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सुप्रीम कोर्ट निशाने पर है, न्यायिक स्वतंत्रता को सबसे बड़ा ख़तरा भाजपा से है, प्रधानमंत्री मोदी से है, गृहमंत्री अमित शाह से है : जयराम रमेश

सुप्रीम कोर्ट निशाने पर है। न्यायिक स्वतंत्रता को सबसे बड़ा खतरा भाजपा से है। यह कहना है कि कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश का। दरअसल, शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों के 21 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा। पत्र में न्यायपालिका को कमजोर करने के प्रयासों पर चिंता जताई गई थी। मामले में रमेश ने कहा कि यह पत्र न्यायपालिका को धमकाने और डराने के प्रधानमंत्री के प्रयासों का हिस्सा है। बता दें, पत्र में कुछ गुटों की ओर से सोचे-समझे दबाव, गलत सूचना और सार्वजनिक अपमान के जरिए न्यायपालिका को कमजोर करने के बढ़ते प्रयासों का जिक्र किया गया है।

Jairam Ramesh
@Jairam_Ramesh

This G21 is not at all surprising. #4 on the list is a give-away. The gravest threat to the judiciary is coming from the Modi regime on whose behalf this letter has been put out.

ANI
@ANI
21 Retired Judges write to Chief Justice of India (CJI) Dy Chandrachud

“We write to express our shared concern regarding the escalating attempts by certain factions to undermine the judiciary through calculated pressure, misinformation, and public disparagement. It has come to our notice that these elements, motivated by narrow political interests and personal gains, are striving to erode the public’s confidence in our judicial system…,” reads the letter written by 21 retired judges.

“We are particularly concerned about the tactics of misinformation and the orchestration of public sentiment against the judiciary, which are not only unethical but also detrimental to the foundational principles of our democracy. The practice of selectively praising judicial decisions that align with one’s views while vehemently criticizing those that do not undermine the very essence of judicial review and the rule of law,” reads the letter written by 21 retired judges.

न्यायिक स्वतंत्रता को भाजपा से खतरा: रमेश
नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रमेश ने कहा कि यह पत्र हाल के महीनों में अपनी ताकत दिखाने वाली न्यायपालिका को डराने का प्रयास है। न्यायपालिका जिसने भारत के सबसे बड़े भ्रष्टाचार चुनावी बांड को उजागर किया है। यह उस सर्वोच्च न्यायालय को डराने का प्रयास है, जिसने कहा कि मणिपुर में संवैधानिक तंत्र ध्वस्त हो गया है। रमेश ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट निशाने पर है, क्योंकि अदालत की एक महिला जज ने हाल ही में नोटबंदी की काफी आलोचना की थी। न्यायिक स्वतंत्रता को सबसे बड़ा खतरा कांग्रेस पार्टी से नहीं, बल्कि भाजपा से है, प्रधानमंत्री मोदी से है, गृहमंत्री अमित शाह से है।

एक्स पर भी साधा निशाना
इसके अलावा, एक्स पर पत्र को साझा करते हुए रमेश ने कहा कि जी21 बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है। सूची में चौथे नंबर वाले न्यायाधीश एमआर शाह तो एक उपहार की तरह हैं।

न्यायिक प्रणाली पर जनता के विश्वास को कम करने का प्रयास
पत्र में कहा गया कि न्यायपालिका पर दबाव डालने वाले संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ के लिए न्यायपालिका को कमजोर और न्यायिक प्रणाली पर जनता के विश्वास को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने उन घटनाओं के बारे में नहीं बताया, जिसके कारण उन्होंने सीजेआई को पत्र लिखा है। हालांकि, यह पत्र ऐसे वक्त लिखा गया है, जब भ्रष्टाचार के मामले में विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों के बीच जुबानी जंग जारी है।

न्यायाधीशों की ईमानदारी पर सवाल उठाने का आरोप
सेवानिवृत्त न्यायमूर्तियों दीपक वर्मा, कृष्ण मुरारी, दिनेश माहेश्वरी और एमआर शाह समेत पूर्व जजों ने आलोचकों पर अदालतों और न्यायाधीशों की ईमानदारी पर सवाल उठाने का आरोप लगाया है। उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के स्पष्ट प्रयासों के साथ गलत तरीके अपनाने का भी आरोप लगाया है।