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कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे….बेहद लोकप्रिय कवि, गीतकार गोपालदास ”नीरज” : विशेष

गीतकार नीरज (गोपालदास सक्सेना) कवि सम्मेलनों के बेहद लोकप्रिय कवि रहे हैं। उनकी कविता ‘ कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे ‘ रेडियो ( आकाशवाणी , लखनऊ ) तथा कवि सम्मेलन में बड़े चाव और उत्साह से सुनी जाती थी । ‘ धर्मयुग ‘ पत्रिका में यह लम्बी कविता पूरे एक पृष्ठ पर प्रकाशित हुयी थी । यह कविता और नीरज जैसे एक दूसरे के पर्याय बन गये । अभिनेता भारत भूषण के भाई आर चन्द्रा ने अपनी फ़िल्म ‘ नई उमर की नई फ़सल ‘ ( 1965 ) में इस कविता को शामिल कर लिया । इस फ़िल्म के नौ में से आठ गाने नीरज ने लिखे थे । ‘देखती ही रहो प्राण दर्पण ना तुम ‘कविता में ‘प्राण‘ की जगह ‘आज‘ कर फ़िल्म में रखा गया था -‘देखती ही रहो आज दर्पण ना तुम‘ ( मुकेश ) । ‘ नई उमर की नई फ़सल‘ 1960 से बन रही थी पर रिलीज़ देर से हुयी । इस बीच निर्माता चन्द्रशेखर की फ़िल्म ‘चा चा चा ‘रिलीज़ हो गयी, जिसमें नीरज के लिखे दो गीत बेहद सराहे गये – ‘सुबहा ना आयी, शाम ना आई, जिस दिन तेरी याद ना आई ‘ तथा ‘वो हम ना थे, वो तुम ना थे, वो रहगुज़र थी प्यार की ‘।

इसके बाद नीरज ने अनेक स्थापित संगीतकारों के साथ काम किया- सचिनदेव बर्मन ( प्रेम पुजारी, गैम्बलर, तेरे मेरे सपने , शर्मीली ), शंकर जयकिशन ( कन्यादान , मेरा नाम जोकर , जंगल में मंगल , पहचान , कल आज और कल , लाल पत्थर ), रोशन ( नई उमर की नई फ़सल ), हेमन्त कुमार ( मंझली दीदी ), जयदेव ( रेशमा और शेरा ), मदन मोहन ( दुल्हन एक रात की ), उषा खन्ना ( मुनीम जी ), इक़बाल क़ुरैशी ( चा चा चा ), एस एन त्रिपाठी ( वीर छत्रसाल ), पं शिवराम ( सती नारी ) इत्यादि ।
‘ मेरा नाम जोकर ‘ के सर्कस वाले भाग के लिये उन्होंने ‘ ऐ भाई ज़रा देख के चलो ‘ गीत लिखा।

संगीतकार शंकर को इन पंक्तियों को लयबद्ध करने में थोड़ी कठिनाई आ रही थी । नीरज कवि सम्मेलनों में सदैव अपने गीत गा कर सुनाते थे । वे अपने लिखे हर गीत की एक धुन बना लेते थे । ‘ ऐ भाई ज़रा देख के चलो ‘ को उन्होंने अपनी रची धुन में गा कर सबको सुनाया । वही धुन परिमार्जित रूप में फ़िल्म में रखी गयी और मन्ना डे को उस गीत के लिये फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड मिला।

गीतकार नीरज एक बार सिनेमा के बड़े पर्दे पर भी दिखलाई पड़े । फ़िल्म थी सोहनलाल कँवर की ‘पहचान‘ ( 1970, मनोज कुमार, बबीता ) ।इस फ़िल्म में अपने लिखे गीत को पर्दे पर गाते हुये नीरज जी स्वयं मौजूद थे -‘पैसे की पहचान यहाँ, इंसान की क़ीमत कोई नहीं ।’
गीत – पैसे की पहचान यहाँ, इंसान की क़ीमत कोई नहीं
फ़िल्म – पहचान (1970)
संगीतकार – शंकर जयकिशन
गीतकार – नीरज
गायक – मोहम्मद रफ़ी