उत्तर प्रदेश राज्य

गाज़ीपुर में चुनाव भाजपा प्रत्याशी पारसनाथ राय नहीं, मनोज सिन्हा लड़ रहे हैं : अफ़ज़ाल अंसारी से ख़ास बातचीत!

इंडिया गठबंधन से सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी कहते हैं कि गाजीपुर में चुनाव भाजपा प्रत्याशी पारसनाथ राय नहीं, मनोज सिन्हा लड़ रहे हैं। इसे पूरा गाजीपुर जानता है। पारसनाथ उनके असिस्टेंट हैं। बेटी के चुनाव लड़ने के सवाल पर कहते हैं कि वह सीख रही हैं। मैंने तो उसे अपना राजनीतिक वारिस घोषित कर दिया है।

 

 

पेश है अफजाल अंसारी से बातचीत के अंश…

पहला चुनाव है, जिसमें मुख्तार अंसारी नहीं है?
अब तो वह बैकुंठ में चले गए, जन्नत में जाकर बैठ गए। जो दुनिया में जीवित न भी रहे और उसकी चर्चा बनी रहे तो वही अमर है।

मुख्तार अंसारी के इर्द-गिर्द ही चुनाव रहता था। जेल से ही परिवार के संपर्क में रहना और चुनाव प्रबंधन होता था ?
हां, हम भी उन्हीं की कृपा से इतनी बार चुनाव जीते। ये क्यों नहीं मानते हैं कि हम मुख्तार से दस साल बड़े हैं। जब मैं विधायक हो गया था तो मुख्तार हाफ पैंट पहनकर घूमते थे। मुख्तार को पूरी दुनिया के सामने माफिया का टैग देकर जनवाया गया। जनता चुनाव लड़ती है। दिक्कत यह है कि जनता के फैसले को मुख्तार के बाहुबल से तौल दिया जाता था।

आप क्या कहते हैं कि जाति-धर्म से हटकर मतदान होना चाहिए?
भाजपा अपनी विचारधारा से चुनाव लड़े तो दस सीट से भी कम जीतेगी। तिकड़मबाजी से चुनाव जीतना अलग बात है। सोनेलाल पटेल बड़े नेता थे, संगठन क्षमता थी। उन्होंने अपना दल के नाम से पार्टी बनाई। भाजपा के लोग कहने लगे कि ये तो जातिवादी के नेता हैं। अब उनकी ही बेटी अनुप्रिया को मंत्री बना दिया, उनके पति को मंत्री बना दिया और कहा हमें अपने समाज का वोट दिलवाओ। यही हाल संजय निषाद का है, कोई सिद्धात नहीं है। यही हाल राजभर का है, जातिवादी है। दारा सिंह चौहान, केशव प्रसाद मौर्य को जनता ने नकार दिया मगर डिप्टी सीएम बना दिया।

गठबंधन तो विपक्ष भी कर रहा है जाति के नाम पर, सपा ने पीडीए बनाया?
कांशीराम ने कहा था कि जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी। अखिलेश यादव जातिगत जनगणना की बात करते हैं, ओपी राजभर भी इसी नीति के समर्थक हैं। अखिलेश ने पीडीए बनाया पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए यह जरूरी है। अगड़ी जातियों का ध्यान भी रखा, राज्यसभा के चुनाव में सपा ने जो टिकट दिया वो अगड़ी जाति के लोग ही हैं।

पीएम गाजीपुर में रैली करके गए, आपने उनका भाषण सुना है?
एक एक शब्द सुना है। पीएम ने कहा कि मैं जब तक जिंदा हूं एससी, एसटी का आरक्षण खत्म नहीं करने दूंगा। गांव देहात में हमारे यहां एक तरीका देखा गया कि बच्चों को बुखार होता है। 104 डिग्री के ऊपर गया तो बच्चा बक बक बक करने लगता है, खुद उसके मां बाप चक्कर में आ जाते हैं कि ये कोई हवा के असर में आ गया है क्या, का बोलने लगा है। यही हाल पीएम का हो गया है।

पीएम ने कहा कि अखिलेश यादव कहते थे कि सपा में माफिय की एंट्री नहीं होगी। अब माफिया के चरणों में हैं?
पीएम से कृपापूर्वक पूछिए कि बृजेश सिंह से चुनाव प्रचार कराने की नौबत आ गई न, बिना पैरोल के सुभाष ठाकुर को बुलवाकर एयरकंडीशन ब्लॉक में इलाज के नाम पर प्रचार कराने की नौबत आ गई न। क्या ये महात्मा या कोई शंकराचार्य हैं। मोदी मंच से आकर बोले कि बृजेश सिंह शंकराचार्य हो गए, सुभाष ठाकुर को शंकराचार्य बना दें।

आपके साथ आपकी बेटी ने भी नामांकन भरा, कोई विशेष कारण रहा?

सभी के डमी कैंडिडेट होते हैं, उसको शौक है समाजसेवा का। मनोज सिन्हा के बेटे को अधिकार है चुनाव लड़ने का, अफजाल अंसारी की बेटी को नहीं है क्या। वह राजनीति नहीं कर सकती है।

अगर आपकी जगह आपकी बेटी चुनाव लड़े तो किसे ज्यादा वोट मिलेगा, आपको या आपकी बेटी को?
मनोज सिन्हा से पूछिए कि उनकी जगह उनका बेटा लड़े तो कौन ज्यादा वोट पाएगा। हमारी बेटी है हम तो उसे अपना वारिस घोषित कर चुके हैं। आज या कल, जब कभी हम राजनीति से हट जाएंगे या हटा दिए जाएंगे। किसी साजिश का शिकार हो जाएंगे तो मेरी बेटी के अंदर वह गुण है संभालेगी।

 

इस बार भाजपा से पारसनाथ राय हैं, कितनी चुनौती मानते हैं?
पारसनाथ राय चुनाव लड़ रहे हैं या मनोज सिन्हा। मनोज सिन्हा चुनाव लड़ रहे हैं। पूरा गाजीपुर जानता है कि पारस उनके असिस्टेंट हैं। पर्चा दाखिल कराने के लिए दो-दो राज्यों के मुख्यमंत्री आ रहे हैं। पीएम आ रहे हैं, गृहमंत्री आ रहे हैं। फैसला जनता को देना है। चार जून को फैसला देखिएगा कि फिर क्या कहेंगे कि मुख्तार कब्र से बाहुबल दिखा दिए। मनोज सिन्हा बताएं संजय शेरपुरिया के बारे में। ईडी, एसटीएफ उसे महाठग कहती है, उसका क्या रिश्ता है मनोज सिन्हा से। 2019 का चुनाव मनोज सिन्हा ने उसी पैसे से लड़ा था।

साभार : अमर उजाला