सेहत

Uterus Prolapse -गर्भाशय का बाहर निकल आना : इलाज जानिये!

HAKIM SAIFULLA QASMI
कौन सी ऐसी स्त्री है जो माँ नही बनना चाहती है ।
यह उपाय स्त्री यो के लिए है 21 साल से 45 साल तक की उम्र के लिए तो रामबाण है।
अगर किसी शादी शुदा दम्पति को एक साल के भीतर बच्चा ना हो तो उनके दिल पर क्या गुजर ती वो तो वो ही जानते है। जिन्हे ओलाद(बच्चा) नही होता ।ओर वे महिलाए अच्छी तरह जानती है कि लोग उनके बारे मे क्या क्या बाते करते हैं लेकिन मै आज आप को ऐसा देशी नुस्खा बताने जा रहा हू । जिसे हम सैकंडो ऐसे लोगो पर प्रयोग कर चुके है और शतप्रतिशत रिजल्ट मिला है ।
(नोट – लेकिन अगर आदमी के अन्दर कमी है तो वो अपना किसी लेब मै टेस्ट करा ले । ओर हमारे नम्बर पर फोन करके सलाह ले सकते है) । ये देशी फार्मूला केवल स्त्री यो के लिए है । अब आप को कुछ चीजे पंसारी से लेकर आनी है ।
1 – खरैटी 100 ग्राम
2 – गंगरेन की छाल 100 ग्राम
3 – महुआ 100 ग्राम
4 – बड़ के अंकुर 100 ग्राम
5 – नागकेसर 100 ग्राम
👆ये सब बराबर मात्रा मे लेकर इन्हे महीन कूट पीस कर पाउडर बना कर आटा छाननी मै छानकर किसी साफ कांच के बर्तन मे रख ले । ओर रोजाना सुबह शाम खाना खाने के एक घंटे बाद एक-चम्मच चूर्ण गाय के दूध मे शहद मिलाकर एक महीने पीये तो बन्ध्या(बांझ) स्त्री के भी इनशा अल्ला ओलाद होजाये गी
🌴🌹परहेज- पीरियड के समय कोई भी ठंडी ओर बादी की चीज (वस्तुऐ) ना खाये ।

 

Uterus Prolapse -गर्भाशय का बाहर निकल आना – खुरूजुर्रहम-

Uterus Prolapse:- इसमें गर्भाशय नीचे की ओर बाहर निकल आता ह और योनी में दिखाई देता ह ऐसी हालत में पेड़ू – कमर – जांघों और पिन्डलियो में दर्द होता ह कभी कभी पेशाब और पाखाना भी रूक जाता ह रोगी को एक गोल नर्म चीज नीचे योनी में आती हुई मालूम होती ह

योनि (या पेल्विक अंग) प्रोलैप्स क्या होता है?

आपके पेल्विक अंगों में आपका मूत्राशय, गर्भाशय (गर्भ) और मलाशय (पीछे का मार्ग) शामिल होते हैं। ये अंग “फैशिया” और”लिगामेंट्स” नाम के ऊतकोंद्वारा अपनी जगह में बनाए रखे जाते हैं। ये ऊतक आपके पेल्विक अंगों को पेल्विसकी हड्डी की बगल की दीवारों से जोड़ने में मदद करते हैं और इन्हें आपके पेल्विस के अंदर बनाए रखते हैं आपके पेल्विक फ्लोर की माँस-पेशियाँ नीचे से आपके पेल्विक अंगों को पकड़ कर ऊपर बनाएरखती हैं। यदि किसी कारणवश फैशिया और लिगामेंट्स कट-फट या खिंच जाते हैं, और यदि आपके पेल्विक फ्लोर की माँस-पेशियाँ कमजोर हैं, तो हो सकता है कि आपके पेल्विक अंग (आपका मूत्राशय, गर्भाशय, या मलाशय) अपने सही स्थान पर नहीं बनाए रखे जा सकें और वे नीचे योनि (जन्मनली) में उभर कर निकल जाएँ।.

 

प्रोलैप्स के लक्षण क्या होते हैं? (Symptoms):-

आपके एक प्रोलैप्स से ग्रस्त होने के कुछ संकेत हो सकते हैं। ये संकेत प्रोलैप्स के प्रकार पर और पेल्विक-अंग समर्थन में कितना ह्रास हो गया है, इसपर निर्भर करते हैं।शुरू में हो सकता है कि आप इस बात से अवगत न हों कि आप एक प्रोलैप्स से ग्रस्त हैं, लेकिन आपका डॉक्टर या नर्स आपका नियमित पैप परीक्षण करते समय आपके प्रोलैप्स को देखने में सक्षम हो सकता है।जब एक प्रोलैप्स और भी नीचे होता है, तो आप निम्नलिखित प्रकार की चीजों को नोट कर सकती हैं:

*.योनि में भारीपन या खिंचाव महसूस होना;

*.कुछ ‘नीचे आने’ या योनि में एक गांठ का आभास होना;

*.आपकी योनि से एक गांठ का बाहर उभरना, जिसे आप शावर या बाथ लेते समय देख या महसूस कर सकती हैं;

*.दर्द या कम अनूभूति होनेकी यौन समस्याएँ;

*.आपका मूत्राशय उस तरह से खाली नहीं होता है जैसे इसे होना चाहिए, या आपकी मूत्र-धारा कमजोर हो सकती है;

*.मूत्र-मार्ग के संक्रमण बार-बार हो सकते हैं;

या*.आपके लिए पूरी तरह से मल-त्याग द्वारा अपनी आंत्र को खाली करना कठिनहो सकता है।

ये लक्षण दिन के अंत में और खराब महसूस हो सकते हैंऔर लेटने के बाद बेहतर महसूस हो सकते हैं।

यदि प्रोलैप्स आपके शरीर से बाहर उभरता है, तो प्रोलैप्स के आपके अधोवस्त्र के साथ घर्षण होने के कारण आपको दर्द महसूस हो सकता है या रक्तस्राव हो सकता है।.

प्रोलैप्स का क्या कारण होता है (Cause)?:-

पेल्विक अंग मजबूत स्वस्थ फैशिया द्वारा आपके पेल्विस के अंदर जमे हुए रहते हैं। पेल्विक फ्लोर की माँस-पेशियाँ नीचे से उनको पकड़ कर ऊपर बनाए रखती हैं जो एक मजबूत माँस-पेशी के स्लिंग की तरह काम करती हैं। यदि मूत्राशय, गर्भाशय और आंत्र को उनके स्थान पर रखने वाली समर्थक माँस-पेशियाँ (फैशिया और लिगामेंट्स) कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, या पेल्विक फ्लोर की माँस-पेशियाँ कमजोर हो जाती हैं और नीचे झूलने लगती हैं, तो प्रोलैप्स होसकता है।

शिशु-जन्म प्रोलैप्स का मुख्य कारण है। योनि में नीचे जाते समय शिशु समर्थन ऊतकों और पेल्विक फ्लोर की माँस-पेशियों में खिंचाव पैदा कर सकता है और वे कट-फट सकती हैं। आपके जितने अधिक योनि शिशु-जन्म होंगे, आपके प्रोलैप्स से ग्रस्त होने की सँभावना उतनी ही अधिक होगी।

नीचे कुछ ऐसी बातें दी गई हैं जो पेल्विक अंगों और पेल्विक फ्लोर की माँस-पेशियों पर नीचे दबाव डालकर प्रोलैप्स को जन्म दे सकती हैं:

*.काफी समय के लिए चलने वाली खाँसी (जैसे धूम्रपान के कारण होने वाली खांसी या अस्थमा);

*.भारी सामान उठाना; और

*.कब्ज़ और मल-त्याग के लिए आंत्र पर दबाव डालना।

प्रोलैप्स के प्रकार (Type):-

पेल्विक अंग योनि की सामने की दीवार से बाहर उभर सकते हैं (जिसे सिस्टोसील [cystocele] कहा जाता है),

योनि की पीछे की दीवार से उभर सकते हैं (जिसे रेक्टोसील [rectocele] या एंटरोसील [enterocele] कहा जाता है),

या फिर गर्भाशय आपकी योनि में नीचे आ सकता है (गर्भाशय प्रोलैप्स)। योनि में एक से अधिक अंग भी उभर कर आ सकते हैं।

प्रोलैप्स से किसके ग्रस्त होने की संभावना होती है?

प्रोलैप्स परिवारों में आनुवाँशिक रूप से चलता है।

रजोनिवृत्ति के बाद या आपका वजन अधिक होने के कारण इससे ग्रस्त होने की संभावना और अधिक हो सकती है।

लेकिन युवा महिलाओं में यह शिशु-जन्म के तुरंत बाद हो सकता है।

*.यह माना जाता है कि शिशु को जन्म देने वाली महिलाओं में से आधी महिलाएँ किसी स्तर तक पेल्विक अंग प्रोलैप्स से ग्रस्त होंगी, लेकिन पाँच में से केवल एक महिला ही मदद प्राप्त करने के लिए प्रयास करती है।

*.प्रोलैप्स उन महिलाओं में भी हो सकता है जिन्होंने कभी भी शिशु को जन्म न दिया हो, मुख्य रूप से यदि वे खाँसती हैं, शौचालय में दबाव डालती हैं, या भारी सामान उठाती हैं।

 

 

*.प्रोलैप्स ठीक करने के लिए सर्जरी के बाद भी तीन में एक महिला फिर से प्रोलैप्स से ग्रस्त होगी।

*.प्रोलैप्स उन महिलाओं को भी हो सकता है जिनका गर्भाशय निकाल दिया गया हो (यानि कि जिनकी हिस्टरकटॉमी हुई हो)। इस तरह के मामले में, योनि का शीर्ष (वॉल्ट) प्रोलैप्स कर सकता है।

यदि एक प्रोलैप्स हो गया हो, तो इसके उपचार के लिए क्या किया जा सकता है?

प्रोलैप्स का उपचारआसानी से या सर्जरी द्वारा किया जा सकता ह—यह प्रोलैप्स के स्तर पर निर्भर करता है।आसान दृष्टिकोणबहुत बार प्रोलैप्स का उपचार सर्जरी के बिना किया जा सकता है,

मुख्यतः प्रारंभिक अवस्था में, और जबकि प्रोलैप्स गंभीर न हो। आसान दृष्टिकोण का मतलब हो सकता है:

*.एक पेल्विक फ्लोर फिजियोथेरेपिस्ट या कॉन्टिनेंस नर्स सलाहकार की सलाह के साथ आपकी विशेष जरूरतों के लिए नियोजित किया गया पेल्विक फ्लोर माँस-पेशी प्रशिक्षण;

*.इस बारे में पता करना कि आपके प्रोलैप्स का कारण क्या है, और जीवन-शैली में आवश्यक परिवर्तन करना;

*.मल-त्याग करते समय दबाव न डालने के लिए आंत्र और मूत्राशय की अच्छी आदतों को बनाए रखना ह

*.सर्जरी के स्थान पर आपकी योनि में ध्यानपूर्वक मापी गई एक पेसरी (एक सिलिकोन उपकरण जो आपकी योनि में फिट होता है) स्थापित करना, जोकि आपके पेल्विक अंगों को अंदर से समर्थन दे सके (थोड़ा-बहुत एक प्रॉप की तरह)।सर्जरी दृष्टिकोणकटे-फटे या खिंचे हुए फैशिया और लिगामेंट्स की मरम्मत करने के लिए सर्जरी की जा सकती है।

सर्जरी योनि या उदर से की जा सकती है। कभी-कभी योनि की आगे या पीछे की दीवार में एक विशेष जाल स्थापित किया जा सकता है, जिससे कि यह जहाँ पर कमजोर या कटी-फटी हुई हो, वहाँ इसे मजबूत किया जासके। जैसे-जैसे शरीर स्वस्थ होता जाता है, यह जाल मजबूत ऊतकों का निर्माण करने में मदद देता है, जिससे कि जहाँ आवश्यक हो, वहाँ और अधिक समर्थन दिया जा सके।

सर्जरी के बाद प्रोलैप्स को फिर से होने से रोकने के लिए आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप:*.विशेषज्ञ प्रशिक्षण लें, जिससे कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपके पेल्विक फ्लोर की माँस-पेशियाँ आपके पेल्विक अंगों को समर्थन देती हैं;

*.अपनी आंत्र का उपयोग करते समय दबाव न डालें ।

*.अपने वजन को अपनी ऊंचाई और उम्र के लिए सही सीमा के भीतर रखें;

*.भारी सामान उठाने के लिए सुरक्षित तरीके सीखें, जिसमें भारी सामान उठाने को बाँटना शामिल है;

*.यदि आप ऐसी खाँसी से ग्रस्त हों जो अपने आप दूर न हो, तो अपने डॉक्टर से मिलें; और

*.यदि साधारण चीजें इसे बेहतर न बना सकें, तो अपने डॉक्टर से मिलें।

Prolapse का यूनानी ईलाज (Treatment):-

यूनानी नुस्खें :- ( Formule)

(1) मोचरस 25gm – ढाक का गोंद 25gm – इन्दरजौ ( मीठा) 12gm – असगन्द 12gm – माजू जलाया हुआ 3gm – शक्कर 75gm इन सब दवाओ का बारीक पाउण्ड़र बनाकर एक एक चम्मच सुबह शाम दूध के साथ लें।

(2) बबूल की ताजा फली 30gm – इमली के बीज 30gm – सिंघाडा़ सूखा 30gm – सदफ सोख्त ( जलाई हुई सीप) 30gm इन सब दवाओ का बारीक पाउण्ड़र बनाकर एक एक चम्मच सुबह शाम दूध के साथ लें।

3-(1) माजून मुक्कवी रहम 7gm सुबह के समय लें। (2) माजून मोचरस 7gm दोपहर के समय लें। (3) माजून सुहाग सोंठ 7gm रात को सोते समय लें। (4) मरहम दाखिलयून इस मरहम को 5gm लेकर इसे रूई के साथ योनी में रखें।तकरीबन 20 दिन तक।

گنٹھیا جوڑوں کا درد

(((مولانا حکیم سیف اللہ طالب قاسمی میرٹھی)))

گنٹھیا جوڑوں کا درد (RHEUMATOID ARTHRITIS)

ایک سوزش پیدا کرنے والی بیماری ہے جو درد‘ سوجن‘ اکڑا اور جوڑوں کی کارکردگی متاثر کرنے کا سبب بنتی ہے۔ اس کی کئی خاص علامات ہیں جو کہ اسے دوسری اقسام کے آرتھرائٹس (ARTHRITIS) (جوڑوں کے درد) سے ممتاز کرتی ہیں۔

مثال کے طور پر گنٹھیا ترتیب وار حملہ کرتی ہے یعنی اگر ایک گھٹنا یا ہاتھ اس سے متاثر ہوا ہے تو دوسرا گھٹنا یا ہاتھ اسی طرح متاثر ہوگا۔ یہ بیماری عام طور پر کلائی کے جوڑوں اور ہاتھ کے نزدیک انگلیوں کے جوڑوں کو متاثر کرتی ہے۔ یہ جوڑوں کے علاوہ جسم کے دوسرے حصوں پر بھی اثرانداز ہوتی ہے۔ اس کے ساتھ ساتھ اس بیماری کے شکار لوگوں کو تھکن محسوس ہوتی ہے۔ کبھی کبھی بخار ہو جاتا ہے یا مجموعی طور پر صحتمند نہ ہونے کا احساس حاوی رہتا ہے۔ گنٹھیا لوگوں پر مختلف طریقوں سے اثرانداز ہوتی ہے۔ کچھ لوگوں میں کچھ ماہ کے اندر ایک سال میں یا دو سال تک رہ کر بغیر کسی قابل ذکر نقصان کے ختم ہو جاتی ہے۔ کچھ لوگوں میں اس بیماری کی ہلکی اور کم شدید علامات ہوتی ہیں جو وقت گزرنے کے ساتھ ساتھ بدتر ہو جاتی ہیں اور کچھ عرصہ میں یہ وقت کے ساتھ ساتھ بہتر محسوس ہونے لگتی ہیں۔ جبکہ کچھ لوگوں میں اس کی شدید ترین شکل دیکھنے میں آئی ہے جو بیشتر وقت متحرک ہوتی ہے اور زندگی میں کئی سال تک برقرار رہتی ہے اور جوڑوں کے سخت نقصان اور معذوری کا باعث بنتی ہے۔

گنٹھیا کی علامات
-1 ڈھیلے‘ گرم اور سوجے ہوئے جوڑ
-2 متاثرہ جوڑوں پر ترتیب وار اثر
-3جوڑوں کی سوزش جو اکثر متاثر کرتی ہے کلائی اور ہاتھوں کے نزدیک انگلیوں کے جوڑوں کو بشمول گردن‘ کندھوں‘ کہنیوں ‘ کولہوں‘ گھٹنوں‘ ٹخنوں اور پاؤں کو
-4تھکن‘ وقتاً فوقتاً بخار ہونا اور ہر وقت بیماری کا عام احساس
-5صبح اٹھنے کے بعد تقریباً آدھے گھنٹے تک شدید اکڑا اور درد
-6علامات کئی سال تک برقرار رہیں۔
-7لوگوں میں بیماری کے ساتھ ساتھ علامات تبدیل ہوتی رہتی ہیں۔
-8 اگرچہ گنٹھیا ( رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس) لوگوں کی زندگی اور کارکردگی پر بہت زیادہ اثرانداز ہو سکتی ہے۔ مگر ان کیلئے علاج کی جدید حکمت عملی جس میں درد کم کرنے والی دوائیں شامل ہوں‘ ایسی دوائیں جن سے جوڑوں کی کم ٹوٹ پھوٹ‘ ان کے آرام اور ورزش میں توازن اور مریضوں کی تربیت کے پروگرام اس بیماری سے متاثر لوگوں میں نئے سرے بہتر زندگی کا احساس پیدا کر سکتے ہیں اور وہ لوگ متحرک اور فعال زندگی بسر کر سکتے ہیں۔ موجودہ سالوں میں جہاں رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس پر ریسرچ نے نیا رخ اختیار کیا ہے اس کے ساتھ ہی محققین نے اس بیماری کے علاج کے نئے اور بہتر طریقے بھی دریافت کئے ہیں۔

اس کے معاشی اور معاشرتی اثرات خواہ وہ کسی قسم کے آرتھرائٹس (ARTHRITIS) (جوڑوں کے درد) یا رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس کی وجہ سے ہوں نہ صرف افراد بلکہ قوم پر مرتب ہوتے ہیں۔

معاشی نقطہ نگاہ سے گنٹھیا (رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس ) کے علاج اور سرجری سے لاکھوں ڈالر سالانہ کا نقصان ہوتا ہے۔ روزانہ جوڑوں کا درد اس بیماری کی بڑی علامت ہے۔ اکثر لوگ اس وجہ سے ڈپریشن‘ بے چینی اور بے بسی محسوس کرتے ہیں۔ کچھ لوگوں کی روزمرہ سرگرمیاں گنٹھیا کی وجہ سے متاثر ہوتی ہیں۔ خاندانی ذمہ داریوں اور خوشیوں پر بھی اس کے اثرات مرتب ہوتے ہیں۔ تاہم آرتھرائٹس کے خود تنظیمی پروگرام موجود ہیں جو لوگوں کی مدد کرتے ہیں۔ درد پر قابو پانے اور بیماری کے دوسرے اثرات سے نبردآزما ہونے میں اور ان کی آزادانہ زندگی گزارنے میں رہنمائی کرتے ہیں۔

گنٹھیا کا درد کیسے بڑھتا اور پھیلتا ہے
جوڑ وہ مقام ہے جہاں دو ہڈیاں ملتی ہیں۔ ہڈیوں کے سروں پر کرکری ہڈی (CARTILAGE) ہوتی ہے جو دو ہڈیوں کی حرکت کو آسان بناتی ہے۔ جوڑ ایک کیپسول سے گھرا ہوتا ہے جو اس کی حفاظت کرتا اور اس کو سہارا دیتا ہے۔ جوڑ کا کیپسول ایک بافت سے جڑا ہوتا ہے جس کو سائنووئیم(SYNOVIUM) کہتے ہیں جو کہ سائنوویل رطوبت (CYNOVIAL FLUID) پیدا کرتی ہے۔

سائنوویل مائع (SYNOVIAL FLUID )
یہ ایک شفاف مادہ ہوتا ہے جو (CARTILAGE) (کرکری ہڈی)‘ ہڈیوں اور جوائنٹ کیپسول کو تر کرتا ہے اور طاقت دیتا ہے۔

دوسری بہت سی رہمیٹیک (RHEUMATIC) بیماریوں کی طرح گنٹھیا (رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس) بھی ایسی بیماری ہے جس میں انسان مدافعتی نظام اس کے خلاف کام کرنے لگتا ہے۔ عام طور پر ایک آدمی کا مدافعتی نظام جو اس کے جسم کو بیماریوں کے خلاف تحفظ دیتا ہے نامعلوم وجوہات کی بنا پر اس کے جوڑوں کے ٹشوز پر حملہ کر دیتا ہے۔ سفید خلیے جو مدافعتی نظام جو اس کے جسم کو بیماریوں کے خلاف تحفظ دیتا ہے نامعلوم وجوہات کی بنا پر اس کے جوڑوں کے ٹشوز پر حملہ کر دیتا ہے۔ سفید خلیے جو مدافعتی نظام کے کارکن ہیں۔ سائنوویئم کی طرف سفر شروع کر دیتے ہیں اور سوزش کا باعث بنتے ہیں۔ جس کی وجہ سے گرمی‘ سوجن‘ سرخی اور درد ہوتا ہے جو رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس کی روایتی علامات ہیں۔ سوزش کے عمل کے دوران سائنوویئم (SYNOVIUM) گاڑھا ہو جاتا ہے جس کی وجہ سے جوڑ سوج جاتے ہیں اور چھونے سے اکڑا کا احساس ہوتا ہے۔

جیسے جیسے بیماری بڑھتی ہے سائنوویم (SYNOVIUM) پھیلتا جاتا ہے اور کرکری ہڈی(CARTILAGE) کے ساتھ جوڑ کی ہڈی کو بھی نقصان پہنچاتا ہے۔ ارد گرد کے پٹھے اور عضلات کمزور ہوتے جاتے ہیں۔ گنٹھیا (رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس ) ہڈیوں کیلئے بہت نقصان کاباعث ہوتا ہے یہاں تک کہ ہڈیوں میں کھوکھلا پن آسٹیوپروسیس(OSTEOPOROSIS) پیدا ہونا شروع ہو جاتا ہے۔

جوں جوں گنٹھیا (رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس) بڑھتا ہے۔ سوزش زدہ سائنوویم (SYNOVIUM) پھیلتا جاتا ہے اور (CARTILAGE)کرکری وہڈی اور جوڑ کو تباہ کر دیتا ہے۔ ارد گرد کے پٹھے اور عضلات جو جوڑ کو سہارا دیتے اور قائم رکھتے ہیں کمزور ہو جاتے ہیں اور عام طور پر کام کرنے کے قابل نہیں رہتے۔ اس کے نتیجے میں شدید درد ہوتا ہے اور جوڑ متاثر ہوتے ہیں۔

محققین (RESEARCHERS) اس بات پر متفق ہیں کہ گنٹھیا (رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس )سے متاثر شخص کی صحت پہلے یا دوسرے سال ہی متاثر ہونا شروع ہو جاتی ہے۔ اس لئے اس کی بروقت تشخیص اور علاج کی اشد ضرورت ہے۔

اس بیماری سے متاثر کچھ لوگوں میں جوڑوں کی خرابی کے علاوہ دوسری علامات بھی پائی جاتی ہیں۔ بہت سے گنٹھیا (رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس )کے مریض خون کی کمی کا شکار ہوتے ہیں یا ان میں خون کے سرخ خلیے بننے کی مقدار کم ہو جاتی ہے۔ کچھ لوگ گردن کے درد منہ اور آنکھوں کی خشکی سے متاثر ہوتے ہیں۔ بہت کم لوگوں میں خون کی نالیوں‘ پھیپھڑوں کی بیرونی جھلی اور دل کی بیرونی جھلی کی سوزش ہوتی ہے۔

جوڑوں کا درد ہر نسل اور جنس کے لوگوں کو متاثر کر سکتا ہے۔ اگرچہ یہ بیماری درمیانی عمر کے لوگوں سے شروع ہوتی ہے لیکن بڑی عمر کے متاثرین کی تعداد زیادہ ہوتی ہے۔ بچوں اور نوجوانوں میں بھی بڑھ سکتی ہے۔ دوسری اقسام کے آرتھرائٹس کی طرح رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس بھی مردوں کی نسبت عورتوں کو زیادہ متاثر کرتی ہے۔ متاثرہ خواتین کی تعداد متاثر مردوں سے دو یا تین گنا زیادہ ہوتی ہے۔

سائنسدانوں کے اندازے کے مطابق 2.1 ملین لوگ یا امریکہ میں بالغوں کی آبادی کا 0.5 سے 1 فیصد تک گنٹھیا (رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس )سے متاثر ہے۔ سائنسدان اب تک صحیح طور پر یہ نہیں جان سکے کہ انسان کا مدافعتی نظام اس کے خلاف کام کرنا کیوں شروع کر دیتا ہے۔ لیکن پچھلے چند سالوں کی تحقیق کے بعد یہ چند عوامل منظر عام پر آئے ہیں۔

جینیاتی (وراثتی) عوامل
سائنسدانوں نے دریافت کیا ہے کہ کچھ جینز مدافعتی نظام میں گنٹھیا (رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس )کے رحجان کو بڑھانے میں کردار ادا کرتے ہیں اور مددگار ثابت ہوتے ہیں۔

کچھ متاثرین میں یہ خاص جینز موجود نہیں ہوتے اور کچھ لوگوں میں ان کے جینز کی موجودگی بھی بیماری کو نہیں بڑھاتی۔ کچھ متنازعہ اعداد و شمار سے پتہ چلتا ہے کہ انسان کی جینیاتی ساخت اس کا باعث ہے کہ آیا اس کے اندر یہ بیماری نشوونما پاتی ہے یا نہیں۔ لیکن اس کی صرف یہی ایک وجہ نہیں ہے۔ تاہم اس میں ایک سے زیادہ جینز ملوث ہو سکتے ہیں کہ کسی شخص کو یہ بیماری متاثر کرے گی یا نہیں یا اس کی شدت کتنی ہو گی۔

ماحولیاتی عوامل: سائنسدانوں کے خیال کے مطابق جینیاتی طور پر اس بیماری کے حامل لوگوں میں کچھ بیرونی عوامل اور اس کی بڑھوتری میں اہم کردار ادا کرتے ہیں۔ جس میں وائرل اور بیکٹیریل انفیکشن ہو سکتے ہیں۔ مگر اب تک اصل وجہ کا پتہ نہیں چل سکا۔ اس کا مطلب یہ نہیں ہے کہ رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس چھوت کی بیماری ہے اور یہ ایک شخص سے دوسرے شخص کو لگ سکتی ہے۔

دیگر عوامل بعض سائنسدانوں کے خیال میں ہارمونی نظام کی تبدیلیاں بھی اس بیماری میں کارفرما ہوتی ہیں۔ خواتین میں مردوں کی نسبت یہ بیماری جلد بڑھتی ہے۔ حمل کے دوران اور بعد یہ بیماری بڑھ بھی سکتی ہے۔ بچے کو دودھ پلانے کے عمل کے دوران بھی اس بیماری میں اضافے کا امکان ہے۔

اگرچہ تمام جوابات اب تک کسی کے علم میں نہیں مگر ایک بات یقینی ہے کہ یہ مرض بہت سے عوامل کے باہم ملاپ کا نتیجہ ہے۔ محققین ان عوامل پر تحقیق میں مصروف ہیں۔

تشخیص: گنٹھیا (رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس) کی تشخیص اور علاج کیلئے مریضوں اور معالجین کی باہمی کوشش کا بہت عمل دخل ہے۔ ایک شخص اپنے خاندانی معالج یا کسی رہیماٹالوجسٹ کے پاس جا سکتا ہے۔ وہ اپنے مرض کے بارے میں مشورہ کر سکے۔ رہیماٹولوجسٹ ایسا ڈاکٹر ہوتا ہے جو جوڑوں کے درد اور دیگر بیماریوں کا ماہر ہو جن میں ہڈیاں پٹھے اور جوڑ شامل ہیں۔

اس کے علاج میں دوسرے پیشہ ور بھی معاون ثابت ہوتے ہیں۔ جن میں نرسیں اور فزیوتھراپسٹ آرتھوپیڈک سرجن‘ ماہر نفسیات ‘ہومیوپیتھک ڈاکٹر اور سوشل ورکر شامل ہیں۔

گنٹھیا(رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس )کی تشخیص ابتدائی مراحل میں کئی وجوہات کی بنا پر مشکل ہو سکتی ہے۔ سب سے پہلے اس بیماری کیلئے کوئی خاص ٹیسٹ نہیں ہوتا۔ اس کے علاوہ مختلف لوگوں میں مرض کی مختلف علامات ہوتی ہیں اور کچھ لوگوں میں اس مرض کی شدت دوسرے لوگوں کی نسبت زیادہ ہوتی ہے۔ اس مرض کی علامات بعض اوقات عام قسم کے جوڑوں کے درد اور آرتھرائٹس سے ملتی جلتی ہوتی ہے۔ اسلئے بعض اوقات اس کی دوسری حالتوں کو دریافت کرنے میں کچھ وقت لگ سکتا ہے۔ آخرکار تمام علامات وقت کے ساتھ ساتھ ظاہر ہوتی ہیں۔ ابتدائی مراحل میں صرف چند علامات موجود ہوتی ہیں۔ نتیجہ کے طور پر ڈاکٹر مختلف طریقوں سے اس کی تشخیص کرتے ہیں۔

میڈیکل ہسٹری: یہ مریض کی زبانی ان علامات کا بیان ہوتا ہے کہ یہ مرض کب اور کیسے شروع ہوا۔ مریض اور معالج کے درمیان بہتر رابطہ اس سلسلے میں بہت اہم ہے۔

مثال کے طور پر مریض کا جوڑوں کے اکڑا‘ سوجن جوڑوں کی کارکردگی کے بارے میں بیان اور یہ سب کچھ کس طرح وقت کے ساتھ تبدیل ہوتا ہے۔ یہ ڈاکٹر کو مرض کے بارے میں ابتدائی اندازہ لگانے میں مدد دیتا ہے اور یہ اندازہ لگانا آسان ہوتا ہے کہ یہ وقت کے ساتھ ساتھ کیسے تبدیل ہوتا ہے۔

طبی معائنہ: طبی معائنہ میں ڈاکٹر جوڑوں جلد عضلات اور پٹھوں کی قوت کا اندازہ لگاتا ہے۔

لیبارٹری میں تشخیص: ایک عام امتحان رہیماٹائیڈ فیکٹر(rheumatoid factor) کیلئے ایک اینٹی باڈی کا ٹیسٹ ہوتا ہے جو گنٹھیا (رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس) کے مریض کے خون میں موجود ہوتا ہے۔ (اینٹی باڈی ایک خاص قسم کی پروٹین ہوتی ہے جس کو مدافعتی نظام پیدا کرتا ہے۔ بیرونی عوامل کے خلاف جسم میں مدافعت پیدا کرنے کیلئے) تمام گنٹھیا (رہیماٹائیڈ آرتھرائٹس )کے مریضوں میں رہیماٹائیڈ فیکٹر کا نتیجہ +Ve نہیں ہوتا۔ خاص طور پر بیماری کے شروع دنوں میں۔ کچھ لوگوں میں بیماری زیادہ نہ بڑھنے کی صورت میں رہیماٹائیڈ فیکٹر کا نتیجہ +Ve نہیں ہوتا۔ اس کے علاوہ اس بیماری میں وائٹ بلڈ کانٹ(white blood cell count)‘ انیمیا (anemia)کا ٹیسٹ اور سیڈ ریٹ (sedimentation rate (often called the sed rate))ٹیسٹ بھی کئے جاتے ہیں۔ سیڈ ریٹ ٹیسٹ جسم میں سوزش کی مقدار کا اندازہ لگانے کیلئے کیا جاتا ہے۔

ایکس ریز: جوڑوں میں ٹوٹ پھوٹ کی حالت کو دیکھنے کیلئے ایکس ریز کئے جاتے ہیں۔ بیماری کی ابتدائی حالت میں جس وقت ہڈیوں کے بھربھرا ہونے کا مشاہدہ نہ ہو ایکس رے سے کوئی فائدہ نہیں ہوتا۔ لیکن بعد میں بیماری میں اضافہ اور شدت کا اندازہ لگانے کیلئے ایکس ریز استعمال کئے جاتے ہیں۔

بلحاظِ مرض و تشخیص درج زیل نسخہ جات عمومی بہت اعليٰ نتائج مرتب کرتے ھیں ۔
علاج
1: ھو الشافی
سورنجاں شیریں۔سورنجاں تلخ۔ھیراکسیس ۔شحم حنظل۔الائچی خورد۔فلفل سیاہ ھرایک 50گرام
باریک پیس کر شھد کی مدد سے گولی بقدر دانہ مٹر بنا لیں
1گولی صبح شام بعد غذا
نیم گرم دودھ سے استعمال کریں.

2 :ھوالشافی: سناء مکی ، قسط شیریں ، پوست ہلیلہ زرد، مصبر، سورنجاں شیریں ، تمام اجزاء ہم وزن لے کر سفوف کر لیں اور500ملی گرام کے کیپسول بھر لیں۔
خوراک۔
1 سے 2عدد صبح دوپہر شام کھانے کے بعد عرق بادیان آدھا کپ کے ساتھ استعمال کریں یا سادے پانی سے کھا لیں۔
فوائد۔
نقرس، اور دیگر قسم کے جوڑوں کے درد، یورک ایسڈ کے اخراج کے لئے بہت مفید ہے ۔ اس سے قبض بھی ختم ہو جاتی ہے

3 :ھوالشافی : اجوائین دیسی 5 تولہ پودینہ 5 تولہ گندھک آنولہ سار 15 تولہ سفوف بنا لیں 1 گرام روزانہ دن میں چار بار ھمراہ گرم پانی .

4 :ھوالشافی : اسگندھ ، ستاور، موصلی سنبھل، سنڈھ ، بدھارا ھر ایک تین تولہ اور شکر سترہ تولہ سفوف بنا لیں روزانہ نہار منہ 1 چھوٹا چمچ دودھ کے ساتھ استعمال کریں ۔

5 :حب ازراقی خاص:
ازراقی مدبر ۔جلوتری۔دارچینی۔ہر واحد 1 تولہ
دانہ الائچی کلاں 2 تولہ
سورنجاں شیریں 3 تولہ
زنجبیل 10 تولہ
زعفران 6 ماشہ
تمام ادویہ کا الگ الگ باریک کر کے مکس کر لیں
شہد کی مدد سے نخودی گولیاں بنا لیں
ایک گولی صبح و شام نیم گرم دودھ سے دیں
اعصابی کمزوری ۔ضعف دماغ ۔ضعف قوت باہ۔
ضعف اعضاء رئیسہ ۔دائمی قبض۔خرابی معدہ و جگر
فالج اور لقوہ ۔جوڑ درد۔عرق النساء کے لئے بہترین
اور مجرب نسخہ ہے .

6 :نسخہ :
ھوالشافی
پھٹکری سفید بریاں
5 تولہ (60 گرام)
مُقِّل مصفٰی
3 تولہ (36 گرام)
چوب چینی
3 تولہ (36 گرام)
ہلدی
3 تولہ (36 گرام)
کوڑانڈین
3 تولہ (36 گرام)
مغزکر نجوہ
3 تولہ (36 گرام)
پھٹکری سرخ بریاں
3 تولہ (36 گرام)
سورنجاں شیریں
3 تولہ (36 گرام)
پوست ہلیلہ زرد
3 تولہ (36 گرام)
گؤدنتی بریاں (چولہا جلا کر ایک گھنٹہ تک اس پر رکھی رکھیں پھر پیس لیں)
2 تولہ (24 گرام)
کلونجی
2 تولہ (24 گرام)
اجوائن خراسانی
1 تولہ (12 گرام)
مصبر
1 تولہ (12 گرام)
سنامکی
1 تولہ (12 گرام)
تمام دواؤں کا سفوف بنا کر 500 ملی گرام کے کیپسول بھر کر 1سے 2 کیپسول صبح دوپہر شام کھانے کے آدھے گھنٹے بعد ہمراہ پانی کے استعمال کرائیں۔ مذکورہ نسخہ میں نے ذاتی تحقیق اور محنت سے ترتیب دیا ہے۔ اس سے بہت فائدہ پہنچتا ہے‘ یہ نسخہ اوسٹیوآرتھرائیٹس‘ نِقْرِس‘ پٹھوں کے درد (Muscular Pain)‘ موچ (Sprain)‘ چوٹ لگنے کے بعد جوڑ یا پٹھوں میں ہونے والی سوجن (Inflammation) اور پٹھوں کے کھنچاؤ میں بہترین کام کرتا ہے لیکن حِدَارِی التہاب مفصل (Rheumatoid Arthritis) میں یہ نسخہ استعمال کرنے سے کوئی فائدہ نہیں ہوتا۔ مذکورہ نسخے کے ساتھ ساتھ اوسٹیوآرتھرائیٹس کے مریضوں کو کیلشیم اور وٹامن ڈی پر مشتمل درج ذیل نسخے کا بھی ضرور استعمال کروایا جائے۔
کشتہ بیضہ مرغ‘ کشتہ صدف‘ کشتہ مرجان اور مروارید ہم وزن لے کر‘ سفوف کرکے 400 ملی گرام کے کیپسول بھرلیں اور دو سے تین دفعہ روز ہمراہ مکھن اور دودھ کے مریضوں کو استعمال کروانے چاہیے اور ساتھ ساتھ مچھلی کے تیل کا ایک چھوٹا چمچ صبح/شام استعمال کیا جائے کیونکہ اس میں وٹامن ڈی ہوتا ہے جو جسم میں کیلشیم کے جذب ہونے کی رفتار کو تیز کرتا ہے۔ لہٰذا مچھلی کا تیل یا مچھلی کے تیل کے کیپسول ساتھ ساتھ مریضوں کو ضرور استعمال کروائے جائیں۔
اگر ساتھ میں یورک ایسڈ بڑھا ہوا ہو اور بخار بھی ہو تو مناسب علاج کریں۔ درج ذیل ادویات معجون سورنجاں‘ معجون چوب چینی‘ یوروسینال کو اگر ضرورت ہو تو ساتھ میں استعمال کروایا جاسکتا ہے۔
تقویت کے لیے حب اذراقی‘ معجون اذراقی‘ معجون فلاسفہ‘ دوالمسک معتدل جواہر دار‘ جواہر مہرہ وغیرہ میں سے کسی ایک کا استعمال کروایا جائے۔ سورنجاں (Colchicum) کے مرکبات کے جوڑوں کے درد میں احتیاط سے استعمال کرنا چاہیے کیونکہ اس کا زیادہ استعمال اور غیر ضروری استعمال (Agranulocytosis) اور (Mitotic Arrest) کا سبب بن سکتا ہے۔

گھٹنوں کے درد کا علاج!

آج کل گھٹنوں کے درد کا مسلہ بہت ھے خاص کر بوڑھے بزرگ مرد و خوستین اسکا ذیادہ شکار ھیں ذیل میں تین نسخے بتا رھا ھوں جو کہ گھٹنوں کے درد کا سنتہائی مفید علاج ھے

علاج
ھوالشافی
۱۔اسگند ناگوری،چاپ چینی،سنگھاڑہ اور سرنجان شیریں پچاس پچاس گرام لے کر سب کو ملاکر باریک پاؤڈر بناکر رکھ لیں۔ایک ایک چمچ صبح وشام دودھ کے ساتھ لیں۔یہ اگر آپ سے گھر میں نہ پسے تو آپ پنسار سے بآسانی پسواسکتے ہیں۔آزمودہ نسخہ ہے۔فائدہ تو پہلی خوراک پہ ھی ہوگا لیکن پندرہ دن استعمال کریں

۲۔سرنجان شیریں،قسطِ شیریں،اسگندھ ناگوری ایک ایک چمچ،ثابت اسپغول آدھاچمچ،شہد اور مونگ پھلی کا پاؤڈردو چمچ ان سب کو مکس کرکے آدھا چمچ صبح وشام روزانہ کھائیں۔

۳۔اجوائن کاتیل،زیتون کاتیل اور کلونجی کاتیل ہم وزن لے کر اسے ہلکا سرگرم کرکے اسمیں آمبہ ہلدی ایک چمچ ملالیں اور شیشے کی بوتل میں رکھ لیں۔روزانہ رات کو لگاکر سکائی کریں۔تیل کوپکانا نہیں ہے صرف گرم کرناہے۔
طالب دعا

مولانا حکیم سیف اللہ طالب قاسمی میرٹھی
طالب دواخانہ عید گاہ روڈ گلاؤٹھی بلند شہر یوپی الہند 203408
9897440400
9058315004