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राशिद खान बना इसरो में वैज्ञानिक- देशभर में 11 वाँ स्थान पाकर किया नाम रोशन

नई दिल्ली: शहर के गरहीतीर निवासी व शिक्षक दंपति नूर आलम खां एवं नूर आयशा के पुत्र राशिद खां ने इसरो में वैज्ञानिक बनकर देश में सारण का डंका बजाया। राशिद को देश भर में 11 वां स्थान आया है। राशिद की स्कूली शिक्षा छपरा में हुई है। उसने ब्रजकिशोर ¨कडर गार्टेन से दसवीं उसके बाद गुरूकुल इंटर कॉलेज से प्लस टू किया है।

उसके बाद जामिया मिलिया इस्लामिया इंस्टीच्यूट आफ टेक्नोलॉजी , दिल्ली से बीटेक किया है। राशिद खां के पिता नूर आलम मध्य विद्यालय नंदपुर मांझी एवं मां नूर आयशा उर्दू मध्य विद्यालय ब्रह्मपुर में प्रधानाध्यापिका हैं। राशिद ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि उसे बचपन से ही वैज्ञानिक बनने का शौक था। वह अपनी सफलता का श्रेय माता -पिता को देता है।

राशिद के दादा अकरब दाद खां संन्यासी हाई स्कूल सम्हैता में शिक्षक थे। तीन भाई-बहन में राशिद सबसे छोटा है। बड़ा भाई जाहिद खां शिक्षक है, कौशर खां चाटर्ड एकाउंटेंट एवं बड़ी बहन शाहिदा परवीन आईआईटी नारायण दिल्ली में व्याख्याता है। उसकी सफलता से घर में जश्न का माहौल है। मोहल्ले के लोग एवं रिश्तेदार भी फूले नहीं समा रहे हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, (संक्षेप में- इसरो) (अंग्रेज़ी: Indian Space Research Organisation, ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बेंगलुरू कर्नाटक में है। संस्थान में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है।

1969 में स्थापित, इसरो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से 1962 में स्थापित किया गया। [4] भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, जो 19 अप्रैल 1975 सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गया था यह गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था बनाया।

इसने 5 दिन बाद काम करना बंद कर दिया था। लेकिन ये अपने आप में भारत के लिये एक बड़ी उपलब्धि थी। 7 जून 1979 को भारत ने दूसरा उपग्रह भास्कर 445 किलो का था, पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। 1980 में रोहिणी उपग्रह पहला भारतीय-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी -3 बन गया जिस्से कक्षा में स्थापित किया गया। इसरो ने बाद में दो अन्य रॉकेट विकसित किये।

ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान उपग्रहों शुरू करने के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी),भूस्थिर कक्षा में उपग्रहों को रखने के लिए ध्रुवीय कक्षाओं और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान। ये रॉकेट कई संचार उपग्रहों और पृथ्वी अवलोकन गगन और आईआरएनएसएस तरह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम तैनात किया उपग्रह का शुभारंभ किया।जनवरी 2014 में इसरो सफलतापूर्वक जीसैट -14 का एक जीएसएलवी-डी 5 प्रक्षेपण में एक स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया।