तुंगभद्रा बांध के गेट नंबर 19 की चेन टूटने के कारण कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के किसानों के लिए चेतावनी जारी की गई है.
शनिवार रात तुंगभद्रा बांध के गेट की चेन टूटने से 1 लाख क्यूसेक पानी बांध से बह गया है.
गेट की चेन टूटने के बाद बांध से छूटे पानी की मात्रा तीन गुनी हो गई है. दक्षिण-पश्चिम मानसून के थोड़ा पीछे हटने के बाद अधिकारी प्रतिदिन लगभग 28,000 क्यूसेक पानी छोड़ रहे थे. मानसून के बाद बांध में 105 टीएमसीएफटी पानी का भंडारण था.
तुंगभद्रा बांध का निर्माण 1953 में किया गया था. गेट संख्या एक से 15 तक का रखरखाव केंद्रीय जल आयोग की ओर से किया जाता है, जबकि गेट संख्या 16 से 32 तक का रखरखाव कर्नाटक सरकार की ओर से किया जाता है.
विशेष तौर पर यह बात पूछे जाने के बाद कि क्या चेन के टूटने से कोई ख़तरा है. इस पर कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने पत्रकारों से कहा है कि यह एक गंभीर विषय है इस पर हम विशेषज्ञों की राय का पालन करेंगे.
उन्होंने कहा कि इस विषय का हल निकालने के लिए सभी राज्यों के एक्सपर्ट्स से चर्चा की जा रही है.
रिपोर्टरों से बात करने के बाद डीके शिवकुमार बेल्लारी के लिए रवाना हो गए जहां वो तुंगभद्रा बांध के बोर्ड के अधिकारियों और सदस्यों से बात करेंगे.
उन्होंने कहा कि वह किसी स्थानीय विधायकों और राजनेताओं की राय पर नहीं चलेंगे. उन्होंने कहा कि दबाव कम करने के लिए बांध के सभी गेट खोल दिए गए हैं.
तेलंगाना में प्रवेश करने से पहले तुंगभद्रा बांध का पानी कर्नाटक के दावनगेरे, बेल्लारी, कोप्पल और रायचूर ज़िलों में बहता है और बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले कृष्णा नदी में मिलता है.
डिप्टी सीएम ने कहा है कि एक राय यह है कि बांध की मरम्मत के लिए उसे खाली करने की आवश्यकता है. विशेषज्ञ इस प्रस्ताव की जांच कर रहे हैं लेकिन इस विषय पर हम विशेषज्ञों की राय का ही पालन करेंगे.
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