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“बूंदी का रायता…..
“बूंदी का रायता….. बाबूजी…. आखिरकार आज हमारी कम्पनी ने प्रोजेक्ट को पूरा कर ही लिया ….खुश होते हुए दीपक सुरेंद्र बाबू से बोला…. शाबाश…. मुझे पता था तुम ही मेरी कम्पनी को संभाल सकते हो खूब तरक्की करो …जीते रहो…. दीपक अपने पिताजी के कमरे में उन्हें आज कम्पनी की कामयाबी की बातें बता रहा […]
और फिर मैं कानपुर तक उसका हाथ पकड़ कर बैठी रही।।
दिल से पढीयेगा पसंद आएगी 🙏🙏 जीवन की एक कसक …💕… ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक कोई जाना पहचाना सा चेहरा जर्नल बोगी में आ गया। मैं अकेली सफर पर थी। सब अजनबी चेहरे थे। स्लीपर का टिकिट नही मिला तो जर्नल डिब्बे में ही बैठना पड़ा। मगर यहां ऐसे हालात में उस […]
मर्द के अंदर भी होती है रोने की इच्छा, चेहरे की झूठी मुस्काने धोने की इच्छा – सीताराम “पथिक” की कवितायेँ पढ़िये!
Sitaram Pathik Rewa, India ============= 💐मां की ढूंढ कमी नहीं पाए! 🌻🌻🌻🌻🌻 ठीक ढंग से जी नहीं पाए। जख्मों को हम सी नहीं पाए। बादल जैसे फट पड़ते हैं, लोग क्रोध को पी नहीं पाए। कोशिश की दुनिया वालों ने, मां की ढूंढ कमी नहीं पाए। धनवानों के घर में सब कुछ, लेकिन वहां खुशी […]