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राधाकिशन, अपने ज़माने के बेजोड़ कॉमिक-विलेन

𝐑𝐚𝐝𝐡𝐚 𝐤𝐢𝐬𝐡𝐚𝐧 𝐌𝐞𝐡𝐫𝐚
अपने ज़माने के बेजोड़ कॉमिक-विलेन
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अगर आप 1941 से 1965 के बीच की पुरानी हिंदी फिल्मो के शौकीन हो तो अपने खास अंदाज़ में खींसे निपोर कर नाक से ‘राम राम ‘कहते हुए इस अभिनेता को अक्सर देखा होगा जो ज्यादातर विलेन या कमेडियन की भूमिका में नजर आता था इस अभिनेता का नाम ‘राधाकिशन’ है अपने संवाद बोलने के अनोखे अंदाज को लेकर राधाकिशन मशहूर थे और पंडित मुखराम शर्मा की फिल्मों में उनके लिए खास रोल बाकायदा लिखे जाते थे ……अपने जमाने मे एक कॉमिक विलन के रोल मे याकूब लाला के बाद सबसे ज्यादा राधाकिशन लोकप्रिय थे। उस ज़माने की फिल्मो में कंजुस मारवाड़ी, बनिये और कपट जमींदार के रोल के लिए राधाकिशन अनिवार्य नाम थे जिन्होंने करीब 45 हिंदी फिल्मो में शानदार काम किया ……….

13 जून 1915 आज के ही दिन दिल्ली में जन्मे राधाकिशन की पहली फिल्म व्ही शांता राम की ‘पडोसी ‘(1941) थी देव आनंद के साथ राधाकिशन टूयनिंग अच्छी थी देव आनंद के कॅरियर की शुरूआत की कई फिल्मो में राधाकिशन ने काम किया है फिल्म निराला (1950 ) एक के बाद एक (1960 ) और फिल्म शराबी (1964 ) में देव आनंद के शराबी दोस्त शंकर की भुमिका में उन्होंने कमाल का अभिनय किया था इनका फिल्म’ बैजू बावरा ‘का यह डायलाॅग

” मेरा शागिर्द है ”
बड़ा मशहूर हुआ था उनका संवाद-अदायगी का अंदाज सबसे हटकर था कॉमेडी रोल की तरह ही उन्होंने फिल्मो में खलनायक का किरदार भी बहुत दृढ़ तरीके से निभाया।…..1958 में राजेंदर कुमार के साथ ‘तलाक ‘और सुनील दत्त के साथ’ साधना ‘भी उनकी अच्छी फिल्मे है

राधाकिशन की अन्य उल्लेखनीय फिल्मो में खिड़की (1948 ),मुकद्दर, निराला, संगीता, संगम (1950 ), बैजु बावरा (1952 ), औलाद (1953 ), वचन (1955 ), एक ही रास्ता, न्यू देहली, पैसा ही पैसा (1956 ) नया दौर (1957) ,परवरिश (1958), छोटी बहन (1959)  सिंगापुर, श्रीमान सत्यवादी (1960) , करोड़पति (1961) प्रमुख हे

जब फिल्मो से राधाकिशन ने धन अर्जित कर लिया तो उन्होंने फिल्म निर्माण में हाथ आजमाने की सोची ये उनकी एक बड़ी गलती साबित हुई उन्होंने नंद, राजेन्द्र कुमार, और नलिनी जयवंत को लेकर फिल्म ‘अमर रहे ये प्यार (1961) ‘बनाई जो बॉक्स ऑफिस पर बुरी असफल हुई जिसे उनके मित्र प्रभु दयाल ने निर्देशित किया था राधाकिशन कर्ज से दबकर वित्तीय संकटो से घिर कर बर्बादी के कगार पर जा पहुंचे और राधाकिशन ने दुनिया को अलविदा कह दिया……. फिल्म ‘अमर रहे ये प्यार ‘ में राधा किशन ने खुद ‘सेवकराम ‘का किरदार निभाया था संगीतकार सी.रामचंद्र थे विभाजन को आधार बना लिखी इस फिल्म में कवि प्रदीप का गाना ‘आज के इंसान को क्या हो गया ‘बड़ा मशहूर हुआ था एक अन्य प्रदीप द्वारा लिखित गीत,”ये सियासत कितनी गन्दी ” को फिल्म ‘अमर रहे ये प्यार’ से सेंसर कर बाहर कर दिया गया …

कुछ लोगो का मानना है राधाकिशन ने आमहत्या की थी लेकिन मुझे सन्दर्भ में जानकारी नहीं है अगर आप को जानकारी है तो शेयर करे……
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पवन मेहरा