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मेरी ग़लती है, कि मैंने आज तक अपनी पत्नी की कद्र नहीं की!
Madhu Singh =============== रजनी जब हड़बड़ाकर जागी, तो निग़ाहें सीधे घड़ी पर पड़ी. सात बज गए थे. दिव्या दरवाज़े के बाहर से ही रुआंसी होकर चिल्ला रही थी, “मम्मी, आप अभी तक सो रही हैं? मेरी स्कूल बस आने वाली है. अभी तक न तो मुझे नाश्ता मिला है और ना ही मेरे टिफिन का […]
मधु मालती जी और ‘भूल-ग़लती’ का क़िस्सा…बेहद अँधेरे दिनों में भी हँसना ज़रूरी होता है!!
Kavita Krishnapallavi =============== · ( बेहद अँधेरे दिनों में भी हँसना ज़रूरी होता है I जीवन की विडम्बनाओं पर, त्रासदियों पर, अपने दुश्मनों पर, फ़ासिस्टों पर, नकली वामपंथियों पर, लिबलिब लिबरलों पर, कूपमंडूक “सद्गृहस्थों” पर दिल खोलकर हँसना चाहिए I हँसना ऊर्जस्वी और ताज़ादम बनाता है I इसलिए एकदम उन्मुक्तता और निर्मलचित्तता के साथ हँसना […]
उसे बस बोलना आता था, वह कुछ भी बोल सकता था : नंदू पूरे गांव में अपने धड़े का इकलौता वक्ता था!
चित्र गुप्त ============ वामपंथी ******* नंदू पूरे गांव में अपने धड़े का इकलौता वक्ता था। उसके बोलने पर लोग मरने मारने पर उतारू हो जाते थे। उसने कई सारी घटनाओं के इतिहास और भूगोल को व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से पढ़कर तोते की तरह कंठस्थ कर रखा था। उसे जब भी मौका मिलता बेलगाम शुरू हो जाता […]