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पेरियार साहब जाति व्यवस्था, भेदभाव, ऊँच नीच के ख़िलाफ़ थे!

Bhanu Nand
@BhanuNand
पेरियार साहब
जाति व्यवस्था, भेदभाव ,ऊँच नीच के खिलाफ थे

पेरियार ने जाति-व्यवस्था के खिलाफ तमाम आंदोलन किये, जिसमें से एक आन्दोलन यह भी था –

ब्राह्मण अपने होटलों के नामपट्ट पर ब्राह्मण होटल लिखा करते थे, ताकि लोगों में यह सन्देश जाए कि ब्राह्मण उनसे श्रेष्ठ हैं

पेरियार ने अपने अनुयायियों से अनुरोध किया कि वे तमिलनाडु के सभी ब्राह्मण होटलों के बोर्ड से ब्राह्मण शब्द मिटा दें, इस प्रदर्शन के परिणामस्वरूप होटलों के नामपट्ट से ब्राह्मण शब्द गायब होने लगा

इस आंदोलन में पेरियार साहब की गिरफ्तारी भी हुई, पेरियार और उत्तर भारत के समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने चेन्नई में मुलाकात की,

लोगों की मजबूती से सामाजिक और राजनीतिक सेवा करने के बारे में विचार-विमर्श किया

इस प्रकार पेरियार साहब और राम मनोहर लोहिया जी ने मजबूती से लोगो की सामाजिक और राजनीतिक सेवा की

बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि पेरियार साहब और राम मनोहर लोहिया जी ने भी मिलकर काम किया था

इसीलिए अगर आप राम मनोहर लोहिया जी की विचारधारा से प्रभावित हैं तो कहीं ना कहीं, आप पेरियार साहब की विचारधारा से भी प्रभावित हैं

Bhanu Nand
@BhanuNand
मनुस्मृति में सिर्फ शूद्रो को ही निचा नहीं दिखाया गया, क्षत्रियों को भी नीचा दिखाया गया है।

मनुस्मृति अध्याय 2 श्लोक नंबर 13 में क्षत्रियों के बारे में क्या लिखा है आईए जानते हैं –

10 वर्ष का ब्राह्मण और 100 वर्ष का क्षत्रिय दोनों आपस में बाप बेटे की तरह हैं, उसमें ब्राह्मण पिता समान और क्षत्रिय पुत्र समान है

अब आप खुद सोचिए इतनी बड़ी सामाजिक खाई ब्राह्मण और क्षत्रिय के बीच पैदा की गई तो फिर शूर्दो के बीच कितनी गहरी खाई हो सकती है, आप खुद समझ सकते हैं

आप लोग बताओ बाबा साहब ने मनुस्मृति जलाकर अच्छा किया या गलत?

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है