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मुमताज़ अली, हिंदी सिनेमा के पहले प्रोफेशनल पुरुष नृत्यकार, अभिनेता महमूद अली के पिता!

मुमताज़ अली। हिंदी सिनेमा के पहले प्रोफेशनल पुरुष नृत्यकार। 15 मार्च 1905 को इनका जन्म हुआ था। यानि आज इनका जन्मदिवस है। कहीं-कहीं पर मुमताज़ अली की जन्मतिथि 15 मार्च 1912 भी बताई जाती है। पक्के तौर पर हमें भी नहीं पता कि कौन सी तारीख सही है। इनका जन्म हैदराबाद में हुआ था। ये तीन साल के थे जब इनके माता-पिता बेहतर जीवन की तलाश में सऊदी अरब चले गए थे। लेकिन 1920 में वहां आए एक ज़बरदस्त तूफान में इनके माता-पिता व अन्य कुछ रिश्तेदारों की मृत्यु हो गई थी।

मुमताज़ अली की बहन करीमुन्निसा के पति की मौत भी उसी तूफान में हो गई थी। अपने भाई को लेकर करीमुन्निसा भारत लौटी और मुंबई की एक चॉल में रहने लगी। उस वक्त छोटे-मोटे काम करके इन दोनों भाई-बहनों का गुज़ारा चलता था। नन्हे मुमताज़ अली गेटवे ऑफ इंडिया के पास काम करते थे। एक दिन वहीं पर इनकी मुलाकात बॉम्बे क्रॉनिकल अखबार के बी.जी.होर्नीमैन से हुई। बी.जी.होर्नीमैन इनसे मिलकर काफी प्रभावित हुए और उन्होंने इन्हें अपने स्तर पर शिक्षित करना शुरू कर दिया। ये बी.जी.होर्नीमैन ही थे जिनकी वजह से मुमताज़ अली की दिलचस्पी अभिनय और गायकी में हुई थी।

फिर एक वक्त वो आया जब बी.जी.होर्नीमैन ने बॉम्बे टॉकीज़ के संस्थापक हिमांशु रॉय को एक चिट्ठी लिखकर मुमताज़ अली के बारे में बताया और इन्हें काम देने की सिफारिश की। यहां ये भी बता दूं कि मुमताज़ अली थिएटर करना शुरू कर चुके थे। मुमताज़ थिएटरीकल कंपनी नाम से उनका खुद का एक थिएटर ग्रुप भी था। और उसी से प्रभावित होकर बी.जी.होर्नीमैन ने हिमांशु रॉय को चिट्ठी लिखकर इनके बारे में बताया था। हिमांशु रॉय भी जब इनसे मिले तो बड़े प्रभावित हुए। उन्होंने बॉम्बे टॉकीज़ की प्रोडक्शन यूनिट में मुमताज़ अली को रख लिया।


मुमताज़ अली को बॉम्बे टॉकीज़ में 75 रुपए महीना की पगार मिलना तय हुआ था। उनका काम था सहयोगी भूमिकाएं निभाना, गाना और डांस करना। ये साल 1932 का दौर था। और इसी साल मुमताज़ अली के बेटे महमूद अली का जन्म हुआ था। तब तो शायद मुमताज़ अली ने भी कभी सोचा नहीं होगा कि उनके घर एक सुपरस्टार ने जन्म लिया है। खैर, 1935 में आई बॉम्बे टॉकीज़ की पहली फिल्म जवानी की हवा में मुमताज़ अली ने भी काम किया था। लेकिन स्क्रीन पर नहीं। पर्दे के पीछे। सपोर्टिंग स्टाफ की हैसियत से। मुमताज़ अली ने पहली दफा कैमरे के सामने काम किया साल 1936 में आई फिल्म अछूत कन्या में। और इसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

30 और 40 के दशक में मुमताज़ को बहुत ख्याति मिली। वो हर बड़ी फिल्म में नज़र आ ही जाते थे। दिलीप कुमार की पहली फिल्म ज्वार भाटा में भी मुमताज़ अली ने काम किया था। लेकिन जब हिमांशु रॉय की मौत के बाद बॉम्बे टॉकीज़ बिखर गया तो मुमताज़ अली के करियर में ठहराव आ गया। टैलेंटेड होने के बावजूद उन्हें काम मिलना कम हो गया। हालांकि जब बाद में सशधर मुखर्जी व अशोक कुमार ने मिलकर फिल्मालय स्टूडियो की स्थापना की तो उन्होंने मुमताज़ अली को अपनी फिल्मों में काम देना शुरू कर दिया। मगर तब तक मुमताज़ अली शराब की लत का शिकार हो चुके थे।

आखिरी दफा मुमताज़ अली दिखे थे अपने बेटे महमूद अली की फिल्म कुंवारा बाप में। इस फिल्म में भी मुमताज़ अली ने एक शराबी का ही रोल निभाया था। और एक गाने पर डांस भी किया था। 06 मई 1974 को मुमताज़ अली का निधन हो गया।