साहित्य

****ग़ज़ल***बेवफ़ाई मिली बदले वफ़ा के यू, इश्क़ की मेरी दास्तां ये पुरानी है…By-*अंतिमा जैन’अनु’*

Antima Jain
October 12, 2023
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बह ती अंखियों की अपनी इक रवानी है
दर्द बाटे वो अंखियों की जुबानी है
बेवफाई मिली बदले वफा के यू
इश्क की मेरी दास्तां ये पुरानी है
ख्वाब में जब झलक दिखला तू जाता है
लगती हर रात वो मुझको सुहानी है
वो जो लम्हे सजाए हमने यादों के
प्यार की आखिरी वो ही निशानी है
आ अकेले गए जाना अकेले है
जिंदगी की हकीकत ये कहानी है
पल में जीना यहां औ’ पल में मरना है
बुलबुले सी ये सबकी जिंदगानी है
टिमटिमाते ये तारे नभ में लगते यूं
झिलमिलाती चुनर ये आसमानी है
*अंतिमा जैन’अनु’*

Antima Jain
October 22, 2023
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२१२२ १२ १२ २२ /११२
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देख जनता मुझे सुखी तो हो
जो रखे याद वो सदी तो हो
कुर्सियां बस यू वोट है चाहे
झलके जो प्यार मजहबी तो हो
बन के अंधे यू वोट जो देते
वोट दो उसको जो सही तो हो
जो रखा तुमने ये पहन चोगा
इस सफेदी में आदमी तो हो
राम को ना रहीम को बांटो
रब से सच्ची यू बंदगी तो हो
*अंतिमा जैन’अनु’*

Antima Jain
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*******गजल*********
2122 12 12 22/112
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प्रीत उसकी न आंकते रहना
रंग में उसके रंगते रहना
थम न जाए इशक की धारा ये
तू लुटा प्यार लूटते रहना
तेरी उल्फत में वो हुई पागल
बांवरा बन तू चाहते रहना
ना ही दौलत न शोहरत चाहे
प्रेम से बस तू बोलते रहना
गुम न हो जाए प्रेम दीवानी
दर बदर फिर तू खोजते रहना
अंतिमा जैन ‘अनु’