ये करीब साल भर पहले की बात है. अप्रैल, 2023 में एक प्रेस कांफ्रेंस में उद्धव ठाकरे ने कहा था, “जिस दिन बाबरी मस्जिद गिरी थी, मैं बाला साहेब के पास गया था. उन्होंने बताया कि बाबरी मस्जिद गिर चुकी है. इसके बाद संजय राउत का फोन आया. बाला साहेब ने उनसे कहा था कि अगर बाबरी मस्जिद शिव सैनिकों ने गिरा दी है, तो उन्हें गर्व है.”
उद्धव ठाकरे के मुताबिक, “बाला साहेब ने ये भी कहा कि इन लोगों को बहादुरी दिखानी होगी. जब मुंबई में दंगे हुए थे, तब शिव सैनिकों ने इन गद्दारों को बचाया था.”
हालांकि, दूसरी तरफ़ अब उद्धव ठाकरे राज्य भर के मुस्लिम वोटरों से साथ आने की अपील करते नज़र आ रहे हैं. उनकी बैठकों और दौरों में मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं की भी अच्छी-खासी मौजूदगी रहती है.
उद्धव ठाकरे के साथ फ़िलहाल 14 विधायक और छह सांसद हैं. ठाकरे गुट में एक भी मुस्लिम विधायक या सांसद नहीं है. लेकिन शिवसेना से सिल्लोड सीट से अब्दुल सत्तार विधायक हैं जो अब शिंदे गुट में हैं.
इस बीच, मौजूदा लोकसभा चुनाव में ठाकरे समूह या महाविकास अघाड़ी से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं मिला है.
नए राजनीतिक प्रयोग से उद्धव ठाकरे को फायदा होगा?
ऐसे में सवाल यही है कि नए राजनीतिक प्रयोग से मौजूदा लोकसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे को कितना फ़ायदा होने वाला है? और क्या कांग्रेस का यह पारंपरिक वोट बैंक उद्धव ठाकरे की ओर खिसक रहा है?
कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे ने मुंबई के शिवसेना भवन में माहिम दरगाह के कुछ पदाधिकारियों से मुलाकात की थी.
उद्धव ठाकरे ने मुस्लिम समुदाय को यह समझाने की कोशिश की कि वह संविधान बचाना चाहते हैं. माहिम दरगाह के ट्रस्टी शाहनवाज ख़ान ने बीबीसी मराठी को बताया, “उन्होंने कहा था कि जैसे हमारी दुश्मनी मशहूर थी, वैसे हमारी दोस्ती भी मशहूर होगी.”
2019 के बाद यानी महाविकास अघाड़ी के अस्तित्व में आने के बाद से ही उद्धव ठाकरे ने मुस्लिमों यानी उस मतदाता वर्ग को अपने साथ लाने की कोशिशें शुरू कर दीं, जो आज तक शिवसेना के साथ कभी नहीं देखा गया था.
शिवसेना को हमेशा से कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करने वाली पार्टी के रूप में जाना जाता है. विधानसभा के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़कर, शिवसेना को बड़ी संख्या में मुस्लिम वोट नहीं मिले.
लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाता उद्धव ठाकरे की शिवसेना की ओर रुख़ करेंगे. आख़िर इसके क्या कारण हैं?
मुस्लिम समुदाय से अपील
लोकसभा चुनाव में दो चरण के मतदान हो चुके हैं. चुनाव प्रचार भी अपने ज़ोरों पर है. लोकसभा सीट वाले क्षेत्रों में महाविकास अघाड़ी और महायुति की प्रचार बैठकें चल रही हैं. हर किसी की कोशिश, चाहे जो भी समुदाय हो, उसके मतदाताओं को आकर्षित करने की है.
शिवसेना में टूट के बाद शिवसेना का एक गुट बीजेपी के साथ है और दूसरा गुट कांग्रेस और पवार की एनसीपी के साथ है. ऐसे में यह तय है कि शिवसेना के वोटों का बंटवारा होगा. ऐसे में उद्धव ठाकरे राज्य के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम मतदाताओं से बातचीत कर रहे हैं.
इससे पहले राज्य में खासकर मुंबई और मराठवाड़ा में शिवसेना ने कट्टर हिंदुत्व विचारधारा का विस्तार किया था. इस कोशिश से कहा गया कि मराठी के साथ-साथ शिवसेना का हिंदुत्व वोट बैंक भी बना, अब उद्धव ठाकरे मुस्लिम वोटरों को अपनी तरफ़ करने की कोशिश कर रहे हैं.
माहिम की दरगाह मुंबई में प्रसिद्ध है. यह दक्षिण मध्य मुंबई निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है. इसी इलाके में शिवसेना का सेना भवन कार्यालय भी है. कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे ने माहिम के कुछ मुस्लिम मतदाताओं से सेना भवन में बातचीत की थी.