विशेष

अपना बनकर, लच्छेदार बातों में फंसाकर ब्रेनवॉश करने वालों को पहचानना सीखिए

Wafah Faraaz
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किसी￰ बाजार में एक बहेलिया तीतर बेच रहा था।

उसके पास एक बड़े से जालीवाले बक्से में बहुत सारे तीतर थे और एक छोटे से बक्से में सिर्फ एक तीतर।
किसी ग्राहक ने उससे पूछा एक तीतर कितने का है?

तो उसने उत्तर दिया। एक तीतर की कीमत 40 रूपये है!

ग्राहक ने दूसरे बक्से में जो एक अकेला तीतर था उसकी कीमत पूछी तो तीतर वाले ने जवाब दिया, मैं इसे बेचना ही नहीं चाहूंगा, लेकिन अगर आप लेने की जिद करोगे तो इसकी कीमत 500 रूपये होगी।
ग्राहक ने आश्चर्य से पूछा,इसकी कीमत 500 रुपया क्यों??

इस पर तीतर वाले का जवाब था, ये मेरा अपना पालतू तीतर है और दूसरे तीतरों को जाल में फंसाने का काम करता है। इसके अलावा दूसरे सभी फंसे हुए तीतर है! यह बड़ा चतुर है। ये बड़ी चतुराई से चीखपुकार करके दूसरे तीतरों को बुलाता है जिससे दूसरे तीतर बिना सोचे समझे एक जगह जमा हो जाते है और फिर मैं आसानी से उनका शिकार कर लेता हूँ।

इसके बाद फंसाने वाले तीतर को उसकी मनपसंद खुराक दे देता हूँ जिससे ये खुश हो जाता है। बस इस वजह से इसकी कीमत ज्यादा है।

यह सुनकर बाजार में एक समझदार आदमी ने उस तीतर वाले को 500 रूपये देकर उस तीतर को खरीदा और खरीदते ही सरे बाजार उसकी गर्दन मरोड़ दी।

इस पर किसी ने पूछा,’आपने ऐसा क्यों किया।’

उस समझदार ग्राहक का जवाब था,’ऐसे दगाबाज को जिन्दा रहने का कोई हक़ नहीं जो अपने लाभ के लिए अपने ही समाज के लोगों को फंसाने का काम करे और अपने ही लोगो को धोखा देता हो।’

जो लोग ज्ञानी बनकर आधुनिकता, परिवर्तन, बेड़ियों, रूढ़ियों की बातों में फँसाकर हमें हमारे धर्म, हमारी संस्कृति, हमारे नैतिक गुणों से काटने का प्रयास करते हैं वे भी इसी फँसाने वाले तीतर का ही रूप हैं जिनके जाल में फँसकर हम धर्मच्युत हो अपना नाश कर बैठते हैं। अपना बनकर, लच्छेदार बातों में फंसाकर ब्रेनवॉश करने वालों को पहचानना सीखिए।

Wafah Faraaz