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तपते रेगिस्तान में गीदड़ को एक मरा हुआ ऊंट मिल गया, आगे क्या हुआ, जानिये!
Hukam Singh ============== प्रश्न ये था कि तपते रेगिस्तान में गीदड़ को एक मरा हुआ ऊंट मिल गया। आगे क्या हुआ? तो साहब हुआ ये कि तपते रेगिस्तान में एक गीदड़ को मरा हुआ ऊंट मिल गया। गीदड़ की बांछे खिल गई और काफ़ी सोच विचार कर उसने ऊंट को अंदर ही अंदर खाने की […]
ठिकाने ग़म भी मिरा अब मिरे सिवाय लगे।। मैं चाहता भी यही हूँ कि तेरी हाय लगे।। – दाग़ अलीगढ़ी की चंद ग़ज़लें पढ़िये!
दाग़ अलीगढ़ी ============= आह में बदलती हैं सिसकियाँ भी खुलती हैं।। देखना दिसम्बर में सर्दियाँ भी खुलती हैं।। रफ़्ता रफ़्ता बनता है इश्क़ कीमती मोती, चाहतों की चोटों से सीपियाँ भी खुलती हैं।। जब सियासी रक़्क़सा हुक़्म दे तो क़दमों में, तख्तों-ताज गिरते हैं पगड़ियाँ भी खुलती हैं।। राज़ भी बहुत दिन तक राज़ रह […]
दिल ज़ोरों से रोया है फिर….कुछ तो है जो खोया है फिर….By-सरिता जैन
Sarita Jain ================ जब भी अपनी अना से लड़ती हूँ इक मुख़ालिफ़ हवा से लड़ती हूँ। इन्तिहा दास्ताँ की करनी है इस लिए इब्तिदा से लड़ती हूँ। दोस्तों की जफ़ा नहीं समझी दुश्मनों की वफ़ा से लड़ती हूँ। मुझ पे गिरती हैं बिजलियाँ सी कई जब भी काली घटा से लड़ती हूँ। सर पे माँ […]