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पूँजी की आततायी सत्ता सिर्फ़ दमन-तंत्र के बूते नहीं चल सकती, उसे प्रचार-तंत्र के अतिरिक्त एक विराट बौद्धिक-सांस्कृतिक मशीनरी की ज़रूरत होती है!
https://www.youtube.com/watch?v=tidH6OrsK84 Kavita Krishnapallavi ============== दलाल ( ब्रोकर ) को मैं मानव जाति का सदस्य नहीं मानता ! — बाल्ज़ाक बाल्ज़ाक बुर्जुआ समाज और राजनीति के मानवद्रोही चरित्र और व्यावसायिक गतिविधियों के सूक्ष्म पर्यवेक्षक और तीक्ष्ण आलोचक थे I पर बुर्जुआ समाज के चरित्रों में शायद वह सबसे अधिक घृणा दलालों और सूदखोरों से करते थे […]
‘ओवरसीज़ हाईवे’ के नाम से मशहूर इंजीनियरिंग का अजूबा : समंदर पर तैरता हाईवे
जब मैं अटलांटिक महासागर और मेक्सिको की खाड़ी के बीच मीलों के समुद्री रास्ते से गुज़र रही थी तो सीगल ऊपर चिल्ला रहे थे. ऐसा लग रहा था कि आसमान पिघल कर समंदर में मिल रहा था. जहां तक निगाह पहुंच रही थी नीले रंग का मंज़र था. जैसे ही मैंने अपने धूप के चश्मे […]
हां, मुझे लड़की ही चाहिए बस…
Madhu Singh ============ “आइना…. चोरी-छिपे मोबाइल फोन पर दोनों घंटों बात करते रहते थे सुबह व्हाट्सएप पर गुड मॉर्निंग से देर रात गुड़ नाइट तक क्या कर रहे हो ….क्या खाया…. कहा थे…. यही सब चलता रहता था दोनों एक-दूसरे को चाहते थे अक्सर बहाने से मिलते भी रहते थे कोचिंग क्लास से शुरू हुई […]