साहित्य

#तीसरी_बार…..”थक गए हो तुम्हारी थकान दूर करने को एक कहानी सुनाता हूं”

यादव जी सैदपुर वाले
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#तीसरी_बार
बेताल बोला “है राजन तुम मुझे लादे लादे थक गए हो तुम्हारी थकान दूर करने को एक कहानी सुनाता हूं शीर्षक है तीसरी बार
एक बार जंगल के राजा शेर ने सभा बुलाई और कहा कि मैं राजा हूं क्या मेरा शिकार के लिए इधर-उधर घूमता अच्छा लगेगा ।
अब से मेरे लिए शिकार का इंतजाम मंत्रिमंडल करेगा है
उसने सबसे शातिर मंत्री लोमड़ी को शिकार के को लाने के लिए कहा लोमड़ी समझदार थी उसने एक गधे से जाकर कहा की “हे गर्दभ राज ! आपको शेर ने बुलाया है ।
गधा बोला “#मुझे_मूर्ख_समझती हो मैं शेर के पास जाऊंगा, वो मुझे खा नहीं जाएगा “

लोमड़ी ने समझाया कि #शेर_पहले_जैसा मांस भक्षी नहीं रहा ,वह बदल गया वह आपको अपना राज्य सौंपना चाहता है आप चलें
गधा #वाकई_बेवकूफ होता है आप सब जानते हैं तो वह लोमड़ी के बहकावे में आकर चल पड़ा जैसे ही शेर के दरबार में पहुंचा शेर ने झपटा मारा गधा दुलत्ती मार कर भाग खड़ा हुआ लेकिन झपट्टे में शेर के हाथ गधे के #कान लगा गए ,शेर कान खाकर बोला कान से मेरा पेट कैसे भरेगा ?
जाओ जल्दी से शिकार लेकर आओ।लोमड़ी फिर गई और गधे को कहने लगी आप भाग क्यों आए महाराज? गधा बोला “अरे भागता नहीं तो क्या करता? शेर तो मुझे खाने को तैयार था मेरा कान उखाड़ लिया ।”


लोमड़ी बोली “रहे ना गधे के गधे के अरे कान इसलिए उखाड़े की
#कान_रहते_हुए_तुम्हारे_सिर_पर_मुकुट कैसे रखते । चलो राजा बिना मुकुट अच्छा लगता क्या।
अब आप जानते हैं #गधे_तो_गधे होते हैं वह फिर चल पड़ा जैसे ही दरबार में पहुंचा भूखे शेर ने फिर झपट्टा मारा गधा फिर भाग लिया लेकिन
#भागते_गधे_की_पूंछ_शेर के मुंह में आ गई थी आ गई थी ।
लोमड़ी तीसरी बार गधे के पास की बोली सीअरे तुम तो अहमक हो भाग क्यों आए?
गधा बोला अरे पहली बार कान दूसरी बार पूंछ शेर तो मुझे खाने की जुगत में था ,नहीं तो मेरी पूछ क्यों उखाड़ता “
लोमड़ी मुंह बना कर बोली सच में ही दुनिया तुम्हें गधा कहती है क्योंकि तुम हो ही मूर्ख ।भले आदमी #पूंछ_के_रहते_तुम_सिंहासन पर कैसे बैठते ? तुम्हारा कान उखाड़ा तुम्हे टोपी पहनाने के लिए
दूसरी बार तुम्हारी पूंछ ताकि तुम्हें सिहासन पर बैठने में दिक्कत न हो चलो शेर तुम्हें वाकई राजा बनाएगा गधा फिर जा पहुंचा ।
अबकी बार शेर को उसकी मौसी लोमड़ी ने सिखा पढ़ा रखा था
शेर बोल आओ गधे भाई आओ तुम तो मेरे परिवार हो मेरे सिंहासन पर तुम्हारा ही हक है। गधा बेचारा शेर की चुपनी चिकड़ी बाते सुन कर शेर के पास चला गया ।
शेर ने लाड लड़ाने के खातिर पहले उसके चेहरे पर हाथ फेरा फिर गर्दन पकड़ कर उसे मार डाला
तो मित्रों आपने देख लिया की तीसरी बार गधे का क्या हाल हुआ ।
बेताल ने कहानी सुनाकर पूछा राजन इस कहानी से तुम क्या समझे?
विक्रम बोला “यह कहानी है उसी तरीके की कहानी जैसे पंचतंत्र में हैं यानी जानवरों के माध्यम से इंसानों को समझने हेतु ।इसका उपदेश यह है
#जो_तीसरी_बार_मूर्ख_बने_वह_गधा_ही हो सकता है।