़ूरी नहीं मिली है, वहां भी इन वैक्सीन को लेकर जाएं.

अफ़्रीका सीडीस ने अब इस बीमारी को महाद्वीप के स्तर पर स्वास्थ्य इमरजेंसी घोषित कर दिया है. यह उम्मीद है कि सरकारें बचाव के लिए बेहतर तालमेल करेंगी और संक्रमण वाले इलाक़े में दवा और सहायता की आपूर्ति को बढ़ाएंगी.