साहित्य

आपको पता ही नहीं चला कि आपका बेटा कॉलेज में क्या गुल खिला रहा है ?

Rashi Singh
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दोषारोपण
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“आपको पता ही नहीं चला कि आपका बेटा कॉलेज में क्या गुल खिला रहा है ? “इंस्पेक्टर ने सामने की कुर्सी पर बैठे निखिल के पैरेंट्स से गुस्से में कहा । सविता निखिल की माँ तो सहम गयी मगर दिनेश निखिल के पिता सविता पर भड़क उठे ।
“इस सब की जिम्मेदार तुम्ही हो । कभी लड़के पर ध्यान ही नहीं दिया कि क्या कर रहा है क्या नहीं ?”
“मगर ……!”सविता ने धीरे से कहा ।
“अब अगर मगर क्या भुक्तो ….अरे नशे की पुडियों के साथ गिरफ्तार हुआ है ….सजा होगी इसको सजा …तुम ..तुम दोनों माँ बेटों ने न …..!”सिर पकड़कर गुस्से से कहा ।
“अरे चुप करो दोनों ।”इंस्पेक्टर ने डाँटा ।
अब निखिल के दादाजी भी आ चुके थे और वह भी सविता को ही बुरा भला कहने लगे ।
सविता को समझ नहीं आ रहा कि वह इन सबको कैसे समझाये कि कोई माँ क्या अपने बच्चों का बुरा चाहेगी ।
लेकिन अब यह घोषित हो चुका था कि नशे की सप्लाई के लिए निखिल को जो दोषी ठहराया गया है उसकी जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ उसकी माँ हैं ।
“छी भाभी कैसे संस्कार दिए हैं निखिल को ?”ननद ने भी सविता को चार छः सुना दी।
सविता की आँखों से अश्रुधारा बह उठी ।
वह सोचने लगी जब …….”पढ़ाई में या खेल कूद में बच्चे अच्छा करते हैं तो उसका श्रेय दिनेश खुद ले जाते हैं और बुराइयों …गलतियों का कितनी जल्दी मुझे दे दिया । मैंने तो कभी श्रेय नहीं लिया अच्छाइयों का और ….और आज सब बुराई का देने के लिए कितने आमादा हैं !”
“अब चलो …सहज जमानत भी नहीं होगी तुम्हारे इस नालायक बेटे की ।”दिनेश ने सविता की तरफ आँखें तरेरते हुए कहा । सविता सहम गयी ।
लेखिका राशि सिंह
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
(अप्रकाशित एवं मौलिक लघुकथा )