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तो फिर, पेश है एक और कुत्त कविता…
Kavita Krishnapallavi ===================== · तो फिर, पेश है एक और कुत्त कविता… कुत्ती बोली हम तो बस अपना ही पेट भरे हैं जनवादी कवियों को देखो कैसे त्याग करे हैं ताकतवर लोगों की ड्योढ़ी पर ना शीश झुकावें चाह नहीं पद-पीठ-प्रतिष्ठा रजधानी में पावें कुत्ता बोला कुत्ती से, डार्लिंग वह गया ज़माना सीखा है कुछ […]
#अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना….By_लतिका श्रीवास्तव
Betiyan.in ============== जब मैं था तब हरि नही अब हरी है मैं नाहि…. पीयूष बेटा तेरे पिता तुझे बहुत याद कर रहे हैं अंतिम समय में तुझे देखना चाहते हैं एक बार आ जा बेटा….दमयंती जी करुणा विगलित स्वर में अपने इकलौते चिराग पियूष से प्रार्थना कर रहीं थीं। मां कोशिश कर रहा हूं कंपनी […]
ईरानी मजदूर साबिर हका की कविताएं
ईरानी मजदूर साबिर हका की कविताएं तडि़त-प्रहार की तरह हैं. साबिर का जन्म 1986 में ईरान के करमानशाह में हुआ. अब वह तेहरान में रहते हैं और इमारतों में निर्माण-कार्य के दौरान मज़दूरी करते हैं. साबिर हका के दो कविता-संग्रह प्रकाशित हैं और ईरान श्रमिक कविता स्पर्धा में प्रथम पुरस्कार पा चुके हैं. लेकिन कविता […]