मनोरंजन

और उसके बाद साल 1980 को लीना चंद्रावरकर ने किशोर कुमार से शादी कर ली…

धर्मेंद्र ने लीना के पति के लिए क्या क्या किया और लीना के भाई ने धर्मेंद्र से ऐसा क्या कहा जो धर्मेंद्र ने उस पर मुक्का निकाल लिया…

लीना चंदावर्कर एक ऐसी अदाकारा जब वो 15 साल की थी तो उनका सपना था उनका एम्बीशन था के वो मीना कुमारी जैसी एक्ट्रेस बने ..लेकिन लीना करियर के शुरुआत में ही फिसल गई…मतलब वो डाइवर्ट हो गई..


लीना चंदावर्कर की पहली फ़िल्म थी मन का मीत औऱ इससे पहले सुनील दत्त साहब और राजकुमार के साथ मसीहा फ़िल्म अनाउंस हो चुकी थी.. इस फ़िल्म में मुमताज़ भी थी हालांके मुमताज़ ने मसीहा फ़िल्म में वैम्प का किरदार निभाया था लेकिन मुमताज़ ने कमाल कर दिया था.. मुमताज़ इस फ़िल्म में लीना पर भारी पड़ी थी…

जब लीना ने जब मन का मीत फ़िल्म का तमिल वर्जन देखा तो लीना रोने लगी थी.. वो अपने आप को देख कर बहुत मायूस हुई और फिल्मों में ऐसे किरदार करने से तौबा कर गई.. दरअसल लीना अपने कपड़ों को लेकर परेशान थी.. लीना ने डायरेक्टर से कहने लगी के मैं ऐसे कपड़े नहीं पहन सकती..फिर लीना की परेशानी को नरगिस दत्त ने मोटीवेट करके हल किया था, सुनील दत्त की पत्नी नरगिस दत्त ने लीना को बहुत स्पोर्ट किआ ..नरगिस ने लीना से कहा.. के जो तुम हो, वो तो तुम कैमरे पर आसानी से कर लोगयी..लेकिन तुम्हें वो भी करना है जो तुम नहीं हो.. तुम्हारे आगे चैलेंज है इसे चैलेंज के तौर पर लो..


उसके बाद लीना ने इस किरदार को एक्सेप्ट कर लिया और लोगों ने लीना को.. उसके बाद तो लीना ने मनचली फ़िल्म में बेहद ग्लैमरस किरदार निभाया..

और दूसरी तरफ़ धर्मेन्द्र का मासूमीयत से भरा चेहरा तो सब को अपनी तरफ आकर्षिक करता ही है लेकिन अगर आपके कर्म अच्छे नहीं है तो ये चेहरा भी आपका साथ नहीं दे सकता..चेहरे के साथ साथ आपकी अंदरूनी खूबसूरती और अंदरूनी मासूमियतअंदरूनी इंसानियत का होना भी बहुत ज़रूरी है… एक ऐसा ही किस्सा जब धर्मेन्द्र ने लीना चंद्रवर्कर का मुश्किल घड़ी में साथ निभाया लेकिन लीना के भाई की एक हरकत ने धर्मेन्द्र को नाराज़ कर दिया और उन्होंने लीना चंद्रवर्कर के भाई पर मुक्का निकाल लिया था….

////साल 1971 में आई धर्मेन्द्र की फ़िल्म रखवाला में बतौर अभिनेत्री लीना चंदावरकर ने काम किया था..और उस फिल्म के बाद साल 1975 में फिर लीना ने धर्मेन्द्र के साथ फ़िल्म की “एक महल हो सपनों का”….इस फ़िल्म में शर्मिला टैगोर भी थी..और इसी दौरान 29 सितंबर 1974 को लीना की सगाई सिद्धार्थ बंदोदकर से हो गई ..सिद्धार्थ गोआ की एक हाई प्रोफाइल फैमिली से सम्बंध रखते थे..बिज़नेस मैन फैमिली के साथ साथ उनकी बड़ी बहन “शशि कला ताई” गोआ की मुख्यमंत्री भी रह चुकी थीं.. और उसके बाद 8 दिसंबर 1975 को लीना की शादी भी सिद्धार्थ से हो गई..और शादी के तुरंत बाद 18 दिसंबर 1975 को लीना के पति सिद्धार्थ के साथ एक दुर्घटना हो गयी..वो पार्टी की तैयारी कर रहे थे और इसी दौरान वो अपनी लएसेंसी गन साफ करते हुए ज़ख्मी हो गए और उन्हें तुरंत बम्बई के जसलोक हॉस्पिटल में भरती कराया गया..लेकिन इलाज के लिए कुछ ज़रूरी दवाइयों की ज़रूरत थी.. लेकिन वो दवाइयां बम्बई में मिल नहीं रही थी तो उसी दौरान धर्मेन्द्र की इस सीन में एन्ट्री होती है.. धर्मेन्द्र ने वैसे ही लीना के पती का हाल चाल पूछने के लिए फ़ोन किया तो लीना धर्मेन्द्र से बात करते हुए रोने लगी..जब धर्मेन्द्र ने पूछा तो लीना ने बताया के..दवाइयां यहां से मिल नहीं रही है जिससे उनकी जान बच सकती है..

धर्मेन्द्र को ऐसे ही ही-मैन नहीं कहा जाता.. कुछ तो बात है उस जाट में..एक तो जाट और दूसरा लड़की के आंसू.. वो कहाँ उसे टिक कर बैठने देते.. तो धर्मेन्द्र ने कुछ जुगाड़ लगाया और बहुत ही कम समय मे धर्मेन्द्र ने दवाएं लीना तक पहुंचा दी..जिसकी वजह से लीना के पति सिद्धार्थ की जान बच पाई और फिर उसके बाद लीना ने धर्मेन्द्र के बारे में कहा भी था के धर्मन्द्र ने मेरे पति सिद्धार्थ की जान बचाई है..

दरअसल लीना मांगलिक थी.. और इसीलिए लीना के मन मे कुछ शंकय थे और एक दिन लीना ने अपनी सास से कहा के सिद्धार्थ के पूरी तरह ठीक होते ही हम दोबारा शादी करेंगे.. तो इनके जवाब में लीना की सास ने लीना से कहा के “मेरी तीन बेटियाँ हैं, और सात बेटे पैदा होकर मर गए और उसके बाद सिद्धार्थ जन्मा था… तो क्या उन सातों को तुमने मार था..इसलिए कोई वहम मत करो..

इस किस्से के कुछ दिन बाद लीना को फिर कुछ दवाइयों की ज़रूरत आन पड़ी तो उसे फिर धर्मेन्द्र की याद आई तो लीना ने फ़ोन उठाया और धर्मेन्द्र को लगा लिया ..लेकिन इस बार लीना ने धर्मेन्द्र से कहा के ये दवाईयां सिर्फ लंदन से ही मिलेंगी..

तो धर्मेन्द्र की एयरलाइन्स के कैप्टेन से कुछ जान पहचान थी.. और कुछ दोस्त भी लन्दन में रहते थे तो धर्मेन्द्र ने उन सब तक पहुंच की..और 2 ही दिनों में दवाई बम्बई में मंगवा भी ली और खुद धर्मेन्द्र अपनी एक ओपन जीप में एयरपोर्ट गए थे मेडिसिन लेने..उस वख्त उस मेडिसिन की कीमत तकरीबन 20000 रुपये थी लेकिन धर्मेन्द्र वो मेडिसिन ले कर हॉस्पिटल की एंट्री में पहुंचा कर बाहर से ही वापिस चले गए ..लीना को बाद में ये बात पता चली …..जब बाद में उन्हें किसी ने बताया के धर्मन्द्र खुद ये दवाई पकड़ा कर गए है और कोई पैसे भी नहीं लेकर गए.. तो लीना ने शायद धर्मेन्द्र की इस दरियादिली का अपने घर पर ज़िक्र किया होगा

तो कुछ दिनों बाद लीना के भाई धर्मेन्द्र के घर उन दवाइयों के पैसे 20000 रुपये देने के लिए चले गए.. पहले तो धर्मेन्द्र ने उन्हें बिठाया और सिद्धार्थ का हाल चाल पूछा ..(सोनी के किस्से)..लेकिन जब उन्हें पता चला के वो 20000 रुपये वापिस देने के लिए आया है तो धर्मेन्द्र उस पर जम कर नाराज़ हुए और इतने नाराज़ हुए के उन्होंने मुक्का दिख कर कहा के ये 2 किलो का हाथ देखते हो….इससे तुम्हारी पिटाई होगी.. जो मैंने किआ क्या तुम लोग होते तो मेरे लिए नहीं करते..वापिस ले जाओ इन पैसों को.. मैंने ये अच्छे काम के लिए use किये है” लीना का भाई कुछ बोले बगैर वापिस जाने लगा तो धर्मेन्द्र ने उसके बाद उसे बिठा कर प्यार से समझाया..

लेकिन इतनी कोशिशों के बावजूद कुछ दिनों बाद सिद्धार्थ की तबियत फिर बिगड़ गयी..और 7 नवंबर 1976 को वो इस दुनिया से रुखसत हो गए…और उसके बाद साल 1980 को लीना चंद्रावरकर ने किशोर कुमार से शादी कर ली थी..

लीना और धर्मेन्द्र का ये किस्सा लेखक “राजीव विजयकर” ने अपनी पुस्तक “धर्मेन्द्र- नॉट जस्ट ऐ ही-मैन” में लिखा था

तो दोस्तो ये तो था किस्सा धर्मेन्द्र और लीना चंदावर्कर का और किससे पड़ने के लिए पड़ते रहे SONY KE KISSE