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लघुकथा….*क्या हम अपने बच्चों को कुछ भी नहीं कह सकते*…By-लक्ष्मी कुमावत
Laxmi Kumawat ============= लघुकथा *क्या हम अपने बच्चों को कुछ भी नहीं कह सकते* दो दिन पहले एक बड़ा ही दुखद वाक्या हुआ। परीक्षाओं का सीजन चल रहा है। बच्चों को पढ़ाई पर पूरा ध्यान हो, इस कारण एक पिता ने ऑफिस जाने से पहले अपनी दोनों बेटियों से कहा, ” बेटा अब तुम्हारे एग्जाम्स […]
खूबी हज़ार होंगी तेरे बादशाह में, जनता से मगर इनका सरोकार नहीं है…..चित्र गुप्त
चित्र गुप्त =============== कुछ और नाम रख दो ये तलवार नहीं है। जगमग है खूब इसमे मगर धार नहीं है। खूबी हजार होंगी तेरे बादशाह में जनता से मगर इनका सरोकार नहीं है। होने की फिक्र वो है जो हो सकते नहीं हम हासिल रहा है जो वही स्वीकार नहीं है। हाथों को बांधे बैठा […]
मिल गई फुर्सत घर आने की…हेमलता गुप्ता स्वरचित
मिल गई फुर्सत घर आने की, अरे घर में है कौन तुम्हारे लिए, बाहर जाओ घूमो फिरों मटरगश्ती करो और हां …मैंने खिचड़ी बनाकर रख दी है गर्म करके खा लेना और सारे बर्तन और रसोई को साफ कर देना, मैं अपने दोस्तों के साथ बाहर जा रही हूं। सुनो ना.. टीना, आज मेरा एक […]