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लौकी पुत्री, कद्दू पुत्र प्रतीक माना जाता है इसलिए….आप सब लोग इसे किस नाम से जानते हैं

अरूणिमा सिंह
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सर्दी का सीजन गया! सर्दियों के साग और सब्जियां भी गई।
अब जेठौवा कोहड़ा, लौकी, तरोई, नेनुआ, करेला, लाल साग, चौलाई साग, मेर्सा साग, सहजन फली, बोडा फली जैसी सब्जियां बाजार में आ गई है।
हमारे तरफ मान्यता है कि जिनके जेठ (बड़ा) पुत्र होता है वो जेठ महीने का कद्दू नही खाता है और जिनकी जेठ बिटिया होती है वो जेठाउवा लौकी नही खाता है।
लौकी पुत्री, कद्दू पुत्र प्रतीक माना जाता है इसलिए पुत्र प्रतीक कद्दू या नारियल को स्त्रियां नही फोड़ती है।
तस्वीर वाली तरोई सारी हरी सब्जियों में सबसे ज्यादा मुझे पसंद है।
कोई इसे तरोई कहता है, कोई तोरी कहता है, कोई राम तोरी कहता है, कोई काली तोरी कहता है और हमारी तरफ़ इसमें पड़े मोटे कठोर लकीर की वजह से खररोहिया तरोई कहते हैं।
कुछ लोग नेनुआ को भी तरोई ही कहते हैं जबकि कुछ लोग नेनुआ में अधिक पानी होने की वजह से गिलकी भी कहते हैं।
तरोई की सब्जी बनाना बड़ा आसान होता है। धोइए, काटिए, लहसून, लाल सूखी मिर्च का सरसों तेल में तड़का लगाए, तीखा चटपटा नमक डालिए और सब्जी में निकले पानी को सूखने तक धीमी आंच में पकाए फिर रोटी संग आनंद से खाए बेहद स्वादिष्ट बनती है। मैं तो चावल के साथ भी खा लेती हूं।
आप सब लोग इसे किस नाम से जानते हैं
तस्वीर फेसबुक साभार
अरूणिमा सिंह